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एमसीबी में चित्रगुप्त भगवान की हुई आराधना, जानिए ब्रह्मा और कायस्थ समाज का नाता - Lord Chitragupta worshiped

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में चित्रगुप्त भगवान की विधि विधान से पूजा की गई. कायस्थ समाज के लोगों ने इस दौरान मनवांछित फल मांगा.

Lord Chitragupta worshiped in MCB
एमसीबी में चित्रगुप्त भगवान की हुई आराधना
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 27, 2024, 3:44 PM IST

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : भरतपुर में भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की गई. बुधवार को कायस्थ समाज के लोगों ने चित्रगुप्त महाराज की आराधना की. इस अवसर पर कई जगहों पर प्रतिमा स्थापित की गई थी. कायस्थ समाज के लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलम, दवात, कॉपी और पुस्तक की पूजा की. इस दौरान कायस्थ समाज ने भगवान चित्रगुप्त से मनवांछित फल मांगा.

क्या है पौराणिक मान्यता ? : पौराणिक मान्यता के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्माजी काफी चिंतित हुए. ब्रह्माजी की चिंता का कारण ये था कि पूरी सृष्टि की देखरेख करने वाला और लेखा जोखा रखने वाला कोई भी ना था. जब ब्रह्माजी को कोई उपाय नहीं सूझा तो ब्रह्मा ने 12 हजार की अखंड समाधी में लीन होकर तप किया.इस तप के कारण ब्रह्मा के शरीर से एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ. जिसका नाम ब्रह्मा ने कायस्थ रखा.

कलम से काम करने वाले करते हैं पूजा : कायस्थ को ब्रह्मा ने सभी जीवों के कर्मों का लेखा जोखा रखने का काम सौंपा. युवावस्था में कायस्थ का विवाह इरावती और शोभावती नामक कन्याओं से हुआ. कायस्थ की प्रथम पत्नी से चार और द्वितीय पत्नी से आठ पुत्र उत्पन्न हुए. ऐसी मान्यता है कि कलम से काम करने वाले सभी लोगों को कायस्थ भगवान की पूजा करनी चाहिए. सभी कायस्थ बंधु चित्रगुप्त भगवान के वंशज माने गए हैं.


स्थानीय लोगों की माने तो धरती के समस्त प्राणियों के लेखाजोखा करने के लिए ब्रह्मा की काया से उत्पन्न भगवान चित्रगुप्त कायस्थ समाज के आराध्य हैं. कायस्थ समाज कलम का धनी होता है.आदिकाल से लिखा-पढ़ी का कार्य करता आ रहा है. बदलते परिवेश में कायस्थ समाज आपसी विघटन के कारण हर क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है. सरकारी नौकरियों में कायस्थ समाज ना के बराबर रह गया है.

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मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : भरतपुर में भगवान चित्रगुप्त की पूजा अर्चना की गई. बुधवार को कायस्थ समाज के लोगों ने चित्रगुप्त महाराज की आराधना की. इस अवसर पर कई जगहों पर प्रतिमा स्थापित की गई थी. कायस्थ समाज के लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलम, दवात, कॉपी और पुस्तक की पूजा की. इस दौरान कायस्थ समाज ने भगवान चित्रगुप्त से मनवांछित फल मांगा.

क्या है पौराणिक मान्यता ? : पौराणिक मान्यता के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्माजी काफी चिंतित हुए. ब्रह्माजी की चिंता का कारण ये था कि पूरी सृष्टि की देखरेख करने वाला और लेखा जोखा रखने वाला कोई भी ना था. जब ब्रह्माजी को कोई उपाय नहीं सूझा तो ब्रह्मा ने 12 हजार की अखंड समाधी में लीन होकर तप किया.इस तप के कारण ब्रह्मा के शरीर से एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ. जिसका नाम ब्रह्मा ने कायस्थ रखा.

कलम से काम करने वाले करते हैं पूजा : कायस्थ को ब्रह्मा ने सभी जीवों के कर्मों का लेखा जोखा रखने का काम सौंपा. युवावस्था में कायस्थ का विवाह इरावती और शोभावती नामक कन्याओं से हुआ. कायस्थ की प्रथम पत्नी से चार और द्वितीय पत्नी से आठ पुत्र उत्पन्न हुए. ऐसी मान्यता है कि कलम से काम करने वाले सभी लोगों को कायस्थ भगवान की पूजा करनी चाहिए. सभी कायस्थ बंधु चित्रगुप्त भगवान के वंशज माने गए हैं.


स्थानीय लोगों की माने तो धरती के समस्त प्राणियों के लेखाजोखा करने के लिए ब्रह्मा की काया से उत्पन्न भगवान चित्रगुप्त कायस्थ समाज के आराध्य हैं. कायस्थ समाज कलम का धनी होता है.आदिकाल से लिखा-पढ़ी का कार्य करता आ रहा है. बदलते परिवेश में कायस्थ समाज आपसी विघटन के कारण हर क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है. सरकारी नौकरियों में कायस्थ समाज ना के बराबर रह गया है.

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