अलवर. जन-जन के आराध्य कहे जाने वाले भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आगाज गणेश पूजन के साथ अलवर शहर में हो गया है. भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बीते 170 सालों से भी ज्यादा समय से अलवर शहर में निकाली जा रही है. खास बात यह है कि बीते करीब 70 वर्षों से इंद्र विमान में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को विराजित कर नगर भ्रमण के लिए निकाला जाता है. इंद्र विमान को अलवर के पूर्व राजा जयसिंह ने 1903 में अपनी शाही सवारी के लिए बनवाया था. 1948 में महाराजा तेज सिंह ने मंदिर समिति को शाही रथ दान दिया. 121 सालों में पहली बार इंद्र विमान के पिछले पहिए में कार्य किया जा रहा है.
![भगवान जगन्नाथ](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-07-2024/earliermaharajajaisinghofalwarusedtorideinthisroyalchariotitwasgiftedtothetemplein1948sincethentheprocessionoflordjagannathiscarriedoutduringindravivah_06072024170413_0607f_1720265653_295.jpg)
पहले प्रयोग में लिया जाता था जानकी जी का रथ : जगन्नाथ मंदिर मेला समिति के सदस्य धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि अलवर में निकलने वाली भव्य रथ यात्रा में प्रयोग में लिए जाने वाले इंद्र विमान को अलवर के तत्कालीन महाराजा तेजसिंह ने सन 1948 में भेंट किया था. तभी से इंद्र विमान का प्रयोग हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उपयोग में लिया जाता है. इसमें भगवान जगन्नाथ विराजित होकर पूरे लवाजमें के साथ रूप हरि मंदिर वरमाला महोत्सव के लिए पहुंचते हैं. इससे पहले जानकी जी के रथ को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए प्रयोग में लिया जाता था.
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121 साल में पहली बार हो रहा इंद्र विमान मे कार्य : धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि इंद्र विमान करीब 121 साल पुराना है. अभी तक इसमें कोई तकनीकी खराबी नहीं आई. हर साल इंद्र विमान को रथ यात्रा में उपयोग करने से पहले मरम्मत कराई जाती है, लेकिन पहली बार 121 साल बाद इंद्र विमान का पीछे का पहिया बदला जा रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से देखते हुए इसे बदलवाया जा रहा है. पहली बार हो रहे बदलाव में शीशम की लकड़ी से तैयार किया गया पहिया इंद्र विमान में लगाया जा रहा है. इसके लिए मनोहरपुर से लकड़ी मंगाई गई. इंद्र विमान के एक पहिए का खर्च करीब 2 लाख रुपए आया है. धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि इंद्र विमान काफी पुराना है. इनका विश्वकर्मा मिलना बहुत ही कठिन कार्य है, लेकिन अलवर जिले के मालाखेड़ा क्षेत्र के बरखेड़ा गांव के एक 90 वर्षीय बुजुर्ग विश्वकर्मा ने इस पहिए को निर्मित किया है. जल्द ही इसे इंद्र विमान ने लगाया जाएगा.
![इंद्र विमान में जाती है भगवान जगन्नाथ की बारात](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-07-2024/earliermaharajajaisinghofalwarusedtorideinthisroyalchariotitwasgiftedtothetemplein1948sincethentheprocessionoflordjagannathiscarriedoutduringindravivah_06072024170413_0607f_1720265653_146.jpg)
1948 में दो मंजिला इंद्र विमान को मंदिर को दिया दान : धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि इंद्र विमान दो मंजिला है, जिसे 1903 में पूर्व महाराज जय सिंह ने तैयार करवाया. उन्होंने बताया कि पूर्व महाराज जयसिंह इंद्र विमान में सवार होकर दशहरा की सवारी के लिए पूरे शहर के बीच से होकर निकलते थे. उस समय इंद्र विमान को हाथियों से खींचा जाता था. इसके बाद 1948 में अलवर के तत्कालीन राजा तेज सिंह ने मंदिर समिति को रथ यात्रा के लिए यह रथ दान किया.
पहले खींचते थे हाथी, अब ट्रैक्टर का मिलता है साथ : धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि इंद्र विमान को पहले हाथियों से खींचा जाता था, लेकिन आज के समय में बैल और हाथी उपलब्ध नहीं हैं. इसके चलते इसे ट्रैक्टर से खींचा जाता है. मंदिर के पास तीन रथ हैं, जो एलीफेंट चेरियट हैं. इंद्र विमान का विमान इस तरह निर्मित है कि उसे हाथी से ही खींचा जा सकता है. अब रथ यात्रा के समय रथ को ट्रैक्टर से खींचा जाता है.
![महाराज जयसिंह करते थे इंद्र विमान में सवारी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-07-2024/21885080_thhj.png)
15 जुलाई को इंद्र विमान में होंगे जगन्नाथ सवार : अलवर जगन्नाथ मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ इंद्र विमान में सवार होकर माता जानकी को ब्याहने रूप हरि मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे. भगवान को इंद्र विमान में सवार देखने के लिए पूरा शहर पलक पावड़े बिछाकर अगवानी करता है.