भोपाल। चुनाव के दौरान परिवारों का चुनाव मैदान में उतरना कोई नई बात नहीं. लेकिन क्या प्रचार के मैदान में उतरी पत्नियां प्रत्याशियों की जमीन मजबूत कर पाती हैं. क्या वोटर से मजबूत कनेक्ट हो पाता है. ये सवाल इसलिए कि इस बार नकुलनाथ की पत्नी प्रियानाथ छिंदवाड़ा में कड़ी धूप में फसल काटती दिखाई दीं, ताकि वोटों की बुआई मजबूत हो सके. इनके पहले 2019 में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शिनी राजे ने गुना लोकसभा सीट का गांव गांव नाप दिया था, लेकिन सिंधिया वो चुनाव हार गए थे. सवाल ये कि क्या प्रिया नाथ का कड़ी धूप में किया जा रहा प्रचार 2024 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ की साख बचा पाएगा.
प्रचार में पत्नियां...दांव कितना असरदार
चुनाव प्रचार में पत्नियों का मोर्चा संभालना क्या जनता पर असर डालता है. करोड़ों की मालकिन प्रियानाथ जब गांव देहात में खेतों में जनता के बीच पहुंचती हैं, तो वो आकर्षण का केन्द्र होती हैं केवल या जनता के लिए भरोसे का चेहरा भी. बीजेपी प्रवक्ता हितेष वाजपेयी कहते हैं "देखिए ये कमलनाथ हों या नकुलनाथ छिंदवाड़ा में अब कमल खिलने वाला है. चाहे पूरा परिवार प्रचार पर उतर आये मोदी की गारंटी के आगे जनता कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है."
प्रियदर्शिनी राजे भी कर चुकी हैं सिंधिया के लिए प्रचार
2019 के लोकसभा चुनाव में जिस समय ज्योतिदित्य सिंधिया को कांग्रेस ने पश्चिमी यूपी की कमान सौंपी थी, तब प्रियदर्शिनी राजे ने गुना लोकसभा में उनका पूरा चुनाव संभाला था और गांव गांव कड़ी धूप में प्रचार किया था. हालांकि, सिंधिया 2019 का चुनाव हार गए थे. कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा कहती हैं "सिंधिया को जनता ने नकार दिया था और जब जनता मन बना लेती है तो कोई प्रचार के लिए आए कोई फर्क नहीं पड़ता. आप देखिएगा इस बार भी नतीजे यही होंगे. चाहे सिंधिया जी का पूरा परिवार प्रचार के लिए उतर जाए."