चंडीगढ़: हरियाणा को लेकर सभी एग्जिट पोल के नतीजे बीजेपी की सीटों की संख्या में पिछली बार यानी 2019 के मुकाबले कमी बता रहे हैं. कुछ सर्वे बीजेपी को सात और कांग्रेस को तीन, तो कुछ सर्वे बीजेपी को छह और कांग्रेस को चार सीटें देते दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस और बीजेपी की इंटरनल रिपोर्ट भी मान रही है कि मुकाबला कांटे का है. बीजेपी जहां करीब आठ सीटों पर जीत की उम्मीद कर रही है, वहीं कांग्रेस करीब चार से छह सीटों पर जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई देती है, बाकि पर कांटे की टक्कर मानकर चल रही है. हालांकि यह बात इस बार सभी कह रहे हैं कि बीजेपी सभी दस सीटों पर इस बार जीत दर्ज नहीं करेगी. ज्यादातर सीटों पर कांटे का मुकाबला होने वाला है.
कांटे की टक्कर: राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि "हरियाणा में इस बार जिस तरह का धरातल पर माहौल देखने को मिला है उससे साफ है कि मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का होने वाला है". वे कहते हैं की "बात चाहे किसी नेता की पार्टी से नाराजगी की हो या सरकार के खिलाफ एंटी कंबैंसी फैक्टर, यह सभी जमीन पर देखने को मिले हैं. भाजपा भी खुद मानती है कि वह तीन सीट जीत रही है और 7 सीट पर फाइट है. वहीं कांग्रेस भी मानती है कि चार सीट पर जीत रही है ,6 सीट पर फाइट है. ऐसे में कम से कम हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी पांच - पांच सीट पर जीत दर्ज कर सकती है. हालांकि जिन सीट पर मुकाबला है वह किसी के भी पक्ष में जा सकती है".
विपक्ष माहौल बनाने में कामयाब: वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि "हरियाणा में कहीं ना कहीं किसानों के विरोध और सरकार की नीतियों के खिलाफ विपक्ष माहौल बनाने में कामयाब होता दिखा रहा है. इसी के चलते एग्जिट पोल भी बीजेपी की सभी दस सीटों को जीतने के दावों को नकार रहे हैं". वे कहते हैं कि "बीजेपी और कांग्रेस के खुद के सर्वे भी ज्यादातर सीटों पर कांटे की टक्कर मान कर चल रहे हैं. ऐसे में हरियाणा में छह बीजेपी, चार कांग्रेस और इसका उल्टा भी हो सकता है. जिस तरह की फाइट दिख रही है बीजेपी ऐसे में ज्यादा से ज्यादा सात सीट जीत सकती है. लेकिन दस सीटों पर जीत संभव दिखाई नही देती है".
क्यों है कांटे की टक्कर: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं. प्रोफेसर गुरमीत सिंह के अनुसार "बीते करीब दस साल से राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार है जिसके चलते एंटी कैंबेंसी फैक्टर काम कर रहा है. इसके अलाव किसानों के बीच बीजेपी को लेकर नाराजगी भी भारी है. बीजेपी और कांग्रेस के कई उम्मीदवारों के खिलाफ उनकी पार्टी के अंदर से काम करने वाले दोनों पार्टियों को नुकसान कर रहे हैं. इन्ही सभी फैक्टर की वजह से इस बार ज्यादातर सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी". वे कहते हैं कि "इन हालातों में हरियाणा में बीजेपी पांच से छह और कांग्रेस चार से पांच सीट जीत सकती है. हालांकि करीब पांच से छह सीटों पर कांटे का मुकाबला है ऐसे में आंकड़ा किसी के भी पक्ष में बदल सकता है".