रायपुर: सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई सोमवार के दिन से हो चुकी है. ऐसे में भक्त मंदिरों में शिवलिंग की पूजा करने के साथ ही अपने घर में शिवलिंग बनाकर पूजा करते हैं. कई चीजों से शिवलिंग बनाकर पूजा की जा सकती है, जिसमें सोने-चांदी, तांबे के शिवलिंग के साथ ही स्फटिक के शिवलिंग की भी पूजा की जाती है. सावन का महीना भगवान रुद्र को समर्पित है. पूरे सावन महीने में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. हिंदू धर्म में भगवान शिव को कल्याण का देवता माना गया है, जिनकी पूजा करने से जातक के सभी दुख दूर हो जाते हैं.
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भरत ने ज्योतिष पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि घर में शिवलिंग बनाकर पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होती है. हर चीज से बने शिवलिंग की पूजा का खास महत्व है.
सावन में शिवलिंग पूजा का महत्व:
- बलवी मिट्टी के शिवलिंग की पूजा से महामुक्ति मिलती है.
- चांदी के शिवलिंग की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है
- मिट्टी में भस्म मिलाकर बनाए गए शिवलिंग की पूजा से कार्य सिद्ध होता है.
- पार्थिव शिवलिंग से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है
- कांसा या पीतल के शिवलिंग की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है
- गुड़ से बने शिवलिंग की पूजा से स्नेह बढ़ता है.
- नदी-तालाब के मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा से शत्रु नाश होता है.
- दूध से बनने वाले शिवलिंग की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
- गुड़ की पिंडी से बने शिवलिंग की पूजा से राजयोग की प्राप्ति होती है.
- ताजा मक्खन से बने शिवलिंग की पूजा से यश-कीर्ति बढ़ती है
- गोबर के शिवलिंग की पूजा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.
- स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करने से पापों का नाश होता है.
- तांबे के शिवलिंग की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है.
- गोबर और नीम की पत्तियों से बने शिवलिंग की पूजा करने से सफलता मिलती है.
- चंदन, कस्तूरी और कुमकुम के शिवलिंग बनाकर पूजा करने से शिव का सानिध्य प्राप्त होता है.
- जौ, गेहूं और चावल के आटे से बने शिवलिंग की उपासना करने से स्त्री, पुत्र और श्री सुख की प्राप्ति होती है.
ऐसे करें सावन में भोलेनाथ की पूजा:
- शिवलिंग की पूजा करने के पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत होकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए.
- इसके बाद जिस जगह पर शिवलिंग बनानी है, उस जगह की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर ले.
- आटे का सुंदर चौक बना ले.
- गौरी-गणेश के साथ नवग्रह षोडश मातृका और भगवान शिव का स्थापना करें.
- भगवान शिव के प्रिय द्रव्य गंगा जल, पंचामृत, दूध, दही, बेलपत्र, धतूरा, घी, शक्कर, ऑक के फूल, समी के फूल, बेर, अमरूद को अर्पित करना चाहिए.
- षोडशोपचार से भगवान शिव, गौरी, गणेश की पूजा करके संकल्प लेकर भगवान शिव की पूजा-आराधना करें.
- भगवान शिव का अभिषेक करें.
- उसके बाद तीन चम्मच पंचामृत हाथ में लेकर विधिवत हवन करें.
- इसके बाद पुष्पांजलि देकर आरती करें.
नोट: यहां लिखी सारी बातें पंडित जी द्वारा बताई गई बातें है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता.