हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. चुनाव आयोग ने मतदान के लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. इस बार सात चरण में चुनाव होंगे. पहला चरण 19 अप्रैल को है और 7वां एक जून को. चार जून को मतगणना होगी.
मतदान और मतगणना के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है. आईए जानते हैं, ड्यूटी किन-किन कर्मचारियों की लगती है. ड्यूटी में छूट कैसे मिल सकती है. इसके क्या नियम हैं. ड्यूटी न करने पर क्या कार्रवाई हो सकती है.
किन कर्मचारियों की लगती है ड्यूटी: चुनाव आयोग मतदान और मतगणना के लिए सिर्फ केंद्र और राज्य सरकार के स्थायी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाता है. लेकिन, यदि ज्यादा की जरूरत हो तो डेप्युटेशन अधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई जाती है. मतदान का काम संभालने में टीचर, इंजीनियर, क्लर्क, अकाउंटेंट, प्रशासनिक कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है. सरकारी लैब और अस्पताल कर्मचारी भी ड्यूटी पर रहते हैं.
किनकी ड्यूटी नहीं लगती: सरकारी विभाग में कार्यरत कुछ कर्मचारी ऐसे भी होते हैं जिनकी ड्यूटी नहीं लगती. इनमें वो कर्मचारी शामिल हैं जो सरकारी संस्थानों में तो हैं, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट पर, या फिर दैनिक वेतनभोगी होते हैं. चुनाव का काम सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही दिया जाता है. क्योंकि वे सरकार के कंट्रोल में रहते हैं.
वो 5 कारण, जो चुनाव ड्यूटी में दिला सकते हैं छूट
- अगर ड्यूटी लगने से पहले ही किसी ने फॉरेन ट्रिप की योजना बना रखी हो, जिसकी तारीख मतदान या मतगणना के समय हो तब यात्रा का टिकट और वीजा देकर ड्यूटी रुकवाई जा सकती है.
- अगर कोई हार्ट या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हो, जिसके चलते चुनाव ड्यूटी करते समय दिक्कत हो सकती है तो तो ड्यूटी में छूट मिल सकती है. लेकिन, इसके लिए भी सभी कागजात जमा करने होंगे.
- यदि किसी कर्मचारी की दो अलग-अलग स्थानों पर ड्यूटी लग जाए तो वह एक स्थान पर ड्यूटी रद करने का अनुरोध कर सकता है. क्योंकि उसके लिए दोनों स्थानों पर रिपोर्ट करना संभव नहीं होगा.
- अगर कोई कर्मचारी किसी राजनीतिक पार्टी से एक्टिव तौर पर जुड़ा हो तो उसकी मौजूदगी चुनाव पर असर डाल सकती है. ऐसी स्थिति में वो खुद अपने को ड्यूटी से हटवाने का आवेदन दे सकता है.
- अगर पति-पत्नी दोनों ही सरकारी नौकरी में हैं तो उनमें से एक को बच्चों या बुजुर्ग पेरेंट्स की देखभाल के लिए ड्यूटी से छूट मिल सकती है.
(नोट: छूट देने का अधिकार भी सिर्फ जिला निर्वाचन अधिकारी के पास रहता है. वो वैधता जांचने के बाद हामी देता है.)
बिना बताए ड्यूटी से गायब रहने पर हो सकती है जेल: एक बार चुनाव में ड्यूटी लगने के बाद अगर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी बिना बताए गायब हो जाता है तो ये नॉन-कॉग्निजेबल क्राइम की श्रेणी में आता है. ऐसे शख्स पर चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत कार्रवाई हो सकती है.
चुनाव ड्यूटी में कितना मिलता है मानदेय: लोकसभा चुनाव कार्य में नियुक्त कार्मिकों को अलग से मानदेय भी दिया जाता है. जिसमें इस बार बढ़ोतरी की गई है. मतदान के दिन बूथ पर नियुक्त माइक्रो ऑब्जर्वर को अब प्रथम दो दिवस के लिए 1,000 रुपए तथा दो दिवस से अधिक ड्यूटी पर 500 रुपए प्रतिदिन (अधिकत्तम 3,000 रुपए) पारिश्रमिक दिया जाएगा. इससे पहले एकमुश्त 1,000 रुपए दिए जाते थे.
मतदान और मतगणना दल के साथ नियुक्त सहायक कर्मचारी को दैनिक भत्ता 300 रुपए दिया जाता है. मतदान दल, जोनल मजिस्ट्रेट, एरिया मजिस्ट्रेट के साथ नियुक्त कार्मिक, होम गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, ग्राम रक्षक दल, एनसीसी सीनियर कैडेट, भूतपूर्व सैनिक आदि को मानदेय 400 रुपए दिया जाता है. साथ ही, वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के कार्य में नियुक्त कार्मिकों का मानदेय भी 400 रुपए रहता है.
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