ग्वालियर। चम्बल में चुनावी संग्राम का आगाज हो चुका है, भले ही 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन अब लोकसभा का माहौल बनाने के लिए चुनाव से पहले राहुल गांधी की न्याय यात्रा चम्बल अंचल में प्रवेश करने जा रही है. लेकिन राहुल गांधी अंचल में यात्रा के जरिये कोई जादू चलाएं उससे ठीक पहले राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले भाजपा के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ग्वालियर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि वे क्लस्टर लेवल पर लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ साथ इस क्षेत्र में राहुल गांधी की यात्रा के इंपैक्ट को कम करने की रणनीति भी अंचल के बड़े नेताओं के साथ तैयार करके जाएंगे.
राहुल गांधी की यात्रा पर बीजेपी का तंज
बीजेपी की मानें तो अमित शाह भाजपा के बेहतरीन मोटिवेटर हैं. ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि ''विधानसभा चुनाव में वे मध्यप्रदेश में एक्टिव थे उन्होंने 150 पर का आंकड़ा दिया था और उसे हासिल भी किया. इस बार सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतना टारगेट है और केंद्रीय मंत्री अमित शाह कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने में माहिर हैं. इसलिए वे लोकसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के साथ ही आगामी चुनाव जीतने के लिए मंत्री भी दे सकते हैं.'' वहीं, रहा सवाल राहुल गांधी यात्रा का तो उनका मानना है कि ''राहुल गांधी की यात्रा का चम्बल क्षेत्र में कोई भी इम्पैक्ट नहीं होने वाला है. क्योंकि उनके लिए हालात उल्टे हैं, राहुल जहां जहाँ जा रहे हैं कांग्रेस को नुकसान हुआ है. कही यात्रा का बहिष्कार तो कहीं कांग्रेसी नेता भाजपा में शामिल हुए हैं. अब ग्वालियर में देखना है कि क्या हालत बनते हैं. क्योंकि ग्वालियर चम्बल बीजेपी का गढ़ है और अब लोकसभा की चारों सीटें भाजपा के खाते में आएंगी.
कांग्रेस का कहना-यात्रा से डरे मोदी-शाह
इधर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि ''राहुल गांधी की यात्रा से किस कदर अमित शाह और मोदी डरे हुए हैं इस बात का अंदाजा खुद लगाया जा सकता है. क्योंकि जिस तरह राहुल गांधी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है उन्हें 21वीं सदी का महात्मा गांधी कहा जा सकता है. त्याग की मूर्ति हैं जनता के लिये सड़क पर लड़ाई लड़ रहे हैं, न्याय के लिए युद्ध लड़ रहे हैं. ऐसे में जो लोग गलत तरीके की राजनीति कर रहे हैं उनका डरना स्वाभाविक है. और जब राहुल गांधी की यात्रा ग्वालियर चंबल अंल में आएगी तो यहां की जनता का प्यार देखते ही बनेगा. आगामी लोकसभा में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे.'' वहीं उन्होंने कहा कि ''जो लोग कांग्रेस छोड़-छाड़ कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं उनसे राहुल गांधी की यात्रा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि यात्रा की शुरुआत के दौरान ही उन्होंने कह दिया था कि जो कांग्रेस के साथ नहीं वह छोड़कर जा सकते हैं.''
कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती भाजपा
वहीं राजनीति विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि, ''चुनाव का समय नज़दीक आ चुका है, ऐसे में दोनों नेताओं की यात्राओं को जोड़कर नही देखना चाहिए. चूंकि भाजपा ने लोकसभा की तैयारियों के लिए क्लस्टर बनाये थे. जिनकी बैठके आज पूरे प्रदेश में समाप्त हो रही हैं. ऐसे में आगे अब इन बैठकों के संबंध में आगे की मॉनिटरिंग अमित शाह को करना है. इसीलिए वे रविवार को ग्वालियर आ रहे हैं यहां से खजुराहो और भोपाल भी जायेंगे. लेकिन ये बात भी सही है कि राहुल गांधी की यात्रा के पहले अमित शाह का आना महत्वपूर्ण हो जा रहा है क्योंकि शायद पिछले चुनावों को देखते हुए भले ही जीत बीजेपी की रही लेकिन भारतीय जनता पार्टी अपनी ओर से कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती है.''
ग्वालियर चम्बल पर अमित शाह का विशेष फोकस
देव श्रीमाली के मुताबिक ''2018 के मप्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हाथ से सत्ता ग्वालियर चम्बल अंचल से गयी थी, तब भी अमित शाह ने पूरा जोर लगाया था. वे 6 महीने में 6 बार ग्वालियर आये थे इसके बाद 2023 के चुनाव में भी अमित शाह की सक्रियता किसी से छिपी नही है. बावजूद इसके ग्वालियर चम्बल अंचल में 34 में से 16 सीटें कांग्रेस के हाथ मे हैं. ऐसे में बहुत ज्यादा परिवर्तन अभी भी दिखाई नहीं दे रही हैं. इसिलिए इस बार अमित शाह लोकसभा को लेकर फोकस यही से कर रहे हैं, यहीं से चुनाव की रणनीति की शुरुआत कर रहे हैं. हालांकि कांग्रेस को राहुल गांधी की यात्रा से पहले अमित शाह से कोई अंतर नही पड़ने वाला. कांग्रेसी अपने नेता के साथ हैं ये साफ है और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर भी राहुल की यात्रा का कोई इम्पैक्ट नहीं होगा. लेकिन अमित शाह के आने से जरूर मोटीवेट होंगे.''
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बीजेपी हो या कांग्रेस लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी में अपना जोर लगा रही हैं. लेकिन ये साफ है राहुल गांधी जहां चम्बल में खुद जनता के बीच पहुँच कर कांग्रेस को मजबूती देने का प्रयास करेंगे. वहीं, अमित शाह चुनाव जीतने के मंत्र के साथ ही राहुल गांधी की यात्रा और कांग्रेस को पछाड़ने की रणनीति इस दौरे में जरूर तैयार करेंगे. हालांकि दोनों ही दिग्गजों का कितना असर चम्बल की जनता पर होगा ये अब चुनाव के नतीजों में ही नजर आएगा.