धौलपुर. प्रदेश का माहौल पूरी तरह लोकसभा चुनाव के रंग में रंगा नजर आ रहा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के बड़े नेताओं की रैलियां राजस्थान में शुरू हो चुकी हैं. सभी प्रत्याशी ताल ठोककर मैदान में उतर चुके हैं. हर सीट पर चुनावी जीत के लिए पार्टियों की ओर से जमीनी रणनीति तैयार की जा रही है. इस बीच हम आपके लिए लेकर आए हैं करौली-धौलपुर सीट का चुनावी गणित और इतिहास. इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही समय-समय पर जीत का परचम लहरा चुकी हैं. बात करें वर्तमान चुनाव की तो इस सीट पर भाजपा ने मौजूदा सांसद मनोज राजोरिया का टिकट काटकर इंदू देवी को मैदान में उतारा है. वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री भजनलाल जाटव पर भरोसा जताया है.
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का मिजाज विधानसभा चुनाव के जैसा ही है. पिछले विधानसभा चुनाव में धौलपुर जिले की चार विधानसभा क्षेत्र में भाजपा खाता भी नहीं खोल पाई थी. धौलपुर, राजाखेड़ा एवं बसेड़ी से कांग्रेस को जीत मिली थी और बाड़ी से बहुजन समाज पार्टी ने बाजी मारी थी. वहीं, करौली जिले की चार विधानसभा क्षेत्र में करौली, सपोटरा पर बीजेपी और हिंडौन सिटी एवं टोडाभीम पर कांग्रेस को जीत का स्वाद मिला, लेकिन लोकसभा चुनाव में हर बार समीकरण विधानसभा चुनाव के विपरीत रहा है. इस बार भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने करौली-धौलपुर सीट पर एक ही जाति के प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है. पार्टियों के इस दांव से जाति समीकरण का गणित प्रत्याशियों की जीत की गांरटी नहीं है.
सभी प्रत्याशियों ने ठोकी ताल : राजस्थान की 25 में से 12 लोकसभा सीटों पर पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा. मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे चुनाव प्रचार रफ्तार पकड़ रहा है. आरक्षित सीट करौली-धौलपुर से भाजपा, कांग्रेस एवं बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी जीत की जुगत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. चुनावी योद्धाओं ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी है. भाजपा राष्ट्रीय मुद्दे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को लेकर चुनावी समर में मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है. वहीं, कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है. बहुजन समाज पार्टी भी चुनावी मैदान में अपने योद्धा को जिताने के लिए प्रयास कर रही है. .
बीजेपी के पास मोदी की गारंटी, कांग्रेस ने लोकल मुद्दों को बनाया ढाल : करौली-धौलपुर सीट पर चुनाव में भाजपा की प्रत्याशी इंदु देवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी, योजनाओं एवं राष्ट्रीय मुद्दों को साथ लेकर मतदाताओं के दिलों पर असर छोड़ने की कोशिश कर रही हैं. वहीं, कांग्रेस के भजनलाल जाटव सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा चिकित्सा समेत कई लोकल मुद्दों को उठाकर आम मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विक्रम सिंह सिसोदिया भी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए मैदान में डटे हैं.
पिछले लोकसभा चुनावों में विपरीत रहा समीकरण : करौली-धौलपुर सीट के चुनावी गणित की बात की जाए तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में विपरीत रहा है. विधानसभा चुनाव में समीकरण कांग्रेस के पक्ष में गए थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी. इन दोनों चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मनोज राजोरिया इस सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. सियासत के पंडितों की मानें तो लोकसभा चुनाव में मतदाता विधानसभा चुनाव से अलग मुद्दों पर वोट करते हैं.
बगावत की संभावना दोनों तरफ : भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों को भीतरघात और बगावत का सामना करना पड़ सकता है. भाजपा की तरफ से वर्तमान सांसद डॉ मनोज राजोरिया समेत दर्जन भर से अधिक नेता टिकट दावेदारी की कतार में खड़े थे, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने इंदु देवी जाटव को टिकट देकर सबको चौंका दिया. ऐसे में जिन दावेदारों का टिकट कटा है, उनकी ओर से भाजपा को भीतरघात की फिक्र सता रही है. यही हालत कांग्रेस में देखी जा रही है. बाहरी प्रत्याशी भजनलाल जाटव को टिकट देकर कांग्रेस को स्थानीय नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि दोनों ही पार्टियां ऐसी किसी भी बात को नकारती नजर आई हैं.
मतदाताओं का आंकड़ा : करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र में 19 लाख 71 हजार 144 मतदाता 19 अप्रैल को प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद करेंगे. इन मतदाताओं में 10 लाख 61 हजार 927 पुरुष और 9 लाख 9 हजार 217 महिला वोटर शामिल हैं.