बक्सर: बिहार के बक्सर शहर के बीचों-बीच स्थित विश्राम सरोवर आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इन स्थलों पर भू-माफिया धीरे-धीरे कब्जा करने में लगे हुए हैं. ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण, महर्षि विश्वामित्र और 80 हजार ऋषियों के साथ इस सरोवर में स्नान कर यंहा रात्रि विश्राम किया था. जिसकी पहचान अब मिटने की कगार पर है.
विश्राम सरोवर की स्थिति दयनीय: प्रशासनिक उदासीनता के कारण विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर में भगवान श्री राम और महर्षि विश्वामित्र से जुड़े तमाम धार्मिक स्थलों की पहचान मिटती जा रही है. खास तौर से विश्राम सरोवर का हाल बेहाल है. ऐसी मान्यता है कि इसमें डुबकी लगाने से कुष्ट रोग दूर हो जाता है, लेकिन अब इसमें शुद्ध जल बहने के जगह शहर के गंदे नालियों का पानी बह रहा है.
त्रेतायुग में बक्सर आये थे श्रीराम: कहा जाता है कि त्रेता युग में व्याघ्रसर के नाम से प्रसिद्ध बक्सर में जब ताड़का, सुबाहु मारीच आदि राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया तो, महर्षि विश्वामित्र अयोध्या से अपने साथ भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर बक्सर पहुंचे. जहां भगवान राम ने ताड़का, सुबाहु, मारीच आदि राक्षसों का वध कर क्षेत्र को राक्षसों से मुक्त कर दिया.
वध करने के बाद श्रीराम ने लगाई डुबकी: त्रेतायुग में ताड़का राक्षसी का वध करने के बाद 80 हजार साधु संतों के साथ भगवान राम ने नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए, उत्तरायणी गंगा में अपने भ्राता लक्ष्मण एवं महर्षि विश्वामित्र के साथ स्नान कर पांच कोष की परिक्रमा की थी. नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने उत्तरायणी गंगा की तट पर डुबकी लगाई थी, उसे आज रामरेखा घाट के नाम से जाना जाता है.
भगवान राम ने अहिल्या का किया उद्धार: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव में भगवान श्री राम सबसे पहले अहिल्या के उद्धार स्थली अहिरौली पहुंचे थे. जहां पत्थर रूपी अहिल्या का उन्होंने उद्धार किया. दूसरे पड़ाव में नारद मुनि के आश्रम नदाव, तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्धाल्क ऋषि के आश्रम उनवास, एवं पांचवे और अंतिम पड़ाव में विश्वामित्र मुनि के आश्रम बक्सर पहुंचकर उन्होंने लिट्टी चोखा का प्रसाद ग्रहण किया एवं विश्राम सरोवर में स्नान कर वही पर विश्राम कर जनकपुर के लिए पधारे.
क्या कहते हैं बक्सर वासी?: विश्राम सरोवर की बदहाल स्थिति से स्थानीय लोगो में आक्रोश है. गंगा महाआरती के पुजारी लाला बाबा ने कहा कि राम केवल सियासत में वोट प्राप्त करने का जरिया रह गए है. यही कारण है कि राम का नाम तो अस्तित्व में है, लेकिन उनसे जुड़े तमाम स्थल अब विलुप्त होने के कगार पर हैं.
"धार्मिक ग्रन्थ में जिस विश्राम सरोवर की महत्ता बताई गई हैं कि उसमें स्नान करने मात्र से कुष्ट रोग दूर हो जाता था. आज हालात ऐसे हैं कि उसका पानी छूने से लोग रोग से ग्रसित हो जाएंगे. राम के नाम पर केवल सियासत होती है, लेकिन असल में राम से जुड़े स्थल विलुप्त होने के कगार पर हैं."- लाला बाबा, पुजारी, गंगा महाआरती
प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ रहा सरोवर: वहीं समाज सेवी श्रवण तिवारी और शिव मंदिर के पुजारी दारा सिंह ने कहा कि 'यह प्रशासनिक उदासीनता है. नहीं तो शहर के बीचोबीच स्थित त्रेतायुग के इस सरोवर का यह हाल नहीं होता. बचपन से ही सुनते आ रहे हैं कि भगवान राम ने इसी सरोवर पर विश्राम किया था. धीरे धीरे भू-माफिया अब पूरे सरोवर पर कब्जा कर रहे है.'
आचार संहिता लगने से अभी जिर्नोद्धार नहीं: वहीं विश्राम सरोवर की बदहाल स्थिति को लेकर नगरपरिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि, फिलहाल आदर्श आचार संहिता लगा हुआ है. ऐसी स्थिति में नगर परिषद कोई काम नहीं कर पाएगा. बता दें कि नगर परिषद के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने पिछले साल अक्टूबर महीने में ही जल्द जिर्णोद्धार कराने की बात कही थी, लेकिन एक बार फिर से वही आश्वासन दिया गया है.
"जो भी इस तरह की समस्या है, उसको बोर्ड की बैठक में लेकर जाएंगे और डीपीआर तैयार करवाएंगे. अभी आदर्श आचार संहिता लगा हुआ है, इसलिए कुछ भी काम नहीं हो सकता है. चुनाव खत्म होने के बाद इसपर काम किया जाएगा."- अमित कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नप
पिछले साल भी दिया आश्वासन: जीर्णोद्वार के लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजने को लेकर डीपीआर तैयार भी किया जा रहा था, लेकिन अब तक इसका काम शुरू भी नहीं हुआ है. वहीं भू-माफिया इसका फायदा उठाकर नगरपरिषद एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के नाक के निचे से तमाम स्थलों पर कब्जा कर बड़ी बड़ी इमारते बना रहे है.
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