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अलवर में भगवान जगन्नाथ का विवाह संपन्न, माता जानकी संग पहनी 15 फीट की वरमाला, रूप बास के लोगों ने किया कन्यादान - Lord Jagannath marriage

अलवर शहर की रथ यात्रा एक अनोखी रथ यात्रा है. यहां भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का अनोखा विवाह संपन्न किया जाता है. बुधवार को भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ. वरमाला महोत्सव में मंदिर के महंत की ओर से सबसे पहले कंपनी बाग से आई 15 फीट की वरमाला पहनाई गई.

LORD JAGANNATH MARRIAGE
अलवर में भगवान जगन्नाथ का विवाह (PHOTO : ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 18, 2024, 2:19 PM IST

अलवर में भगवान जगन्नाथ का विवाह संपन्न (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

अलवर. शहर के रूप बास स्थित रूप हरि मंदिर में बुधवार रात 11:30 बजे पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ. वरमाला के दौरान भगवान जगन्नाथ व माता जानकी को 15 वरमाला पहनाई गई, जिसमें सबसे पहले गुलाब व मोगरे के फूलों से बनी वरमाला पहनाई गई. इसके बाद छत्तीसगढ़ से आई वरमाला, चांदी की वरमाला साहित अन्य वरमाला पहनाई गई. इस दौरान पंडित कृष्ण गोपाल शर्मा को ओर से मंत्रोच्चारण किया गया. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न किया जाता है, जिसके साक्षी बनने के लिए अलवर जिले से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालू पहुंचते हैं.

मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि पौराणिक रिवाजों के साथ भगवान जगन्नाथ जी का विवाह संपन्न हुआ. पूरे लवाजमे के साथ माता जानकी अपने नोहरे से रथ में विराजित होकर मंदिर परिसर पहुंची, जहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु वरमाला के साक्षी बनने के लिए आतुर थे. वरमाला महोत्सव में मंदिर के महंत की ओर से सबसे पहले कंपनी बाग से आई 15 फीट की वरमाला पहनाई गई. इसके बाद अन्य वरमाला पहनाकर विवाह को संपन्न कराया गया. वरमाला महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर जानकी मैया जय जगदीश के जयकारों से गूंज उठा.

इसे भी पढ़ें : 21 फीट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ ....देखें वीडियो - Jagannath Rath Yatra in Kota

रूपबास की महिलाओं ने नोहरे में किया कन्यादान : माता जानकी की सावरी के रूप बास पहुंचने के बाद वहां मौजूद महिलाओं व पुरुषों ने सबसे पहले रथ को कलावा बांधा व आरती की. ऐसी परंपरा है कि रूप बास के लोग जानकी को अपनी बेटी मानते हैं. नोहरे में ठहरने के बाद से ही कन्यादान दान का दौर शुरू हो गया, जो रात 9 बजे तक चलता रहा. बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरुषों ने कन्यादान किया.

रथ में विराजित होकर पहुंचेंगे पुराना कटला मंदिर : 17 जुलाई को वरमाला महोत्सव संपूर्ण होने के बाद भगवान जगन्नाथ व माता जानकी इंद्र विमान में सवार होकर रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर से पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे. जहां महिलाओं की ओर से विवाहों की अन्य रस्में अदा की जाएगी. ब्राह्मण भोज के साथ 21 जुलाई को 15 दिवसीय रथयात्रा का समापन होगा.

इसे भी पढ़ें : जगन्नाथ महोत्सव: माता जानकी पहुंची रूपवास जनवासा, रात को होगा वरमाला महोत्सव - Jagannath MAHOHTSAV

वरमाला महोत्सव के एक दिन बाद मेला स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मेले में आने वाले श्रद्धालु मेले का आनंद लेते हैं. साथ ही वरमाला के बाद गर्भ गृह में विराजित भगवान जगन्नाथ व जानकी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रूपा स्थित मेला स्थल पर बड़ी संख्या में लोग झूलों पर झूलते हुए दिखाई दिए. यहां बड़े झूलों में झूलने के लिए लोगों की भीड़ दिखाई दी. दोपहर से ही मेला स्थल पर झूलों का आनंद लेने के लिए लोग पहुंचने लगे, जो देर रात 1 बजे तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे.

एक मात्र जगह जहां होता है विवाह संपन्न : भारतवर्ष में अलवर शहर की रथ यात्रा एक अनोखी रथ यात्रा है. यहां भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का अनोखा विवाह संपन्न किया जाता है. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही इस तरह की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें शामिल होने के लिए अन्य राज्यों के लोग भी अलवर पहुंचते हैं.

अलवर में भगवान जगन्नाथ का विवाह संपन्न (वीडियो ईटीवी भारत अलवर)

अलवर. शहर के रूप बास स्थित रूप हरि मंदिर में बुधवार रात 11:30 बजे पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ. वरमाला के दौरान भगवान जगन्नाथ व माता जानकी को 15 वरमाला पहनाई गई, जिसमें सबसे पहले गुलाब व मोगरे के फूलों से बनी वरमाला पहनाई गई. इसके बाद छत्तीसगढ़ से आई वरमाला, चांदी की वरमाला साहित अन्य वरमाला पहनाई गई. इस दौरान पंडित कृष्ण गोपाल शर्मा को ओर से मंत्रोच्चारण किया गया. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न किया जाता है, जिसके साक्षी बनने के लिए अलवर जिले से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालू पहुंचते हैं.

मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि पौराणिक रिवाजों के साथ भगवान जगन्नाथ जी का विवाह संपन्न हुआ. पूरे लवाजमे के साथ माता जानकी अपने नोहरे से रथ में विराजित होकर मंदिर परिसर पहुंची, जहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु वरमाला के साक्षी बनने के लिए आतुर थे. वरमाला महोत्सव में मंदिर के महंत की ओर से सबसे पहले कंपनी बाग से आई 15 फीट की वरमाला पहनाई गई. इसके बाद अन्य वरमाला पहनाकर विवाह को संपन्न कराया गया. वरमाला महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर जानकी मैया जय जगदीश के जयकारों से गूंज उठा.

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रूपबास की महिलाओं ने नोहरे में किया कन्यादान : माता जानकी की सावरी के रूप बास पहुंचने के बाद वहां मौजूद महिलाओं व पुरुषों ने सबसे पहले रथ को कलावा बांधा व आरती की. ऐसी परंपरा है कि रूप बास के लोग जानकी को अपनी बेटी मानते हैं. नोहरे में ठहरने के बाद से ही कन्यादान दान का दौर शुरू हो गया, जो रात 9 बजे तक चलता रहा. बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरुषों ने कन्यादान किया.

रथ में विराजित होकर पहुंचेंगे पुराना कटला मंदिर : 17 जुलाई को वरमाला महोत्सव संपूर्ण होने के बाद भगवान जगन्नाथ व माता जानकी इंद्र विमान में सवार होकर रूपवास स्थित रूप हरि मंदिर से पुराना कटला सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे. जहां महिलाओं की ओर से विवाहों की अन्य रस्में अदा की जाएगी. ब्राह्मण भोज के साथ 21 जुलाई को 15 दिवसीय रथयात्रा का समापन होगा.

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वरमाला महोत्सव के एक दिन बाद मेला स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मेले में आने वाले श्रद्धालु मेले का आनंद लेते हैं. साथ ही वरमाला के बाद गर्भ गृह में विराजित भगवान जगन्नाथ व जानकी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रूपा स्थित मेला स्थल पर बड़ी संख्या में लोग झूलों पर झूलते हुए दिखाई दिए. यहां बड़े झूलों में झूलने के लिए लोगों की भीड़ दिखाई दी. दोपहर से ही मेला स्थल पर झूलों का आनंद लेने के लिए लोग पहुंचने लगे, जो देर रात 1 बजे तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे.

एक मात्र जगह जहां होता है विवाह संपन्न : भारतवर्ष में अलवर शहर की रथ यात्रा एक अनोखी रथ यात्रा है. यहां भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का अनोखा विवाह संपन्न किया जाता है. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही इस तरह की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें शामिल होने के लिए अन्य राज्यों के लोग भी अलवर पहुंचते हैं.

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