लखनऊ: दशकों पुरानी और 'प्राइड ऑफ लखनऊ' कही जाने वाली लखनऊ मेल की घर वापसी 15 अगस्त को हो गई. करीब 100 साल पुरानी बताई जाने वाली यह ट्रेन 6 साल बाद अपने पुराने स्टेशन से दौड़ने लगी है. स्वतंत्रता दिवस पर लखनऊ मेल का वेलकम उत्तर रेलवे के डीआरएम सचिंद्र मोहन शर्मा ने किया. लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चलने वाली 12229/30 उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की ट्रेन है. साल 2018 में पहले यह ट्रेन चारबाग रेलवे स्टेशन से चलती थी. यह ट्रेन वीवीआईपी की पहली पसंद है. लखनऊ से दिल्ली और दिल्ली से लखनऊ आने जाने के लिए वीवीआईपी इसी ट्रेन को अहमियत देते हैं.
नवंबर 2018 में लखनऊ जंक्शन शिफ्ट की गई : ओरिजनेटिंग ट्रेनों को पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के लखनऊ जंक्शन पर शिफ्ट करने की योजना के तहत लखनऊ मेल को नवंबर 2018 में जंक्शन से संचालित करने का फैसला लिया गया था. ट्रेन यहां से फिलहाल रात 10 बजे चलती है. लखनऊ मेल (12230) सुबह करीब सात बजे लखनऊ जंक्शन पहुंचती है. यहां से इसे रुटीन मेंटेनेंस के लिए चारबाग स्टेशन की सैलून साइडिंग रवाना कर दिया जाता है. यहां ट्रेन की सफाई, धुलाई होती है, जिसमें चार से पांच घंटे का समय खर्च होता है. इसके बाद शाम को ट्रेन लखनऊ जंक्शन लाई जाती है. जंक्शन लाने और ले जाने में हर रोज करीब दो से तीन घंटे का वक्त लगता है. ट्रेन को लाने ले जाने के लिए कई कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है. यही नहीं, लखनऊ मेल को लाने और ले जाने से चारबाग का प्लेटफॉर्म नंबर एक बिजी हो जाता है. इसके चलते कई ट्रेनों को बिना किसी कारण के ही आउटर पर मजबूरन रोकना पड़ता है. रेल पैसेंजर्स को मालूम है कि ये दोनों स्टेशन एक दूसरे से सटे हुए हैं. अब करीब 6 साल बाद इस ट्रेन की पुराने घर में वापसी हो गई है.
डीआरएम ने कहा- 15 अगसत से चारबाग से पकड़ें पसंदीदा ट्रेन : उत्तर रेलवे के डीआरएम सचिंद्र मोहन शर्मा ने इस पर खुशी जाहिर की है. कहा कि 'प्राइड ऑफ लखनऊ' के नाम से जानी जाने वाली लखनऊ मेल अब फिर से अपने उसी स्टेशन से संचालित होगी, जहां से इसकी शुरुआत हुई थी. डीआरएम का कहना है कि वैसे तो हम सभी रेलवे का अंग हैं और किसी मंडल की ट्रेन किसी मंडल से संचालित हो रही है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन यह जरूर है कि हमारे मंडल की ट्रेन हमारे स्टेशन से संचालित होगी तो हमारे साथ ही लखनऊ के लोगों के लिए भी गौरव की बात है. हमें खुशी है कि एक बार फिर हम लखनऊ मेल को बड़ी लाइन से चलाने जा रहे हैं. बीते मंगलवार को डीआरएम मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उत्तर रेलवे के डीआरएम सचिंद्र मोहन शर्मा ने लखनऊ मेल से जुड़ी जानकारियां साझा कीं. यात्रियों से अपील की है कि वह 15 अगस्त से चारबाग रेलवे स्टेशन से अपनी पसंदीदा ट्रेन पकड़ने पहुंचें.
करीब 100 साल पुराना है इतिहास : उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक सचिंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि मुझे खुशी है कि 2018 में नॉर्थ ईस्टर्न में उस समय जो भी अपने स्टेशन की परिस्थितियां थीं, उसे देखते हुए लखनऊ मेल ट्रांसफर की गई थी. आज ट्रेन को हम वापस ला पाए हैं. 15 अगस्त से लखनऊ के प्लेटफार्म एक से फिर से यह ट्रेन चालू होगी. कहते हैं कि यह ट्रेन 100 साल से चल रही है. शुरू में 303/ 304 डाउन से चल रही थी. उसके बाद 4229/4230 बहुत फेमस रही. 2005 में जब सुपरफास्ट हुई तो नंबर 1229 किया गया.
मेंटेनेंस नॉर्दर्न से, चलती थी लखनऊ जंक्शन से : कहा कि पहले भी इस ट्रेन का मेंटेनेंस नॉर्दर्न से होता था लेकिन चलती थी लखनऊ जंक्शन से. हर रोज रैक को वहां से वापस लखनऊ लाते थे फिर फ्यूल भरा जाता था और वापस उसे लखनऊ जंक्शन भेजा जाता था. इसमें काफी दिक्कतें आती थीं, लेकिन अब इधर ट्रांसफर होने से तो कई ट्रेनों के संचालन पर अब प्रभाव नहीं पड़ेगा. अब यात्रियों को भी नॉर्दर्न से नॉर्थ ईस्टर्न जाने की जरूरत नहीं होगी. ट्रेनों की पंक्चुआलिटी और बेहतर हो जाएगी.
15 अगस्त के लिए खास तैयारी : डीआरएम ने बताया कि यात्रियों को किसी तरह की कोई समस्या न हो, इसके लिए हम लोग कई दिनों से ट्विट भी कर रहे हैं. स्टेशनों पर भी लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है. हमने स्टाफ को भी खबर की है कि वे यात्रियों को बताएं कि 15 अगस्त से यह ट्रेन चारबाग रेलवे स्टेशन पर शिफ्ट हो रही है. जब यह ट्रेन स्टार्ट होगी तो दो-चार दिन तक हम अपना कॉमर्शियल स्टाफ को वहां पर तैनात करेंगे, जिससे किसी वजह से कोई यात्री उधर पहुंच जाता है तो उसे बताया जा सके कि ट्रेन चारबाग रेलवे स्टेशन से मिलेगी. क्रिस से भी हम सभी को मैसेज भेजकर बता रहे हैं कि ट्रेन 15 अगस्त से चारबाग रेलवे स्टेशन से संचालित होगी.
उत्तर रेलवे के डीआरएम ने इसके लिए पूर्वोत्तर रेलवे के डीआरएम का भी धन्यवाद किया कि उन्होंने हमारे इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और उसके बाद बोर्ड की तरफ से इस पर मुहर लगी. लखनऊ मेल और डुप्लीकेट लखनऊ मेल को हमने प्राइड ऑफ लखनऊ बनाया है. इसमें हमने साफ-सफाई टॉप क्लास की की है. इसमें पैसेंजर की कंप्लेंट्स नहीं हैं. रेल मदद पर बहुत कम कंप्लेंट आ रही हैं. एलएचबी में यह पहले ही ये कन्वर्ट हो चुकी है. अब यह ट्रेन स्पीड अप हो सकती है तो इसके लिए प्रयास जरूर किया जाएगा.
ममता बनर्जी ने अपने कार्यकाल में बनाया सुपरफास्ट: ममता बनर्जी ने अपने रेलवे मंत्री के कार्यकाल में 2005-06 के रेल बजट में लखनऊ मेल को सुपरफास्ट ट्रेन का दर्जा दिया था. इसी दौरान रेलवे में ट्रेनों को पांच अंकों के नंबर जारी करने का सिस्टम लागू हुआ और इस हर दिल अजीज ट्रेन के लिए 12229(अप) और 12230(डाउन) नंबर पहचान बन गया. सामान्यत: किसी ट्रेन को सुपरफास्ट का दर्जा मिलने के बाद उसके स्टॉपेज कम कर दिए जाते हैं, लेकिन लखनऊ मेल की रेल यात्रियों के बीच लोकप्रियता को देखते हुए इसके केस में कोई बदलाव नहीं किया गया.
लखनऊ से दिल्ली के बीच 7 स्टॉपेज: लखनऊ से नई दिल्ली के बीच यह ट्रेन कुल 7 स्टेशनों हरदोई, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, हापुड़ और गाजियाबाद पर रुकती है. दो राजधानियों की करीब 491 किलोमीटर की दूरी को लखनऊ मेल औसतन 8 घंटे 50 मिनट में तय करती है. ट्रेन की औसत स्पीड 60 किमी प्रति घंटा है.
ट्रेन 86% समय पर पहुंची: पिछले 6 महीने की ट्रेन डिले रिपोर्ट देखें तो railenquiry.in के मुताबिक लखनऊ मेल 86 फीसदी समय पर रही है. यानी अपने गंतव्य पर राइट टाइम पहुंची है. श्रम शक्ति एक्सप्रेस, शिव गंगा एक्सप्रेस, प्रयागराज एक्सप्रेस और शान-ए-भोपाल एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों की तरह लखनऊ मेल भी हाईएस्ट प्रायोरिटी वाली ट्रेन मानी जाती है.
पहली ट्रेन जिसमें लगे LHB कोच: लखनऊ मेल के खाते में कई उपलब्धियां जुड़ी हैं. यह रेलवे की पहली ट्रेन थी, जिसमें अत्याधुनिक LHB डिब्बे लगाए गए. जर्मन तकनीक पर बेस्ड Linke-Hofmann-Busch (LHB) कोचेज को इंडियन रेलवे ने साल 2000 से अपनाना शुरू किया था. इससे ट्रेन के रफ्तार में दौड़ते समय झटके कम महसूस होते हैं, बाहर का शोर कम सुनाई देता है. सबसे अहम बात कि इन डिब्बों का सेफ्टी लेवल हाई होती है. भोपाल एक्सप्रेस के बाद ISO-9000 सर्टिफिकेशन हासिल करने वाली दूसरी ट्रेन है लखनऊ मेल. अब एक बार फिर से जिस मंडल की यह ट्रेन है, उसे वापस मिल गई है. जिससे अब लखनऊ जंक्शन का प्लेटफार्म खाली हो जाएगा. अब यह ट्रेन आने वाले कुछ दिनों बाद चारबाग रेलवे स्टेशन से यात्रियों को लेकर लखनऊ से दिल्ली रवाना होगी और दिल्ली से लेकर लखनऊ रेलवे स्टेशन आएगी.
इस ट्रेन की घर वापसी के साथ यात्रियों को सहूलियत तो होगी ही, समय की बचत भी होगी. लखनऊ जंक्शन से संचालन के दौरान हर रोज इस ट्रेन के रैक को वापस लाते थे फिर फ्यूल भरा जाता था और इसके बाद फिर से ट्रेन को लखनऊ जंक्शन भेजा जाता था. यह पूरी प्रक्रिया लंबा समय लेती थी और इसमें दिक्कतें भी काफी आती थीं. अब इसकी घर वापसी के बाद कई ट्रेनों के संचालन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा. अब यात्रियों को भी नॉर्दर्न से नॉर्थ ईस्टर्न जाने की जरूरत नहीं होगी. ट्रेनों की पंक्चुआलिटी बेहतर हो जाएगी. साथ ही समय की भी बचत होगी.