धौलपुर. करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र के लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में घोषित होने के बाद भाजपाई हार पर मंथन कर रहे हैं. भाजपा की इंदु देवी जाटव को कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा है. यहां कांटे की टक्कर एवं सीट फंसा हुआ माना जा रहा था, लेकिन 4 जून को मतगणना के दौरान ईवीएम मशीन के पिटारे से निकले फैसले ने सभी को चौंका दिया. कांग्रेस प्रत्याशी भजनलाल जाटव ने भाजपा की इंदु देवी जाटव को 98 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी है.
मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी भाजपा : करौली-धौलपुर संसदीय सीट पिछले दो चुनावों में भाजपा की झोली में रही थी, लेकिन वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के अरमानों पर पानी फेर दिया. स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता एवं संगठन पदाधिकारियों की बात की जाए तो वे मोदी सरकार के बड़े फैसले और उनके चेहरे की ओर चुनाव को फोकस कर रहे थे. जबकि क्षेत्रीय मतदाताओं का मिजाज सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, महंगाई, बेरोजगारी एवं खेती किसानी जैसे बुनियादी मुद्दों केंद्रित था.
दलित एवं एसटी वोट पर कांग्रेस की पकड़ रही मजबूत : वैसे तो करौली-धौलपुर संसदीय सीट आरक्षित है. इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस एवं बहुजन समाज पार्टी ने अपने-अपने प्रत्याशी जाटव समाज से ही घोषित किए थे. भाजपा से इंदु देवी जाटव, कांग्रेस से पूर्व मंत्री भजनलाल जाटव एवं बहुजन समाज पार्टी से विक्रम सिंह सिसोदिया चुनावी रण में थे. जाटव एवं अन्य दलित समाज ने अधिकांश वोट कांग्रेस के पक्ष में किया है. वहीं, एसटी का वोट भी कांग्रेस लेने में कामयाब रही. यही वजह रही कि करौली, सपोटरा, हिंडौन सिटी एवं टोडाभीम से कांग्रेस को बंफर लीड मिली.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धरातल पर किया काम : राजनीतिक जानकार ये भी मानते हैं कि इस क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस बार धरातल पर काम किया था. केंद्र सरकार की नाकामियों को आम जनता के सामने पहुंचाया गया. दलित समाज का वोट संविधान को बचाने की दुहाई देकर अधिकांश कांग्रेस के पक्ष में किया गया. वहीं, भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता और संगठन पदाधिकारी की बात की जाए तो वे बैठक एवं सभाओं तक सीमित रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल एवं अन्य नेताओं ने भी सभाएं की थीं. बड़े नेताओं के चेहरों को ढाल बनाकर भाजपा चुनाव जीत के दावे ठोक रही थी.
पूर्व सांसद मनोज राजोरिया का भी देखा गया विरोध : वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में दो बार लगातार सांसद रहे डॉक्टर मनोज राजोरिया के विरोध का भी सामना भाजपा की इंदु देवी को करना पड़ा है. मनोज राजोरिया के खिलाफ करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र के लोगों में एंटी इनकम्बेंसी देखी गई थी, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा.
वसुंधरा राजे गुट रहा निष्क्रिय : हार की एक वजह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुट का निष्क्रिय होना माना जा रहा है. चुनाव के दौरान धौलपुर एवं करौली जिले में वसुंधरा राजे गुट के कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भी वरीयता नहीं दी गई थी. विशेष कर धौलपुर जिले में वसुंधरा गुट के कार्यकर्ता निष्क्रिय रहे थे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं उनके कार्यकर्ताओं की चुप्पी का भी नुकसान भाजपा को झेलना पड़ा है.
करौली की चारों विधानसभा में भाजपा को मिली करारी हार : करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र में करौली जिले की सपोटरा, करौली, टोडाभीम एवं हिंडौन सिटी में भाजपा को करारी हार मिली है. वहीं, धौलपुर जिले की बाड़ी, राजाखेड़ा एवं धौलपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्लस में रही है. बसेड़ी विधानसभा में कांग्रेस ने बाजी मारी है.