लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बसपा की तैयारी दिख भले न रही हो, लेकिन कैंडिडेट लगभग तय हो गए हैं. लखनऊ लोकसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी किसी मुस्लिम को मैदान में उतारने का प्लान बना रही है. उत्तर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके मलिक सरवर बसपा के उम्मीदवार हो सकते हैं.
बीएसपी मुस्लिम चेहरे को मैदान में उतारकर समाजवादी पार्टी का गणित बिगाड़ेगी. सपा ने रविदास मेहरोत्रा को लखनऊ लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. मोहनलालगंज सीट पर भी बसपा की नजर है. सपा ने आरके चौधरी को यहां से प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने कौशल किशोर को फिर से टिकट दे दिया है.
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पार्टी दलित और मुस्लिम कांबिनेशन को लेकर अपने उम्मीदवारों का चयन करने में जुटी हुई है. लखनऊ लोकसभा सीट के साथ ही बगल की मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर भी पार्टी ने अपने उम्मीदवार लगभग तय कर दिए हैं.
हालांकि, अभी आधिकारिक घोषणा होना बाकी है, लेकिन यह तय है कि मोहनलालगंज सीट पर तगड़ा दलित उम्मीदवार तो लखनऊ लोकसभा सीट पर मुस्लिम को मैदान में उतरने की तैयारी है. बहुजन समाज पार्टी के पास मुस्लिम चेहरे के रूप में पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुके मोहम्मद सरवर मलिक का नाम सबसे पहले है. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था तो जब महापौर का चुनाव हुआ तो उनकी पत्नी शाहीन बानो को मैदान में उतारा.
पार्टी को हर तरह की मजबूती के लिहाज से सरवर मलिक ही उपयुक्त नजर आ रहे हैं. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती लखनऊ सीट पर सरवर मलिक के नाम का ऐलान कर सकती हैं.
बहुजन समाज पार्टी को भी लग रहा है कि मुस्लिम प्रत्याशी देने से लखनऊ लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले मुसलमानों का वोट बहुजन समाज पार्टी के पाले में आ जाएगा, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से राजनाथ सिंह को ही फिर से प्रत्याशी बनाया है जबकि समाजवादी पार्टी ने विधायक रविदास मेहरोत्रा को टिकट दिया है. ऐसे में मुस्लिम चेहरा देकर मायावती समाजवादी पार्टी का गणित बिगाड़ सकती है.
इस बार बहुजन समाज पार्टी अपने पुराने प्रत्याशियों से दूर होती जा रही है. ऐसे में जिन सीटों से पहले बहुजन समाज पार्टी के सांसद जीते थे और वह दूसरी पार्टियों में चले गए हैं तो उनके स्थान पर ऐसे उम्मीदवारों को भी फिर से टिकट दिए जाने की तैयारी है जो पिछले चुनाव में दो लाख या इससे ऊपर वोट पाने में सफल हुए थे. मायावती का पूरा फोकस दलित और मुस्लिम वोटर पर ही है और उम्मीदवार भी दलित और मुस्लिम कैटेगरी के ही ज्यादा दिए जाने की तैयारी है.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन था. इस गठबंधन के तहत बहुजन समाज पार्टी 10 सीटें जीतने में सफल हुई थी, लेकिन अब उसके अपने ही सांसद दूसरी पार्टी में जा रहे हैं.
इनमें गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी ने पहले ही टिकट दे दिया है. आंबेडकर नगर से सांसद रितेश पांडेय भारतीय जनता पार्टी में जा चुके हैं और बीजेपी ने उन्हें टिकट दे दिया है. इसी तरह अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली को पार्टी पहले ही बाहर कर चुकी है.
वह कांग्रेस के चक्कर काट रहे हैं. जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव भी अपने लिए बसपा के इतर दूसरी पार्टी में रास्ता तलाश रहे हैं. कई और सांसद भी बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ना नहीं चाहते. ऐसे में नए प्रत्याशियों की लॉटरी लगना तय है.
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