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ओबीसी आर्मी ने शुरू किया सदस्यता अभियान; लॉन्च की वेबसाइटस, लोकसभा चुनाव के लिए ठोंकी ताल

ओबीसी आर्मी (OBC Army) ने आज गोरखपुर में सदस्यता अभियान की देशव्यापी शुरुआत की. संगठन ने साथ ही वेबसाइट भी लॉन्च (OBC Army Website Launch) की. यह वेबसाइट 100 से ज्यादा भाषाओं में देखी जा सकेगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2024, 8:57 PM IST

Updated : Jan 23, 2024, 10:01 PM IST

ओबीसी आर्मी ने शुरू की सदस्यता अभियान

गोरखपुर: पिछड़ी जातियों को उनका हक, अधिकार और आरक्षण दिलाने की मांग के साथ सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करने वाले ओबीसी आर्मी ने 23 जनवरी से गोरखपुर में अपने सदस्यता अभियान की देशव्यापी शुरुआत की. इसके साथ ही वेबसाइट को भी लॉन्च किया. आर्मी की यह वेबसाइट 130 भाषाओं में देखी और पढ़ी जा सकेगी. साथ ही सदस्यता भी इसके माध्यम से ली जा सकेगी. वेबसाइट को लॉन्च करने के लिए खुद संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर मौजूद रहे. उनके साथ तमाम अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी रहे.

सदस्यता अभियान की शुरुआत करने और अपने संगठन की प्रमुख मांगों के साथ काली शंकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश और प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहने वाले राजनीतिक दलों ने अब तक ओबीसी वर्ग को विभिन्न जातियों के आधार पर बांटकर राजनीतिक लाभ लेने का कार्य किया. लेकिन, उन्हें उनका अधिकार नहीं दिया. ओबीसी आर्मी ओबीसी जातियों के अधिकार और आरक्षण की लड़ाई को लड़ रही है. यही वजह है कि अब यह आर्मी एक राजनीतिक संगठन के रूप में भी ऐसे राजनीतिक दलों के सामने होगा, जिन्होंने ओबीसी के अधिकारों को देने में आनाकानी की है. उन्होंने कहा कि देश में ओबीसी की आबादी 60% है. हमें उसके हिसाब से आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा. जबकि, संविधान में इसका उल्लेख पहले से किया गया है. जातिगत जनगणना करने में उत्तर प्रदेश सरकार अभी तक आगे नहीं आई है. जबकि, हाईकोर्ट इलाहाबाद ने सरकार को नोटिस दे रखा है.

काली शंकर ने कहा कि वेबसाइट के माध्यम से देशव्यापी सदस्यता अभियान शुरू होगा. इसमें कई भाषाएं शामिल हैं. दूसरे प्रदेश में दूसरी भाषा में काम करने वाला ओबीसी समाज का व्यक्ति मोर्चा के विचारों, उद्देश्यों और मांगों को समझते हुए इसकी सदस्यता ग्रहण करने के प्रति निश्चित रूप से आगे आएगा. उन्होंने कहा कि देश के छह बड़े ओबीसी संगठन एक साथ एक मंच पर ओबीसी मोर्चा के साथ आ चुके हैं. जब लोग बड़ी संख्या में सदस्य बनाकर एक साथ आ जाएंगे तो उनके हक और अधिकार की आवाज बुलंद करने में और ताकत मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमारा नारा है, 'ओबीसी आर्मी ने बांधी गांठ, पिछड़े पावें 100 में 60'.

उन्होंने अपनी आर्मी के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी मांग है कि जातिगत जनगणना कराई जाए. मंडल कमीशन की रिपोर्ट पूर्ण रूप से लागू की जाए. सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के अलावा संसद, विधानसभा और प्रमोशन में आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण मिले. युवाओं को रोजगार नहीं दे पाने की स्थिति में बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार सामाजिक सुरक्षा भत्ता दिया जाए. साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग मोर्चा पूरी मजबूती से उठा रहा है. उन्होंने कहा कि जो भी सरकार ओबीसी आर्मी की इन मांगों पर विचार करती है, आरक्षण लागू करने में सफल होती है. ओबीसी आर्मी उसको अपना समर्थन देने से परहेज नहीं करेगी. मोर्चा का उद्देश्य है कि ओबीसी समाज के हितों की रक्षा जिसके लिए वह किसी भी डाल को समर्थन दे सकती है और उससे समर्थन ले भी सकती है. उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग में ओबीसी आर्मी राजनीतिक दल के रूप में अपना पंजीकरण दाखिल कर चुकी है. इसके आधार पर लोकसभा चुनाव में वह मजबूती के साथ उतरेगी.

यह भी पढ़ें: सपा ने रविदास मेहरोत्रा को दिया लोकसभा चुनाव का टिकट, इंडिया गठबंधन से बातचीत जारी

ओबीसी आर्मी ने शुरू की सदस्यता अभियान

गोरखपुर: पिछड़ी जातियों को उनका हक, अधिकार और आरक्षण दिलाने की मांग के साथ सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करने वाले ओबीसी आर्मी ने 23 जनवरी से गोरखपुर में अपने सदस्यता अभियान की देशव्यापी शुरुआत की. इसके साथ ही वेबसाइट को भी लॉन्च किया. आर्मी की यह वेबसाइट 130 भाषाओं में देखी और पढ़ी जा सकेगी. साथ ही सदस्यता भी इसके माध्यम से ली जा सकेगी. वेबसाइट को लॉन्च करने के लिए खुद संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर मौजूद रहे. उनके साथ तमाम अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी रहे.

सदस्यता अभियान की शुरुआत करने और अपने संगठन की प्रमुख मांगों के साथ काली शंकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश और प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहने वाले राजनीतिक दलों ने अब तक ओबीसी वर्ग को विभिन्न जातियों के आधार पर बांटकर राजनीतिक लाभ लेने का कार्य किया. लेकिन, उन्हें उनका अधिकार नहीं दिया. ओबीसी आर्मी ओबीसी जातियों के अधिकार और आरक्षण की लड़ाई को लड़ रही है. यही वजह है कि अब यह आर्मी एक राजनीतिक संगठन के रूप में भी ऐसे राजनीतिक दलों के सामने होगा, जिन्होंने ओबीसी के अधिकारों को देने में आनाकानी की है. उन्होंने कहा कि देश में ओबीसी की आबादी 60% है. हमें उसके हिसाब से आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा. जबकि, संविधान में इसका उल्लेख पहले से किया गया है. जातिगत जनगणना करने में उत्तर प्रदेश सरकार अभी तक आगे नहीं आई है. जबकि, हाईकोर्ट इलाहाबाद ने सरकार को नोटिस दे रखा है.

काली शंकर ने कहा कि वेबसाइट के माध्यम से देशव्यापी सदस्यता अभियान शुरू होगा. इसमें कई भाषाएं शामिल हैं. दूसरे प्रदेश में दूसरी भाषा में काम करने वाला ओबीसी समाज का व्यक्ति मोर्चा के विचारों, उद्देश्यों और मांगों को समझते हुए इसकी सदस्यता ग्रहण करने के प्रति निश्चित रूप से आगे आएगा. उन्होंने कहा कि देश के छह बड़े ओबीसी संगठन एक साथ एक मंच पर ओबीसी मोर्चा के साथ आ चुके हैं. जब लोग बड़ी संख्या में सदस्य बनाकर एक साथ आ जाएंगे तो उनके हक और अधिकार की आवाज बुलंद करने में और ताकत मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमारा नारा है, 'ओबीसी आर्मी ने बांधी गांठ, पिछड़े पावें 100 में 60'.

उन्होंने अपनी आर्मी के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी मांग है कि जातिगत जनगणना कराई जाए. मंडल कमीशन की रिपोर्ट पूर्ण रूप से लागू की जाए. सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के अलावा संसद, विधानसभा और प्रमोशन में आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण मिले. युवाओं को रोजगार नहीं दे पाने की स्थिति में बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार सामाजिक सुरक्षा भत्ता दिया जाए. साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग मोर्चा पूरी मजबूती से उठा रहा है. उन्होंने कहा कि जो भी सरकार ओबीसी आर्मी की इन मांगों पर विचार करती है, आरक्षण लागू करने में सफल होती है. ओबीसी आर्मी उसको अपना समर्थन देने से परहेज नहीं करेगी. मोर्चा का उद्देश्य है कि ओबीसी समाज के हितों की रक्षा जिसके लिए वह किसी भी डाल को समर्थन दे सकती है और उससे समर्थन ले भी सकती है. उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग में ओबीसी आर्मी राजनीतिक दल के रूप में अपना पंजीकरण दाखिल कर चुकी है. इसके आधार पर लोकसभा चुनाव में वह मजबूती के साथ उतरेगी.

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Last Updated : Jan 23, 2024, 10:01 PM IST
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