लखनऊ: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लोगों का पूरा समर्थन मिल रहा है. मणिपुर से मुंबई तक अपनी न्याय जोड़ो यात्रा कर रहे हैं. राहुल गांधी की यात्रा को देखकर असम के मुख्यमंत्री ने किस तरीके की हरकत की, इसे सभी ने देखा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर राहुल गांधी को डराने के लिए यह काम किया जा रहा है. लेकिन, कांग्रेस इससे डरने वाली नहीं है. 14 फरवरी को यह यात्रा यूपी आ रही है. यह बात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने गुरुवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता में कही.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा को बल देने के लिए कांग्रेस पहले जन जागरण यात्रा करेगी. इसके तहत 26 जनवरी को सभी कार्यकर्ता ब्लॉक लेवल से निकलेंगे. यह यात्रा 30 जनवरी को महात्मा गांधी के शहीदी दिवस पर सभी जिला मुख्यालय पर समाप्त होगी. इस यात्रा के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता स्वत्रंतता सेनानी और देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के घर जाएंगे व उनका सम्मान करेंगे. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार यात्रा को मिल रहे अपार जनसमर्थन से इतनी बौखला गई है कि यात्रा पर हमले कराना, बैनर-पोस्टर फड़वाना और राहुल जी के खिलाफ फर्जी एफआईआर कराना इस स्तर पर उतर आई है.
कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बुलंदशहर से अपनी रैली की शुरुआत की. लेकिन, दुर्भाग्य देखिए कि यूपी के उज्जवल भविष्य के लिए इनके पास कोई योजना नहीं है. एक जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर हम किसानों से, युवाओं से, महिलाओं से और रोजगार से जुड़े सवाल उठाएंगे. उन्होंने कहा कि आज हम किसानों से जुड़े पांच सवाल मोदी और योगी से करेंगे.
किसानों की आमदनी नहीं हुई दोगुना-दर्द क्यों दिया सौ गुना?
प्रधानमंत्री ने फरवरी 2016 को यूपी में बरेली की रैली में घोषणा की थी कि किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी कर देंगे. लेकिन, हाल ही में आई एनएसएसओ की रिपोर्ट ने बताया कि किसानों की खेती से औसत आमदनी 27 रुपये प्रतिदिन और औसत कर्ज 74000 रुपये प्रति किसान हो गया है. 2014-22 तक 100474 किसानों ने आत्महत्या की.
खेती के बजट पर क्यों चलाई कैंची?
मोदी सरकार में साल 2020-21 में देश में कृषि विभाग का बजट कुल केंद्रीय बजट का 4.41 प्रतिशत था. 2023-24 के बजट में कृषि का बजट कुल देश के बजट का मात्र 2.57 प्रतिशत रह गया है. पिछले पांच साल में मोदी सरकार ने कृषि विभाग के बजट से 105544 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं किया. प्रतिवर्ष कृषि विभाग की सरेंडर्ड बजट राशि का आंकड़ा देखें तो इस प्रकार है. वर्ष 2023-24 में यूपी सरकार ने भी मोदी सरकार की तर्ज पर कृषि विकास विभाग में 8104 करोड़ रुपये का प्रावधान तो किया, मगर उसमें से मात्र 3673 करोड़ रुपये 1 जनवरी 2024 तक खर्च किया.
वर्ष खर्च नहीं किया गया पैसा
2018-19 - 21043.75 करोड़ रुपये
2019-20 - 34,518 करोड़ रुपये
2020-21 - 23,825 करोड़ रुपये
2021-22 - 5152.6 करोड़ रुपये
2022-23 - 21005.13 करोड़ रुपये
कुल - 105544 करोड़ रुपये
किसान सम्मान निधि में से 2 करोड़ 29 लाख किसानों का नाम क्यों हटा दिया गया?
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ तो मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में खेती की लागत 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर बढ़ा दी तो दूसरी ओर 6000 रुपये प्रति किसान प्रतिवर्ष देने का स्वांग रचा. लेकिन, अब किसान सम्मान निधि में से भी 2 करोड़ 15 लाख से अधिक किसानों के नाम ही काट डाले. 8 अगस्त 2023 को भाजपा सरकार ने जो आंकड़े पेश किए उसमें बताया कि 2023-24 में 22907445 किसानों को किसान सम्मान निधि से वंचित कर दिया गया है. वहीं, उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा सबसे अधिक 5902333 किसान है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को निजी कंपनी मुनाफा योजना क्यों बना दिया?
अजय राय ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फरवरी 2016 से 2021-22 तक निजी कंपनियों ने कुल 39687.59 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया है. वहीं, उत्तर प्रदेश में इसी अवधि के दौरान 4458.45 करोड़ रुपये निजी बीमा कंपनियों ने कमाया. इसी वजह से प्रधानमंत्री के अपने प्रांत गुजरात, बिहार, झारखंड, तेलंगाना सहित कई प्रांतों ने इस योजना पर ताला लगा दिया है.
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के साथ कुठाराघात क्यों?
अजय राय ने आरोप लगाया कि देश भर के गन्ना किसानों का 8677 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि कानूनी रूप से किसानों को 14 दिन के अंदर यह भुगतान कर दिया जाना चाहिए, जो दिया नहीं गया. वहीं, उत्तर प्रदेश का यह आंकड़ा 5824 करोड़ है. यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भाजपा सरकार ने एक तरफ खेती की लागत बढ़ाकर किसानों की आमदनी खत्म कर दी है. वहीं, यूपी की भाजपा सरकार ने 2023-24 में गन्ने के लिए राज्य परामर्श मूल्य में मात्र 20 रुपये की वृद्धि की है, जिससे गन्ना का भाव 370 रुपये प्रति क्विंटल होगा, जबकि किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे. किसानों के जो सिंचाई के संसाधन लगाए जाते हैं, किसी किसान से बिल नहीं लिया जाएगा. लेकिन बिल बढ़ा दिया गया है.
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