लखनऊ : उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 17 सुरक्षित लोकसभा सीटें हैं. कभी इन सुरक्षित लोकसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी की स्थिति बदतर होती गई और इन सुरक्षित लोकसभा सीटों पर भी अन्य राजनीतिक दलों ने सेंध लगा दी. बहरहाल अभी इन्हीं 17 लोकसभा सीटों पर बसपा सुप्रीमो मायावती का फोकस है. इस बार इन सीटों में से आठ से ज्यादा सीटों पर बीएसपी ने अपने काॅडर को मौका दिया है.
बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक कुल 64 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं. 16 प्रत्याशी घोषित होने बाकी हैं, लेकिन 17 सुरक्षित लोकसभा सीटों में हरदोई सुरक्षित, फूलपुर, आजमगढ़, रॉबर्ट्ससगंज, लालगंज, जालौन, कौशांबी और बुलंदशहर पर पार्टी ने अपने काॅडर को उतारकर सेफ सीट बसपा के लिए सुरक्षित करने का कदम उठाया है.
हालांकि इन सीटों पर भी बहुजन समाज पार्टी की राह इस बार बिल्कुल भी आसान होने वाले नहीं है. इसका मुख्य कारण यह है कि बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में बिना किसी गठबंधन के अकेले ही चुनाव मैदान में है. अकेले चुनाव लड़ने का हश्र क्या हुआ यह बीएसपी को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में पता लग चुका है.
Reserved Lok Sabha Seats of UP: जहां 403 सीटों में से पार्टी सिर्फ एक ही सीट जीतने में सफल हो पाई थी. ऐसे में सुरक्षित सीटों पर भी बहुजन समाज पार्टी का किला ढह चुका है. लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी ने यूपी के ही कई दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव में जाना सही समझा, वहीं समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस पार्टी को अपने साथ लेकर चुनाव लड़ना ही उचित समझा तो ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के अकेले लड़ने की जिद कितनी सही साबित होगी इसका पता तो चार जून को ही चलेगा, लेकिन चर्चा यही है कि बसपा की सियासी जमीन लगातार कमजोर होती जा रही है.
आठ सुरक्षित सीटों पर उतारे काॅडर के प्रत्याशी : लालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट डॉ. इंदु चौधरी, जालौन सुरक्षित लोकसभा सीट सुरेश चंद्र गौतम, कौशांबी सुरक्षित लोकसभा सीट शुभ नारायण, हरदोई सुरक्षित लोकसभा सीट भीमराव अंबेडकर, बुलंदशहर लोकसभा सीट गिरीश चंद्र जाटव, फूलपुर लोकसभा सीट जगन्नाथ पाल, रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट धनेश्वर गौतम और आजमगढ़ लोकसभा सीट भीम राजभर.
सुरक्षित सीटों पर प्रचार का जिम्मा भी उठाएंगी मायावती : यूपी की 17 सुरक्षित लोकसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार अभियान की कमान भी संभालेंगी. इन क्षेत्रों में प्रचार करके वह अपने कैडर को यह भी संदेश देने का प्रयास करेंगी कि दलितों की असली शुभचिंतक बहुजन समाज पार्टी है. वह इधर-उधर बिल्कुल न भटकें. बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक की बात की जाए, तो 2014 में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.
2019 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा, तो 10 सीटें जीती थीं. 2022 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीती थी. अब बहुजन समाज पार्टी में पहले की तरह कैडर का कोई बड़ा नेता नहीं रह गया है. सभी नेता दूसरी पार्टियों का रुख कर चुके हैं. ऐसे में दूसरे नंबर के लिए नेताओं में लगी होड़ को मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित कर समाप्त कर दिया.
2009 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने 20 सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी को कुल 27.04 फीसद मत प्राप्त हुए थे. 2014 में एक भी सीट नहीं मिली थी, लेकिन मत प्रतिशत 19.06 रहा था. 2019 में बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी और 10 सीटें जीतने में सफल हुई और 19.43 मत फीसदी रहा.