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लोकसभा चुनाव 2024: सिंहभूम और कोल्हान की राजनीति बनेगी हॉट केक, मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और विधायकों की प्रतिष्ठा भी होगी दांव पर

political scenario of Kolhan and Singhbhum. कोल्हान झारखंड की राजनीति का केंद्र कहा जा सकता है. यहां के सिंहभूम लोकसभा सीट से बीजेपी ने गीता कोड़ा को तोड़कर अपनी पार्टी में लाया और उम्मीदवार बनाया है. माना जा रहा है कि इससे बीजेपी ने एक तीर से दो शिकार किया है.

political scenario of Kolhan and Singhbhum
political scenario of Kolhan and Singhbhum
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 12, 2024, 8:41 PM IST

चाईबासा: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं गीता कोड़ा अब बीजेपी की उम्मीदवार हैं. माना जा रहा है कि अगर गीता कोड़ा झामुमो-कांग्रेस महागठबंधन से चुनाव लड़ती तो भाजपा के लिए इस बार फिर से सिंहभूम सीट जीतना मुश्किल हो सकता था.

गीता कोड़ा के बीजेपी में आने से फायदे

लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले कांग्रेस तोड़ कर कई घोटालों और हजारों करोड़ के लूट कांड के घोटाले के आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है. इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार नरेश खिरवाल का कहना है कि कोड़ा दंपति के भाजपा में आने के बाद कोल्हान में राजनीतिक शून्यता और आपसी गुटबाजी के कारण जिला और कोल्हान में सुफड़ा साफ हो चुकी बीजेपी मजबूत हो सकेगी.

बीजेपी ने किया एक तीर से दो शिकार

नरेश खिरवाल कहते हैं गीता कोड़ा को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने एक तीर से दो शिकार किया है. सरायकेला खरसावां से विधायक चंपई सोरेन जो झारखंड के मुख्यमंत्री है. उनकी प्रतिष्ठा भी सिंहभूम लोकसभा सीट से जुड़ गई है. क्योंकि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भी सिंहभूम लोकसभा सीट से आते हैं और सरायकेला विधानसभा से विधायक है. भाजपा ने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को भी लोकसभा चुनाव में सिंहभूम की राजनीति में ही कैद करने, उलझा कर रखने में जुट गई है.

खिरवाल कहते हैं मुख्यमंत्री सहित सभी विधायकों की प्रतिष्ठा भी सिंहभूम लोकसभा सीट से जुड़ी हुई है. क्योंकि लोकसभा चुनाव परिणाम का असर ही आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. गीता कोड़ा को भाजपा में शामिल करा कर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी कोल्हान में अपनी कोई प्रतिष्ठा पाने और कोल्हान फतह की तैयारी शुरू कर दी है.

एक समय बीजेपी का गढ़ था कोल्हान

बता दें कि कोल्हान एक समय में भाजपा का गढ़ हुआ करता था और यहां दोनों लोकसभा सीट और 14 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर उनका कब्जा था. कोल्हान की सत्ता की सीढ़ी है, कोल्हान जीते तो झारखंड की सत्ता मिलेगी. कोल्हान हारे तो झारखंड के सत्ता से बाहर होना पड़ेगा. बीते 2014 चुनाव में कोल्हान जीतने के कारण भाजपा की झारखंड में सरकार थी.

2019 कोल्हान में हारने के कारण ही झारखंड के सत्ता भाजपा के हाथ से निकल गई थी. झारखंड अकूत खनिज एवं वन संपदाओं से संपन्न प्रदेश है. यही कारण है कि भाजपा झारखंड की सत्ता पर हर हाल पर काबिज होना चाहती है. राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. राजनीतिक समीकरण, साम दाम दंड भेद सहित सभी राजनीतिक हथकंडे चुनाव जीतने के लिए इसी लोकसभा चुनाव में झोंकने की तैयारी कर दी है.

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गीता कोड़ा के बीजेपी में आने से फायदे

लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले कांग्रेस तोड़ कर कई घोटालों और हजारों करोड़ के लूट कांड के घोटाले के आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है. इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार नरेश खिरवाल का कहना है कि कोड़ा दंपति के भाजपा में आने के बाद कोल्हान में राजनीतिक शून्यता और आपसी गुटबाजी के कारण जिला और कोल्हान में सुफड़ा साफ हो चुकी बीजेपी मजबूत हो सकेगी.

बीजेपी ने किया एक तीर से दो शिकार

नरेश खिरवाल कहते हैं गीता कोड़ा को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने एक तीर से दो शिकार किया है. सरायकेला खरसावां से विधायक चंपई सोरेन जो झारखंड के मुख्यमंत्री है. उनकी प्रतिष्ठा भी सिंहभूम लोकसभा सीट से जुड़ गई है. क्योंकि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भी सिंहभूम लोकसभा सीट से आते हैं और सरायकेला विधानसभा से विधायक है. भाजपा ने मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को भी लोकसभा चुनाव में सिंहभूम की राजनीति में ही कैद करने, उलझा कर रखने में जुट गई है.

खिरवाल कहते हैं मुख्यमंत्री सहित सभी विधायकों की प्रतिष्ठा भी सिंहभूम लोकसभा सीट से जुड़ी हुई है. क्योंकि लोकसभा चुनाव परिणाम का असर ही आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. गीता कोड़ा को भाजपा में शामिल करा कर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी कोल्हान में अपनी कोई प्रतिष्ठा पाने और कोल्हान फतह की तैयारी शुरू कर दी है.

एक समय बीजेपी का गढ़ था कोल्हान

बता दें कि कोल्हान एक समय में भाजपा का गढ़ हुआ करता था और यहां दोनों लोकसभा सीट और 14 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर उनका कब्जा था. कोल्हान की सत्ता की सीढ़ी है, कोल्हान जीते तो झारखंड की सत्ता मिलेगी. कोल्हान हारे तो झारखंड के सत्ता से बाहर होना पड़ेगा. बीते 2014 चुनाव में कोल्हान जीतने के कारण भाजपा की झारखंड में सरकार थी.

2019 कोल्हान में हारने के कारण ही झारखंड के सत्ता भाजपा के हाथ से निकल गई थी. झारखंड अकूत खनिज एवं वन संपदाओं से संपन्न प्रदेश है. यही कारण है कि भाजपा झारखंड की सत्ता पर हर हाल पर काबिज होना चाहती है. राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. राजनीतिक समीकरण, साम दाम दंड भेद सहित सभी राजनीतिक हथकंडे चुनाव जीतने के लिए इसी लोकसभा चुनाव में झोंकने की तैयारी कर दी है.

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