जयपुर. राइट टू एजुकेशन के तहत प्रदेश के 31 हजार 857 प्राइवेट स्कूलों के लिए आए 10 लाख 11 हजार 47 आवेदनों को लेकर सोमवार को लॉटरी निकाली गई. इस बार लॉटरी में प्रदेश के 1 लाख 63 हजार 411 बालक, 1 लाख 45 हजार 368 बालिका और तीन थर्ड जेंडर ने भी आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए रुचि दिखाई है.
आरटीई एक फंडामेंटल राइट : निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों में प्री प्राइमरी और कक्षा 1 में 25 फीसदी सीटों पर आर्थिक रूप से पिछड़े, एचआईवी या कैंसर से प्रभावित एसटी-एससी, बीपीएल सूची में शामिल और दुर्बल वर्ग के बच्चों के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने का सपना साकार होगा. इसे लेकर सोमवार को लॉटरी निकालते हुए शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल ने कहा कि आरटीई एक फंडामेंटल राइट है. इस अधिकार की क्रियान्वित के लिए सभी पाबंद हैं. राज्य सरकार का मानना है कि जो गरीब, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए या दुर्बल हैं, उन्हें भी समानता के साथ शिक्षा मिल सके उसी के तहत आरटीई की लॉटरी निकाली गई है.
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7 जून से सीट्स पर चयन की फर्स्ट लिस्ट : उन्होंने बताया कि 2012-13 से ऑनलाइन आरटीई के तहत एडमिशन दिए जा रहे हैं. इस बार भी 3 लाख 8 हजार 782 बच्चों ने 10 लाख 110 हजार 47 आवेदन किए थे, जो 2023-24 की तुलना में कहीं अधिक हैं. इस बार 31 हजार 857 विद्यालयों के लिए ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें pp3 और फर्स्ट क्लास में एडमिशन के लिए ये आवेदन मिले हैं. इनकी लॉटरी जारी कर दी गई है और अब अभिभावकों की ओर से ऑनलाइन रिपोर्टिंग की जाएगी. इसी दौरान दस्तावेजों का वेरिफिकेशन भी होगा, आवेदन पत्र की जांच भी की जाएगी और फिर 7 जून से 25 जुलाई तक आरटीई सीट्स पर चयन की फर्स्ट लिस्ट जारी कर दी जाएगी. इसके बाद बची हुई सीट और आवेदन के अनुसार दूसरी और फिर अंतिम सूची भी जारी होगी.
करीब 688 करोड़ राशि स्कूलों को ट्रांसफर की गई : उन्होंने स्पष्ट किया कि आरटीई के तहत क्लास एक से आठ तक निशुल्क शिक्षा का पैसा प्राइवेट स्कूलों को ट्रांसफर किया जा रहा है. पिछले साल भी करीब 688 करोड़ राशि स्कूलों को ट्रांसफर की गई थी. इस बार भी 200 करोड़ जारी किए जा चुके हैं और 300 करोड़ प्रक्रिया में हैं, लेकिन ये स्पष्ट है कि कोई भी स्कूल छात्रों के एडमिशन लेने से मना नहीं कर सकता है, जिसे भी मेडिकल या शिक्षा के क्षेत्र में काम करना है, उसे मना करने का कोई अधिकार नहीं है. ये फंडामेंटल राइट है और फंडामेंटल राइट के लिए हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं. यदि फिर भी कोई स्कूल छात्रों को एडमिशन देने से मना करता है तो इस पर प्रोएक्टिवली निगरानी रखी जाएगी.
उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि यदि कोई स्कूल फर्जी नामों का बिल उठाता पाया गया, तो उन पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी स्कूलों को बंद किए जाने के सवाल पर कहा कि महात्मा गांधी स्कूल अभी हैं और ये चलते रहेंगे. फिलहाल इलेक्शन की आचार संहिता लगी हुई है, इसीलिए पॉलिसी मेकिंग से जुड़ी ज्यादा बातें साझा नहीं कर पाएंगे. वहीं, तबादला नीति को लेकर भी शिक्षा सचिव ने यही बात दोहराई.