लखनऊ: 2024 का सियासी संग्राम शुरू हो गया है. पहले चरण में यूपी की 8 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा. नामांकन प्रक्रिया अभी चल रही है. पर्चा दाखिले की आखिरी तारीख 27 मार्च तक सभी दल के घोषित उम्मीदवार अपना-अपना नॉमिनेशन कर चुके होंगे . सभी 8 सीटों पर प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. बस, समाजवादी पार्टी अभी तक रामपुर में अपने पत्ते नहीं खोल पाई है. सूत्रों की मानें तो यहां से खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव या फिर आजम खान के परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ सकता है. बीते शुक्रवार को अखिलेश ने सीतापुर जेल में आजम खान से मुलाकात की थी. उसके बाद से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं.
रामपुर लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- घनश्याम लोधी
- सपा-कांग्रेस- ?
- बसपा- जीशान खान
रामपुर लोकसभा सीट पर वर्तमान में तो भाजपा का कब्जा है. भाजपा के घनश्याम सिंह लोधी यहां से सांसद हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भी भाजपा ने घनश्याम लोधी को ही टिकट दिया है. लेकिन, रामपुर सीट लंबे समय से सपा और आजम खान का गढ़ रही है. रामपुर नवाब खानदान के किले को ध्वस्त करके आजम खान ने इसे अपना गढ़ बनाया था. लेकिन, मौजूदा समय में आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी तजीन फात्मा जेल में हैं. उन पर चुनाव लड़ने प्रतिबंध है. ऐसे में आजम के दूसरे बेटे अदीम आजम या बहू सिदरा अदीब में से किसी को चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं. अब देखना ये होगा कि अखिलेश किस पर मुहर लगाते हैं.
सहारनपुर लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- राघव लाल शर्मा (तीसरी बार)
- सपा-कांग्रेस- इमरान मसूद (कांग्रेस) (तीसरी बार)
- बसपा- माजिद अली
वर्तमान में सहारनपुर सीट बसपा के कब्जे में है. बसपा के हाजी फजलुर्रहमान 2019 में भाजपा के राघव लाल शर्मा को हराकर सांसद बने थे. भाजपा ने इस बार लगातार तीसरी बार राघव लाल शर्मा पर भरोसा जताया है. राघव लाल पहली बार 2014 में भाजपा के टिकट पर यहीं से सांसद बने थे. वहीं हाजी फजलुर्रहमान बसपा का दामन छोड़ चुके हैं. इसलिए बसपा ने माजिद अली को यहां से उम्मीदवार बनाया है. बात करें इंडिया गठबंधन की तो ये सीट कांग्रेस के खाते में है. कांग्रेस ने इमरान मसूद को टिकट दिया है. इमरान भी कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार चुनाव मैदान में होंगे लेकिन, आज तक उनको जीत का स्वाद नहीं मिला.
कैराना लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- प्रदीप चौधरी (भाजपा)
- सपा-कांग्रेस- इकरा हसन (सपा)
- बसपा- श्रीपाल सिंह राणा
पलायन के मुद्दे से देशभर में चर्चाओं में आई कैराना लोकसभा सीट पर इस बार भी हर किसी की नजर है. वर्तमान में सीट पर भाजपा के प्रदीप चौधरी का कब्जा है. उनके सामने लगातार दो बार भाजपा सांसद रहे हरपाल सिंह के रिकॉर्ड की बराबरी करने की चुनौती है. तो समाजवादी पार्टी की इकरा हसन के सामने विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती है. इसी तरह पहली बार चुनाव लड़ रहे बसपा के श्रीपाल सिंह राणा के सामने अपनी साख बचाना चुनौती होगी.
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- संजीव कुमार बालियान (भाजपा)
- सपा-कांग्रेस- हरेंद्र सिंह मलिक (सपा)
- बसपा- दारा सिंह प्रजापति
पश्चिम उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर सीट जाट बेल्ट में आती है. 2013 के दंगों ने इस सीट को पूरे देश में चर्चित कर दिया. वर्तमान में भाजपा के संजीप बालियान यहां से सांसद हैं. 2014 और 2019 में लगातार दो बार संजीव बालियान इस सीट से सांसद बने और इस बार फिर से भाजपा ने उन पर भरोसा जताया है. अब उनकी नजर हैट्रिक पर है. यहां पर उनको मुख्य टक्कर सपा के हरेंद्र सिंह मलिक से मिलने वाली है. हालांकि, बसपा के दारा सिंह प्रजापति भी कुछ कम नहीं हैं.
बिजनौर लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद - चंदन चौहान (रालोद)
- सपा-कांग्रेस- दीपक सैनी (सपा)
- बसपा- विजेंद्र सिंह
बिजनौर लोकसभा सीट से बसपा सुप्रीमो मायावती भी जीत हासिल कर चुकी हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने भाजपा से ये सीट छीन ली थी. अब इस बार देखना ये है कि क्या भाजपा गठबंधन यहां जीत हासिल कर पाएगा. भाजपा ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. क्योंकि, ये सीट रालोद के खाते में गई है. लोकसभा चुनाव 2024 में रालोद भाजपा के साथ गठबंधन में है.
नगीना लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- ओम कुमार (भाजपा)
- सपा-कांग्रेस- मनोज कुमार (सपा)
- बसपा- सुरेंद्र पाल सिंह
साल 2009 में बनी नगीना लोकसभा सीट पर वोटरों के मिजाज को अभी तक कोई समझ नहीं पाया है. अब तक हुए तीन लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने हर बार अलग-अलग पार्टी के प्रत्याशी को जीत दिलाई है. यानी अब तक के चुनावी परिणाम में भाजपा- सपा और बसपा एक-एक बार जीत दर्ज कर चुकी है.
मुरादाबाद लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- सर्वेश सिंह (भाजपा)
- सपा-कांग्रेस- डॉ. एसटी हसन (सपा)
- बसपा- मुहम्मद इरफान सैफी
मुरादाबाद सीट भाजपा के लिए कांटों वाली सीट रही है. क्षेत्र मुस्लिम बहुल होने के नाते यहां से सपा और कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतते आए हैं. हालांकि, 2014 में भाजपा के सर्वेश कुमार ने सभी समीकरण तोड़ते हुए जीत दर्ज की थी. लेकिन 2019 में उनको हार का सामना करना पड़ा था. इस बार भाजपा ने फिर से सर्वेश कुमार पर भरोसा जताया है. सपा ने अपने सांसद डॉ. एसटी हसन को ही मैदान में उतारा है. वैसे इस सीट से टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन भी जीत दर्ज कर चुके हैं. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
पीलीभीत लोकसभा सीट
- भाजपा-रालोद- जितिन प्रसाद (भाजपा)
- सपा-कांग्रेस- भगवत शरण गंगवार
- बसपा- अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू
पीलीभीत लोकसभा सीट पर कुर्मी बिरादरी के मतदाता ज्यादा हैं. लेकिन, यहां के समीकरण को गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी ने बदला और कुर्मी बिरादरी के भानु प्रताप के हराया था. उसके बाद से यह सीट भाजपा के ही पास रही. मेनका गांधी के बाद उनके बेटे वरुण गांधी यहां से जीतते रहे. मेनका गांधी सुलतानपुर से चुनाव लड़ती रहीं. लेकिन, इस बार वरुण गांधी का भाजपा ने टिकट काट दिया. उनकी जगह पर भाजपा ने राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद को टिकट दिया है. इसके उलट सपा ने यहां से कुर्मी बिरादरी के भगवत शरण गंगवार को उतारा है. वैसे इतिहास को देखा जाए तो मेनका गांधी के बाद से कुर्मी बिरादरी का कोई भी नेता यहां से संसद तक नहीं पहुंचा.