चंडीगढ़: अंबाला लोकसभा सीट इस बार लगातार चर्चाओं में बनी हुई है. क्योंकि वर्ष 2019 में यहां से विजयी रहे सांसद रहे रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद से यह सीट खाली है. अंबाला लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो साल 1952 से अब तक 17 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला रहा है. कांग्रेस ने 9 बार जीत हासिल की है, जबकि पांच बार भाजपा विजयी रही है. दोनों दल इस बार इस अंबाला लोकसभा सीट को हाथ से फिसलने नहीं देना चाहते. लेकिन भाजपा के लिए इस बार कड़ी चुनौती का कारण दिवंगत सांसद रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद अंबाला से सक्रिय राजनीति का कोई अन्य मजबूत चेहरा न होना है. हालांकि लोकसभा चुनाव के लिए रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है.
अंबाला से अब तक कांग्रेस की हैट्रिक: साल 1952 से 2019 तक कुल 17 लोकसभा चुनावों में अब तक कांग्रेस के उम्मीदवार राम प्रकाश ने ही हैट्रिक लगाई है. दिवंगत राम प्रकाश लोकसभा चुनावों में वर्ष 1984 से 1991 तक लगातार तीन बार विजयी रहे. लेकिन, इस बार भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारियों में है.
1996 में BJP की वापसी: कांग्रेस की हैट्रिक के बाद वर्ष 1996 में भाजपा के उम्मीदवार सूरजभान ने पार्टी को जीत दिलाई. लेकिन, साल 1998 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी से अमन कुमार नगरा ने चुनाव जीता था. हालांकि वर्ष 1999 में फिर से बीजेपी उम्मीदवार रतनलाल कटारिया विजयी रहे थे. बीजेपी उम्मीदवार रतनलाल कटारिया को 3,57,460 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार फूल चंद मुलाना 2,32,982 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. साल 1998 में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अमन कुमार नगरा ने 2,73,792 वोट के साथ जीत हासिल की थी. जबकि, बीजेपी उम्मीदवार सूरज भान 2,70,928 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
2004 में वापसी और 2014 में फिसली सीट: अंबाला की आरक्षित लोकसभा सीट पर वर्ष 2004 और 2009 में कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा ने जीत दर्ज की थी. साल 2004 में कुमारी सैलजा 4,15,264 वोट के साथ विजयी रही थीं. जबकि, बीजेपी उम्मीदवार रतनलाल कटारिया दूसरे नंबर पर रहे थे. रतनलाल कटारिया को 1,80,329 वोट पड़े थे. वहीं, साल 2009 में भी कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी सैलजा ने जीत हासिल की थी. कुमारी सैलजा को 3,22,258 मत मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार रतनलाल कटारिया 3,07,688 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. लेकिन, साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बदलने और मोदी लहर के चलते रतनलाल कटारिया ने जीत हासिल की थी. रतनलाल कटारिया को 6,12,121 मत मिले थे. वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार राज कुमार वाल्मीकि दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस उम्मीदवार को 2,72,047 वोट पड़े थे.
2019 की चुनावी समीकरण: साल 2019 में अंबाला की ऐतिहासिक सीट पर बीजेपी से रतनलाल कटारिया ने कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी सैलजा को हराकर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. इस चुनाव में रतन लाल कटारिया को 7,46,508 मत मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी सैलजा को 4,04,163 वोट मिले थे. इस तरह से बीजेपी ने इस सीट पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है. अब बीजेपी इस सीट पर हैट्रिक लगाकर रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है.
अंबाला लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीट: अंबाला लोकसभा सीट की सीमाएं पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश से लगी हैं. अंबाला लोकसभा सीट के अंतर्गत अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर जिले के 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें कालका, पंचकूला, अंबाला शहर, अंबाला कैंट, नारायणगढ़, मुलाणा, सढोरा, जगाद्री और यमुनानगर शामिल हैं. 2019 में अंबाला लोकसभा क्षेत्र में करीब 17 लाख मतदाता थे. 1952 और 1957 में 2 लोकसभा क्षेत्र थे, एक सामान्य और एक आरक्षित वर्ग के लिए था.
अंबाला लोकसभा सीट को लेकर बीजेपी की रणनीति: राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बीजेपी इन सभी सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करके हर वर्ग को साथ जोड़कर लोकसभा चुनाव में जीत के इंतजार में है. इसी के चलते कार्यकर्ताओं समेत प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री मनोहर लाल और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक बीते समय पंचकूला में रोड शो और मीटिंग करने आ चुके हैं. सीएम मनोहर लाल भी बजट और उससे पहले अन्य योजनाओं के माध्यम से हर वर्ग को साधने के प्रयास में हैं.
अंबाला लोकसभा क्षेत्र में मतदाता: अंबाला लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में 9 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस क्षेत्र में करीब 1,853,711 मतदाता है. इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,62,997, और महिला मतदाताओं की संख्या 9,90,684 है. वहीं, इस क्षेत्र में 30 थर्ड जेंडर हैं. वहीं, साल 2019 में कुल मतदाता 13,16,235 थे. इनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 7,07,597 और महिला मतदाताओं की संख्या 6,05,795 थी. 2019 में इस सीट पर कुल मतदान प्रतिशत 71.01 फीसदी था.
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