लखनऊ : गॉलब्लैडर के कैंसर से जूझ रहे मरीजों की इम्यूनोथेरेपी में 18 से 20 लाख खर्च करने के बाद जो राहत मिलती है, अब महज 30 हजार रुपये के खर्च में मिल सकेगी. संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) लखनऊ के विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय गॉलब्लैडर में पथरी के सबसे अधिक मरीज आ रहे हैं. इनमें से कुछ मरीज ऐसे होते हैं, जिनके गॉलब्लैडर में कैंसर होता है.
पीजीआई के रेडियोथेरेपी विभाग की प्रोफेसर सुषमा अग्रवाल ने पांच साल के दौरान 140 कैंसर मरीजों पर अध्ययन के बाद इलाज की नई तकनीक विकसित की है. इसमें कीमोथेरेपी के साथ रेडियोथेरेपी देने पर कैंसर मरीज की औसत जिंदगी 13 महीने बढ़ जाती है. इम्यूनोथेरेपी से मरीज की औसत जिंदगी 14 महीने तक बढ़ती है. इससे गॉलब्लैडर के कैंसर से जूझ रहे आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को काफी राहत मिलेगी. रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित किया गया है.
प्रो. सुषमा अग्रवाल के मुताबिक गॉलब्लैडर कैंसर उत्तरी भारत में महिलाओं में होने वाला तीसरा सबसे ज्यादा कैंसर है. इससे पीड़ित केवल 10 फीसदी मरीज ही ऐसे होते हैं, जो समय रहते इलाज शुरू करवाते हैं और सर्जरी से फायदा होता हैं. पीजीआई में हुए अध्ययन के तहत गॉलब्लैडर कैंसर वाले मरीजों को कीमोथेरेपी के साथ रेडियोथेरेपी देने की संभावना का आकलन किया गया. कीमोथेरेपी के चार चक्र पूरे करने के बाद छह सप्ताह की रेडियोथेरेपी दी गई. इसका असर यह हुआ कि मरीजों की औसत जिंदगी 13 माह तक बढ़ गई.
निजी संस्थानों में इसकी कीमत अधिक : प्रो. सुषमा अग्रवालने कहा कि गॉलब्लैडर कैंसर का पूरा ट्रीटमेंट एसजीपीजीआई में सिर्फ 30 हजार रुपये में हो जाएगा. निजी संस्थानों में इसके लिए मरीजों से लाखों रुपये वसूले जाते हैं. एसजीपीजीआई में मरीज आकर के गॉलब्लैडर कैंसर का इलाज कर सकते हैं.
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