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एक भक्त ने जगदीश मंदिर बनवाकर शुरू की थी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, 90 बरस से लगातार जारी - Rath Yatra in Ajmer

अजमेर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 90 बरस से निकाली जा रही है. कई तरह की विषम परिस्थितियों के कालखंड में बनने के बाद भी अजमेर में भगवान की रथ यात्रा का क्रम नहीं टूटा. इस बार भी श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़ा समिति की ओर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और 10 दिवसीय महोत्सव की तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 6, 2024, 8:07 PM IST

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (ETV Bharat Ajmer)
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. पुरी में भगवान जगन्नाथ की तर्ज पर अजमेर में भी रथ यात्रा निकालने की परंपरा 90 बरस पुरानी है. अजमेर का श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़ा जनकपुरी गंज पूरी शिद्दत के साथ भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकालता आया है. बड़ी संख्या में अजमेर की नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग रथ को छूने और भगवान का पारंपरिक विशेष प्रसाद खाने के लिए आते हैं. खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महोत्सव 10 दिवस का केवल अजमेर में ही मनाया जाता है.

भगवान का विशेष प्रसाद खाने आते हैं भक्त : संरक्षक नरेंद्र कुमार डीडवानिया ने बताया कि 7 जुलाई को सुबह घी मंडी में स्थित चारभुजा नाथ मंदिर से भगवान चारभुजा नाथ की रेवाड़ी पारंपरिक रूप से धूमधाम के साथ ऋषि घाटी स्थित जगदीश मंदिर लाई जाती है. शाम को भगवान जगदीश के मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की 90 बरस पुरानी परंपरा है. रथ यात्रा के आगे भगवान चारभुजा नाथ की रेवाड़ी होती है. भगवान जगन्नाथ के रथ को भक्तों की ओर से खींचा जाता है. उन्होंने बताया कि रथ को खींचना और उसे छूने के लिए लोगों में होड़ मची रहती है. जिले से ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन करने और भगवान का विशेष प्रसाद अटा खाने के लिए आते हैं. समिति की ओर से रथ यात्रा के दौरान अटा प्रसाद का वितरण किया जाता है.

पढे़ं. गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव, 17 को होगी वरमाला

पारंपरिक तरीके से बनता है भगवान का विशेष भोग : समिति के अध्यक्ष संजय कंदोई ने बताया कि पुरी में भगवान जगन्नाथ को अटा का विशेष भोग लगाया जाता है. इसे विशेष तरीके से बनाया जाता है. उसी प्रकार अजमेर में भी समिति की ओर से पारंपरिक तरीके से ही अटा का भोग बनाकर भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया जाता है. विधि विधान से भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना करने के बाद भोग लगता है तब जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आरंभ होती है. उन्होंने बताया कि अटा प्रसाद चावल, मेवा, घी, दूध, केसर और शक्कर से मिलकर बनता है. इस भोग को बनाने में पानी का उपयोग नहीं होता. पारंपरिक तरीके से चूल्हे पर बड़े भगोने रखे जाते हैं. चूल्हों में लकड़ी और कंडे का उपयोग होता है. भगोने के ऊपर से भी आंच देने के लिए ऊपर थाली रखकर उन पर जलते हुए कंडे रखे जाते हैं, ताकि भोग को ऊपर और नीचे से आंच मिले और वह बराबर पके.

नया बाजार में होती है महाआरती : डीडवानिया ने बताया कि नया बाजार में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पहुंचने पर भव्य स्वागत किया जाता है. इसके बाद भगवान की महाआरती होती है. आरती के बाद भगवान जगन्नाथ तीर्थ यात्रा गंज स्थित जनकपुरी समारोह स्थल पहुंचती है. यहां भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के लिए फूलों का महल बनाया गया है. अगले 9 दिन तक भगवान जगन्नाथ यहीं विराजमान रह कर भक्तों को नित्य दर्शन देते हैं. यहां प्रत्येक दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना और श्रृंगार होता है.

90 बरस पहले शुरू हुई भगवान जगन्नाथ यात्रा : संरक्षक नरेंद्र कुमार डीडवानिया बताते हैं कि 95 बरस पहले अजमेर में सेठ राम रिछपाल श्रिया भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जगन्नाथ पुरी गए थे. वहां के दिव्य माहौल को देखकर उनके मन में भावना थी कि अजमेर में भी भगवान जगदीश का मंदिर बने और जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर यहां भी भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकले. सेठ राम रिछपाल श्रिया ने भगवान जगन्नाथ मंदिर के लिए ऋषि घाटी पर जमीन खरीदी और वहां भगवान जगदीश मंदिर का निर्माण करवाया. साथ ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा शुरू की.

पढ़ें. उदयपुर में 7 जुलाई को धूमधाम से निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

10 वर्ष पहले नया रथ बनाया गया : सेठ राम रिछपाल श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़ा के संरक्षक थे और मंदिर की जिम्मेदारी उन्होंने संस्था को ही दे दी. 90 बरस से संस्था सेठ राम रिछपाल की ओर से शुरू की गई भगवान जगन्नाथ की यात्रा पूरी आस्था और भव्यता के साथ प्रतिवर्ष निकालते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पुराना रथ जीर्ण शीर्ण हो गया है. 80 बरस तक उस रथ पर भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती रही. 10 वर्ष पहले नया रथ बनाया गया. अब नए रथ पर भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती है. उन्होंने यह भी बताया कि इस बार भगवान चारभुजा नाथ की रेवड़ी भी भगवान जगन्नाथ की तरह रथ पर ही निकलेगी.

मौसी के घर जाते हैं भगवान जगन्नाथ : डीडवानिया ने बताया कि 15 दिन भगवान जगन्नाथ ज्वर के कारण अंतर्ध्यान हो जाते हैं. स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. उनके साथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम भी होते हैं. मौसी के घर सात दिवसीय निवास भगवान जगन्नाथ का रहता है. इसके बाद भगवान जगन्नाथ वापस अपने धाम लौट आते हैं.

10 दिन तक होगा भव्य मोहत्सव : संयोजक राकेश डीडवानिया ने बताया कि 7 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन होगा. रथ यात्रा गज होते हुए नया बाजार चौपड़ पहुंचेगी. यहां भगवान की महाआरती का आयोजन होगा. यहां से यात्रा गंज, आगरा गेट, नया बाजार, गोल प्याऊ, चूड़ी बाजार, मदार गेट, नल बाजार, दरगाह बाजार, दिल्ली गेट से होते हुए वापस गंज स्थित जनकपुरी पहुंचेगी. अगले दिन 8 जुलाई से 15 जुलाई तक भगवान जगन्नाथ की कथा का नित्य आयोजन होगा. इसके बाद प्रतिदिन भजन संध्या होगी. भजन संध्या में देश के कई प्रसिद्ध भजन गायक अपनी प्रस्तुति देंगे. 16 जुलाई को समिति की ओर से रंग महोत्सव मनाया जाएगा. इसके बाद भगवान जगन्नाथ की यात्रा इस मार्ग से वापस भगवान जगदीश मंदिर पहुंचेगी.

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. पुरी में भगवान जगन्नाथ की तर्ज पर अजमेर में भी रथ यात्रा निकालने की परंपरा 90 बरस पुरानी है. अजमेर का श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़ा जनकपुरी गंज पूरी शिद्दत के साथ भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकालता आया है. बड़ी संख्या में अजमेर की नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग रथ को छूने और भगवान का पारंपरिक विशेष प्रसाद खाने के लिए आते हैं. खास बात यह है कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महोत्सव 10 दिवस का केवल अजमेर में ही मनाया जाता है.

भगवान का विशेष प्रसाद खाने आते हैं भक्त : संरक्षक नरेंद्र कुमार डीडवानिया ने बताया कि 7 जुलाई को सुबह घी मंडी में स्थित चारभुजा नाथ मंदिर से भगवान चारभुजा नाथ की रेवाड़ी पारंपरिक रूप से धूमधाम के साथ ऋषि घाटी स्थित जगदीश मंदिर लाई जाती है. शाम को भगवान जगदीश के मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की 90 बरस पुरानी परंपरा है. रथ यात्रा के आगे भगवान चारभुजा नाथ की रेवाड़ी होती है. भगवान जगन्नाथ के रथ को भक्तों की ओर से खींचा जाता है. उन्होंने बताया कि रथ को खींचना और उसे छूने के लिए लोगों में होड़ मची रहती है. जिले से ही नहीं बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन करने और भगवान का विशेष प्रसाद अटा खाने के लिए आते हैं. समिति की ओर से रथ यात्रा के दौरान अटा प्रसाद का वितरण किया जाता है.

पढे़ं. गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव, 17 को होगी वरमाला

पारंपरिक तरीके से बनता है भगवान का विशेष भोग : समिति के अध्यक्ष संजय कंदोई ने बताया कि पुरी में भगवान जगन्नाथ को अटा का विशेष भोग लगाया जाता है. इसे विशेष तरीके से बनाया जाता है. उसी प्रकार अजमेर में भी समिति की ओर से पारंपरिक तरीके से ही अटा का भोग बनाकर भगवान जगन्नाथ को अर्पित किया जाता है. विधि विधान से भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना करने के बाद भोग लगता है तब जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आरंभ होती है. उन्होंने बताया कि अटा प्रसाद चावल, मेवा, घी, दूध, केसर और शक्कर से मिलकर बनता है. इस भोग को बनाने में पानी का उपयोग नहीं होता. पारंपरिक तरीके से चूल्हे पर बड़े भगोने रखे जाते हैं. चूल्हों में लकड़ी और कंडे का उपयोग होता है. भगोने के ऊपर से भी आंच देने के लिए ऊपर थाली रखकर उन पर जलते हुए कंडे रखे जाते हैं, ताकि भोग को ऊपर और नीचे से आंच मिले और वह बराबर पके.

नया बाजार में होती है महाआरती : डीडवानिया ने बताया कि नया बाजार में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पहुंचने पर भव्य स्वागत किया जाता है. इसके बाद भगवान की महाआरती होती है. आरती के बाद भगवान जगन्नाथ तीर्थ यात्रा गंज स्थित जनकपुरी समारोह स्थल पहुंचती है. यहां भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के लिए फूलों का महल बनाया गया है. अगले 9 दिन तक भगवान जगन्नाथ यहीं विराजमान रह कर भक्तों को नित्य दर्शन देते हैं. यहां प्रत्येक दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना और श्रृंगार होता है.

90 बरस पहले शुरू हुई भगवान जगन्नाथ यात्रा : संरक्षक नरेंद्र कुमार डीडवानिया बताते हैं कि 95 बरस पहले अजमेर में सेठ राम रिछपाल श्रिया भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जगन्नाथ पुरी गए थे. वहां के दिव्य माहौल को देखकर उनके मन में भावना थी कि अजमेर में भी भगवान जगदीश का मंदिर बने और जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर यहां भी भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकले. सेठ राम रिछपाल श्रिया ने भगवान जगन्नाथ मंदिर के लिए ऋषि घाटी पर जमीन खरीदी और वहां भगवान जगदीश मंदिर का निर्माण करवाया. साथ ही भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा शुरू की.

पढ़ें. उदयपुर में 7 जुलाई को धूमधाम से निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

10 वर्ष पहले नया रथ बनाया गया : सेठ राम रिछपाल श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़ा के संरक्षक थे और मंदिर की जिम्मेदारी उन्होंने संस्था को ही दे दी. 90 बरस से संस्था सेठ राम रिछपाल की ओर से शुरू की गई भगवान जगन्नाथ की यात्रा पूरी आस्था और भव्यता के साथ प्रतिवर्ष निकालते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि पुराना रथ जीर्ण शीर्ण हो गया है. 80 बरस तक उस रथ पर भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती रही. 10 वर्ष पहले नया रथ बनाया गया. अब नए रथ पर भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती है. उन्होंने यह भी बताया कि इस बार भगवान चारभुजा नाथ की रेवड़ी भी भगवान जगन्नाथ की तरह रथ पर ही निकलेगी.

मौसी के घर जाते हैं भगवान जगन्नाथ : डीडवानिया ने बताया कि 15 दिन भगवान जगन्नाथ ज्वर के कारण अंतर्ध्यान हो जाते हैं. स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर जाते हैं. उनके साथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलराम भी होते हैं. मौसी के घर सात दिवसीय निवास भगवान जगन्नाथ का रहता है. इसके बाद भगवान जगन्नाथ वापस अपने धाम लौट आते हैं.

10 दिन तक होगा भव्य मोहत्सव : संयोजक राकेश डीडवानिया ने बताया कि 7 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा का आयोजन होगा. रथ यात्रा गज होते हुए नया बाजार चौपड़ पहुंचेगी. यहां भगवान की महाआरती का आयोजन होगा. यहां से यात्रा गंज, आगरा गेट, नया बाजार, गोल प्याऊ, चूड़ी बाजार, मदार गेट, नल बाजार, दरगाह बाजार, दिल्ली गेट से होते हुए वापस गंज स्थित जनकपुरी पहुंचेगी. अगले दिन 8 जुलाई से 15 जुलाई तक भगवान जगन्नाथ की कथा का नित्य आयोजन होगा. इसके बाद प्रतिदिन भजन संध्या होगी. भजन संध्या में देश के कई प्रसिद्ध भजन गायक अपनी प्रस्तुति देंगे. 16 जुलाई को समिति की ओर से रंग महोत्सव मनाया जाएगा. इसके बाद भगवान जगन्नाथ की यात्रा इस मार्ग से वापस भगवान जगदीश मंदिर पहुंचेगी.

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