वाराणसी: Election 2024 Result Date: धर्म और आध्यात्मिक नगरी काशी समय के साथ राजनीतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद बनारस के राजनीतिक महत्व का पूरे विश्व में डंका बज रहा है. तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से वाराणसी से ही प्रत्याशी हैं.
इस बार का चुनाव भी बनारस की वजह से पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन बनारस राजनीतिक लोगों के लिए भी वोटर को लुभाने के लिए धार्मिक महत्व की बड़ी जगह है. शायद यही वजह है कि इस चुनाव में इस धार्मिक राजनीति की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे पर 13 मई को ही कर दी थी.
विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के अगले दिन नामांकन से पहले काल भैरव और 2 दिन पहले वाराणसी दौरे पर पहुंचकर संकट मोचन मंदिर में दर्शन पूजन के बाद पीएम मोदी ने ऐसा मंदिर और मठ का राग छेड़ा कि अब हर राजनीतिक दल इसी तर्ज पर वाराणसी में अपने चुनावी प्रचार को आगे बढ़ाने में जुड़ गया है.
इतना ही नहीं बीजेपी के मंत्री भी मठ मंदिरों के चक्कर लगातार काट रहे हैं और बनारस में मंदिरों और मठों के जरिए वोटर को साधने में जुटे हुए हैं. यही वजह है कि 25 मई को अब वाराणसी में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के रोड शो की शुरुआत भी मंदिर से ही होने जा रही है.
यानी अंतिम चरण में होने वाले चुनाव से पहले वाराणसी में राजनीति धार्मिक स्थानों से परवान चढ़ने जा रही है. वाराणसी के दुर्गा मंदिर से कांग्रेस अपने रोड शो की शुरुआत करेगी. यही नहीं रोड शो खत्म भी काशी के महान संत रविदास के मंदिर पर ही होगा.
विश्वनाथ मंदिर काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन भी होगा और अगले दिन राहुल और अखिलेश के रोड शो और जनसभा की संभावनाओं के साथ ही इन दोनों नेताओं के भी दर्शन पूजन का सिलसिला जारी रहेगा, यानी चुनावों से पहले पीएम मोदी के दर्शन पूजन के बाद अब विपक्ष को भी भगवान की याद आने लगी है.
वाराणसी मंदिरों का शहर कहा जाता है और मंदिरों के शहर में अपने आप में एक से बढ़कर एक महत्वपूर्ण मंदिर स्थापित है. श्री काशी विश्वनाथ बाबा काल भैरव, संकट मोचन, दुर्गा मंदिर, मानस मंदिर सहित अनगिनत मंदिर काशी में स्थापित है.
यही वजह है कि यहां आने वाला हर नेता काशी के मंदिरों के साथ यहां के मठों में मत्था जरूर टेकता है, क्योंकि राजनीतिक दृष्टि से काशी के मठ मंदिरों से ज्यादा राजनीतिक परिपक्वता के साथ परिपूर्ण नजर आते हैं.
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इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार उत्पल पाठक का कहना है कि काशी मंदिरों का शहर है और हर मंदिर हर मठ का अपना इतिहास और अपने अनुयाई हैं. यही वजह है कि 2014, 2019, 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के अलावा 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वाराणसी के मंदिरों और मटन में हर नेता पहुंचा था.
प्रधानमंत्री मोदी से लेकर सीएम योगी, राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल और प्रियंका गांधी ने उस वक्त भी सभी जगह पर दर्शन पूजन करने का काम किया था. उत्पल पाठक का कहना है कि इसलिए हर नेता इन जगहों को राजनीति का बड़ा केंद्र मानता है. मंदिरों के अलावा यहां के मठ भी महत्वपूर्ण हैं.
यहां सतुआ बाबा आश्रम है. सामने घाट स्थित गढ़वा घाट, मिर्जापुर के पास बाबा अड़गड़ानंद महाराज का आश्रम हो या फिर बाबा कीनाराम स्थल यह सभी स्थान अपने आप में काफी महत्वपूर्ण हैं. मंदिरों के शहर में मठों का भी बहुत महत्व है.
सामने घाट मठ यदुवंशी समाज से जुड़ा हुआ माना जाता है और इसका प्रभाव पूर्वांचल के बड़े हिस्से में पड़ता है. कीनाराम स्थल ठाकुरों का बड़ा केंद्र है. सतुआ बाबा आश्रम गुजरातियों और उद्योगपतियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और मठ का अपना महत्व और हर मंदिर का अपना असर होता है.
यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार के चुनाव की शुरुआत वाराणसी में दर्शन पूजन के साथ ही की थी. पहले ही दिन उन्होंने नामांकन से पहले भी दर्शन किया और नामांकन के बाद काशी पहुंच कर भी दर्शन पूजन संकट मोचन मंदिर में किया.
उनके द्वारा खींची गई इस लकीर को विपक्ष जरूर छोटा करने के लिए कुछ नया करने की प्लानिंग कर रहा है. यही वजह है कि विपक्ष अपने स्तर पर मंदिरों से ही अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत काशी में करने जा रहा है. प्रियंका गांधी दुर्गा मंदिर से चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी.
सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस ने पिछले दिनों शक्ति को लेकर जो बयान दिया था और राहुल गांधी के द्वारा मुंबई की एक जनसभा में कहा गया था हिंदू धर्म में एक शब्द है शक्ति और हम उस शक्ति के खिलाफ ही लड़ रहे हैं.
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी हर जनसभा में राहुल गांधी को घेर रहे हैं और शक्ति को लेकर दिए गए बयान पर उसे देवी दुर्गा का अपमान बता रहे हैं. जिसके बाद शायद कांग्रेस अपनी इस गलती को सुधारने के लिए पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से ही दुर्गा के उपासना के सबसे बड़े स्थल माता दुर्गा के मंदिर से ही अपनी रोड शो की शुरुआत करने जा रही है. जो यह साफ करता है कि बनारस में मंदिरों को लेकर एक बार फिर से राजनीति गर्माने जा रही है.
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