पटना : 2024 चुनावी साल है. इस साल एक बार फिर से लोकसभा का चुनाव होगा. भारत की जनता अपने मनपसंद उम्मीदवार को संसद में भेजेगी. साथ ही यह भी तय करेगी कि देश का प्रधानमंत्री कौन होगा? चुनावी साल में सबसे ज्यादा चर्चा पॉलिटिकल पार्टियों की होती है. कौन सी पॉलिटिकल पार्टी कितनी मजबूत है और उसका जनाधार क्या है?
देश में 6 राष्ट्रीय पार्टी तो 70 क्षेत्रीय दल : पूरे देश में 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं. जिसमें आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, इंडियन नेशनल कांग्रेस और नेशनल पीपुल्स पार्टी. यह सभी पार्टियां तो बिहार में चुनाव लड़ेंगे ही या फिर किसी न किसी को समर्थन जरुर देंगी. इसके अलावा पूरे देश में 70 क्षेत्रीय दल हैं. इसे हम रिकॉग्नाइज पार्टी के तौर पर भी देख सकते हैं. यह सभी एक-दूसरे के राज्य में जाकर चुनाव लड़ने का अधिकार रखते हैं. सभी के अपने अपने चुनाव चिह्न हैं जिसे चुनाव आयोग ने आवंटित किया है.
बिहार में साढे सात करोड़ से ज्यादा वोटर : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारत निर्वाचन आयोग अपनी तैयारी में जुट चुका है. इसको लेकर बिहार राज्य निर्वाचन सूची का अंतिम प्रकाशन कर दिया गया है. सभी 243 विधानसभा और 40 लोकसभा क्षेत्रों के लिए निर्वाचन सूची का अंतिम प्रकाशन कर दिया गया है. जिसमें बिहार में कुल 7 करोड़ 64 लाख 33 हजार 329 लोग वोट करेंगे. इस सूची में चार करोड़ 29 हजार 136 पुरुष वोट करेंगे तो वहीं 3 करोड़ 64 लाख 1 हजार 903 महिलाएं वोट करेंगी. इस बार बिहार में 2290 ट्रांसजेंडर भी वोट करेंगे. लेकिन आपको यह भी जानना चाहिए यह जितने वोटर हैं वह किन-किन पार्टियों को वोट करेंगे, कितनी पार्टियां हैं?
बिहार में 212 पार्टियों का मुख्यालय : पूरे देश में 2597 रजिस्टर्ड पार्टियां है. यह अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियां हैं. पिछले साल 282 पार्टियों को डीलिस्टेड कर दिया गया था यानी कि उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया था. बिहार की बात करें तो बिहार में 212 अनरिकॉग्नाइज्ड रजिस्टर्ड पॉलिटिकल पार्टियां हैं जिनके कार्यालय बिहार में है. वह यहां से संचालित होते हैं.
169 पार्टियों से मांगा गया था लेखा-जोखा : 2021-22 के रिकॉर्ड के मुताबिक 169 पार्टियों से चुनाव आयोग ने लेखा-जोखा भी मांगा था. बिहार में मुख्य क्षेत्रीय दल में जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल ही है. चिराग पासवान और पशुपति पारस के विवाद में लोजपा का चुनाव चिह्न और नाम फ्रिज कर दिया गया है. वहीं, विधानसभा चुनाव के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी आरएलएसपी का विलय जदयू में कर दिया था तो उनके पास से क्षेत्रीय दल होने का तमगा हट जाएगा. हालांकि अभी भी चुनाव आयोग के पास आरएलआसपी क्षेत्रीय दल के सूची में है.
197 चुनाव चिह्न बांटे जाएंगे : चुनाव चिह्न की बात करें तो पूरे देश में राष्ट्रीय दल और क्षेत्रीय दलों को चुनाव आयोग की तरफ से स्थाई तौर पर चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए हैं. लेकिन, जो अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियों हैं उनके लिए हर चुनाव में अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित किए जाते हैं. इसको लेकर चुनाव आयोग के पास 197 ऐसे चुनाव चिह्न है जो अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियों को दिया जाएगा या फिर निर्दलीय उम्मीदवार को दिया जाएगा. चुनाव आयोग कुछ पार्टियों के चुनाव चिह्न को लेकर अलग-अलग राज्यों में प्रतिबंध भी लगता है. ताकि मिलता-जुलता चुनाव चिह्न एक राज्य में काम ना करें. ऐसे में किसी अनरिकॉग्नाइज्ड पॉलीटिकल पार्टी का चुनाव चिन्ह किसी राज्य में अलग होता है तो किसी दूसरे राज्य में अलग होता है.
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