भोपाल। मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 10 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. इन लोकसभा सीटों को अगर 4 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे के हिसाब से देखें तो कांग्रेस की स्थिति कमजोर ही दिखाई देती है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं. दोनों चुनाव को देखने का लोगों का नजरिया भी अलग होता है. यदि किसी लोकसभा सीट की सभी विधानसभा सीटों पर किसी एक पार्टी का कब्जा है तो माना जा सकता है कि वहां पर पार्टी की मजबूत पकड़ है.
भिंड में बीजेपी व कांग्रेस के बीच होगा कांटे का मुकाबला
भिंड लोकसभा सीट से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक फूल सिंह बरैया को चुनाव में उतारा है. उनका मुकाबला बीजेपी की संध्या राय से होगा. 3 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से देखा जाए तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. हालांकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट को कभी 1984 के बाद से जीत नहीं पाई. बता दें कि भिंड लोकसभा क्षेत्र में भिंड की 5 अटेर, भिंड, लहार, मेहगांव, गोहद और दतिया जिले की 3 सेंवड़ा, भांडेर और दतिया विधानसभा सीटें आती हैं. इन 8 विधानसभा सीटों में से बीजेपी और कांग्रेस का 4-4 सीटों पर कब्जा है. इस प्रकार यहां कांग्रेस व बीजेपी में कांटे का मुकाबला है.
- कांग्रेस जीती - अटेर, गोहद, भांडेर और दतिया विधानसभा सीट
- बीजेपी जीती - भिंड, लहार, मेहगांव, सेंवड़ा विधानसभा सीट
टीकमगढ़ में बीजेपी को फिलहाल हल्की बढ़त संभावित
टीकमगढ लोकसभा सीट से कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में पंकज अहिरवार को चुनाव में उतारा है. उनका मुकाबला बीजेपी के 7 बार के सांसद वीरेन्द्र कुमार खटीक से होगा. टीकमगढ़ लोकसभा सीट में टीकमगढ़, निवाड़ी और छतरपुर जिले की कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से बीजेपी के कब्जे में 5, जबकि कांग्रेस के खाते में 3 विधानसभा सीटें गईं. इस तरह विधानसभा सीटों के हिसाब से कांग्रेस की स्थिति थोड़ी कमजोर है. इधर, पिछले लोकसभा चुनावों का रिकॉर्ड देखें तो 2009 में अस्तित्व में आने के बाद से ही इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. टीकगमढ़ लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों में टीकमगढ़, खरगापुर, जतारा, निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर, निवाड़ी और छतरपुर जिले की बिजावर, महाराजपुर और छतरपुर सीट आती है.
- कांग्रेस जीती - टीकमगढ़, पृथ्वीपुर, खरगापुर विधानसभा सीट
- बीजेपी जीती- जतारा, निवाड़ी, महाराजपुर, छतरपुर, बिजावर विधानसभा सीट
सतना में कांग्रेस उम्मीदवार से विधानसभा चुनाव में हार चुके गणेश सिंह फिर सामने
सतना लोकसभा सीट पर बीजेपी पिछले 6 चुनावों से जीतती आ रही है. 1991 में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह आखिरी बार जीते थे. विधानसभा चुनावों के नतीजों के हिसाब से भी कांग्रेस की इस सीट पर स्थिति कमजोर दिखाई देती है. सतना लोकसभा सीट में 7 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें से 5 पर बीजेपी और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस ने इस बार इस सीट से सतना से विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को टिकट दिया है. जिन्होंने 4 बार के बीजेपी सांसद गणेश सिंह को विधानसभा चुनाव में हराया था. बीजेपी ने फिर से गणेश सिंह को मैदान में उतारा है.
- बीजपी जीती - चित्रकूट, रैगांव, नागौद, मैहर, रामपुर बघेलान विधानसभा सीट
- कांग्रेस जीती - सतना, अमरपाटन विधानसभा सीट
सीधी की 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी का कब्जा
सीधी लोकसभा सीट में कांग्रेस ने इस बार प्रदेश के पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला बीजेपी के डॉ.राजेश मिश्रा से होगा. कमलेश्वर पटेल विधानसभा में सिंहावल सीट से चुनाव हार गए थे. इस लोकसभा सीट में आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी का कब्जा है. कांग्रेस सिर्फ चुरहट सीट से ही यहां जीत पाई. लोकसभा चुनाव के पिछले नतीजों को देखा जाए तो तीन चुनाव से कांग्रेस यहां लगातार हारती आ रही है. 2007 में कांग्रेस के माणिक सिंह आखिरी बार यहां से जीते थे.
- बीजेपी जीती - सीधी, सिंहावल, चितरंगी, सिंगरौली, देवसर, धौहानी, ब्यौहारी विधानसभा सीट
- कांग्रेस जीती - चुरहट विधानसभा सीट
मंडला सीट पर कांग्रेस मजबूत, लगातार 2 चुनाव जीती बीजेपी
मंडला लोकसभा सीट पर कांग्रेस विधायक ओंमकार सिंह मरकाम का मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते से होगा. फग्गन सिंह पिछले दो लोकसभा चुनाव इस सीट से जीत चुके हैं. कांग्रेस ने इस सीट से 2009 में आखिरी चुनाव जीता था. विधानसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो इस लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें कांग्रेस की स्थिति मजबूत है. 8 में से 5 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि 3 पर बीजेपी काबिज है.
- बीजेपी जीती - शाहपुरा, मंडला, गोटेगांव विधानसभा सीट
- कांग्रेस जीती - डिंडौरी, बिछिया, निवास, केवलारी, लखनादौन
देवास सीट पर बीजेपी की मजबूत पकड़, अब नए चेहरे से उम्मीद
देवास लोकसभा सीट पर विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से बीजेपी की मजबूत पकड़ है. इस सीट में सीहोर, आगर मालवा, शाजापुर और देवास जिले की 8 विधानसभा सीटें आती हैं और सभी पर बीजेपी का कब्जा है. बीजपी इस सीट पर पिछले 2 लोकसभा चुनाव से अपना कब्जा किए हुए है. पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने 2009 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि वे पिछला विधानसभा चुनाव हार गए. कांग्रेस ने इस बार सीट से नए चेहरे राजेन्द्र मालवीय को चुनाव में उतारा है. उनका मुकाबला बीजेपी के महेन्द्र सोलंकी से होगा.
- बीजेपी जीती - आष्टा, आगर, शाजापुर,शुजालपुर, कालापीपल, सोनकच्छ, देवास, हाटपिपलिया विधानसभा सीट
खरगोन सीट पर कांग्रेस की हालत बीजेपी से बेहतर
खरगौन लोकसभा सीट से कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में पूर्व अधिकारी पोरलाल खरते को चुनाव में उतारा है. उनका मुकाबला बीजेपी के गजेन्द्र सिंह से होगा. खरगोन लोकसभा सीट में विधानसभा सीटों के हिसाब से कांग्रेस की पकड़ मजबूत है. इसकी 8 विधानसभा में से 5 पर कांग्रेस जबकि 3 पर बीजेपी काबिज है. बीजेपी इस लोकसभा सीट पर पिछला दो चुनाव जीतती आ रही है. कांग्रेस के अरुण यादव ने 2009 में यहां से आखिरी चुनाव जीता था.
- बीजेपी जीती - महेश्वर, खरगोन, पानसेमल
- कांग्रेस जीती - कसरावद, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, बड़वानी विधानसभा सीट
बैतूल लोकसभा सीट पर कांग्रेस से काफी आगे बीजेपी
बैतूल लोकसभा सीट से कांग्रेस ने एक बाद फिर युवा नेता रामू टेकाम पर दांव लगाया है. वे बीजेपी सांसद दुर्गादास उइके से पिछला चुनाव हार गए थे. बैतूल लोकसभा सीट पर बीजेपी की मजबूत पकड़ है. बीजेपी इस सीट पर पिछले 8 लोकसभा चुनाव से जीतती आ रही है. कांग्रेस ने आखिरी बार 1991 में यहां जीत का स्वाद चखा था, तब कांग्रेस के असलम शेर खान ने जीत दर्ज की थी. बैतूल लोकसभा सीट में बैतूल, हरदा और खंडवा की विधानसभा सीटें आती हैं, इसमें से बीजेपी के कब्जे में 8 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 2 विधानसभा सीटें जीत पाई थी.
- बीजेपी जीती - मुलताई, आमला, बैतूल, घोड़ाडौंगरी, भैंसादेही, हरसूद विधानसभा सीट
- कांग्रेस जीती - हरदा, टिमरनी
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस की स्थिति पर क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
मध्य प्रदेश की राजनीति के जानकार व वरिष्ठ पत्रकार अजय बोकल कहते हैं कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है. विधानसभा चुनाव में मुद्दे जहां स्थानीय होते हैं, वहीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर मतदाताओं को मुद्दे प्रभावित करते हैं, हालांकि इसके बाद भी विधानसभा चुनाव में किसी लोकसभा सीट में आने वाली सीटों पर पार्टी की क्या स्थिति है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां पार्टी कितनी मजबूत स्थिति में है और लोकसभा सीट पर पार्टी की संगठनात्मक स्थिति कितनी मजबूत है.