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‘ओपन जेल’ की व्यवस्था की योजना पेश करने का आदेश, सुधारात्मक उपायों पर जेल अधीक्षकों से हाईकोर्ट ने मांगी राय - लखनऊ हाईकोर्ट

ओपन जेल की व्यवस्था और अन्य सुधार के लिए योजना (Lucknow Bench of High Court) देने का निर्देश लखनऊ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया है. इसमें प्रदेश के विभिन्न जेलों के जेल अधीक्षक भी अपनी राय दे सकेंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 5, 2024, 10:57 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजस्थान व महाराष्ट्र के तर्ज पर प्रदेश में ‘ओपन जेल’ की व्यवस्था तथा इस प्रकार के अन्य सुधारात्मक उपायों को लागू करने के संबंध में योजना अथवा प्रस्ताव पेश करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश के सभी जेलों के जेल अधीक्षक अपना प्रस्ताव दे सकते हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने वर्ष 1998 में मॉडल जेल से मिले एक कैदी के पत्र के आधार पर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. हालांकि, न्यायालय ने अब इस मामले को यूपी बनाम स्टेट ऑफ यूपी स्वतः संज्ञान याचिका के तौर पर टाइटिल देने का भी आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पूछा है कि अंडर ट्रायल व दोष सिद्ध कैदियों की कमाई पर निर्भर उनके परिवारों को सहयोग किए जाने की भी क्या कोई योजना है. मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी.


न्यायालय ने अपने पूर्वे के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार के अधिवक्ता को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराने को कहा है कि मॉडल जेल में कुल कितने विचाराधीन कैदी और कितने सजायाफता कैदी बंद हैं और इनमें पुरूष व महिला कैदियों की संख्या कितनी है. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पूछा था कि क्या किसी महिला कैदी के साथ कोई बच्चा भी रह रहा है. न्यायालय ने अपने इस आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव, गृह व महानिदेशक, कारागार को देने का निर्देश दिया है ताकि पूर्ण सुधारात्मक व्यवस्था को लागू किया जा सके. न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में उठाए गए विषय कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न हैं.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजस्थान व महाराष्ट्र के तर्ज पर प्रदेश में ‘ओपन जेल’ की व्यवस्था तथा इस प्रकार के अन्य सुधारात्मक उपायों को लागू करने के संबंध में योजना अथवा प्रस्ताव पेश करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश के सभी जेलों के जेल अधीक्षक अपना प्रस्ताव दे सकते हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने वर्ष 1998 में मॉडल जेल से मिले एक कैदी के पत्र के आधार पर दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. हालांकि, न्यायालय ने अब इस मामले को यूपी बनाम स्टेट ऑफ यूपी स्वतः संज्ञान याचिका के तौर पर टाइटिल देने का भी आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पूछा है कि अंडर ट्रायल व दोष सिद्ध कैदियों की कमाई पर निर्भर उनके परिवारों को सहयोग किए जाने की भी क्या कोई योजना है. मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी.


न्यायालय ने अपने पूर्वे के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार के अधिवक्ता को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराने को कहा है कि मॉडल जेल में कुल कितने विचाराधीन कैदी और कितने सजायाफता कैदी बंद हैं और इनमें पुरूष व महिला कैदियों की संख्या कितनी है. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी पूछा था कि क्या किसी महिला कैदी के साथ कोई बच्चा भी रह रहा है. न्यायालय ने अपने इस आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव, गृह व महानिदेशक, कारागार को देने का निर्देश दिया है ताकि पूर्ण सुधारात्मक व्यवस्था को लागू किया जा सके. न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में उठाए गए विषय कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न हैं.


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