जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देशभर में भले ही नेताओं के लिए अब लाल बत्ती चलन समाप्त हो गया हो, लेकिन नेताओं के लिए राजनीतिक नियुक्तियों में मंत्री का दर्जा मिलने को आज भी लाल बत्ती मिलना ही कहा जाता है. लोकसभा चुनाव को लेकर लगी आदर्श आचार संहिता भले ही 4 जून के बाद समाप्त होगी, लेकिन सरकार के स्तर पर इसको लेकर तैयारियां चल रही हैं. माना जा रहा है कि आचार संहिता समाप्त होने के साथ प्रदेश की भजनलाल सरकार प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां का दौर शुरू करेगी. सरकार के स्तर हो रही इस हलचल के बीच स्थानीय नेताओं ने भी दौड़ भाग करनी शुरू कर दी है. इन दिनों नेता विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए कामकाज के रिपोर्ट कार्ड को लेकर जयपुर से दिल्ली तक लॉबिंग कर रहे हैं.
40 से ज्यादा नेताओं ने नाम : पार्टी सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले ही प्रमुख नेताओं को यह आश्वासन मिल चुका है कि यदि उनके विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की अच्छी परफॉर्मेंस रही, तो उनका सम्मान बरकरार रखा जाएगा. इसके साथ जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला और संगठन में अच्छा काम किया है, उन्हें भी आश्वासन मिला हुआ है. प्रदेश में 40 से ज्यादा ऐसे नेता हैं, जिनके नामों की चर्चा बोर्ड-निगमों के लिए चल रही है. इनमें से कुछ प्रमुख नेता वो भी हैं, जिनको विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. इसके साथ यह भी माना जा रहा है कुछ वर्तमान विधायकों को भी मंत्रिमंडल की जगह बोर्ड-निगमों में नियुक्ति दी जा सकती है. इसके साथ ही कुछ युवा चेहरों को भी राजनीतिक नियुक्तियों में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है. वहीं, जातीय बोर्ड में भी समीकरण बिठाने का प्रयास किया जाएगा.
चुनाव की परफॉर्मेंस होगी आधार : राजस्थान में अब राजनीतिक नियुक्तियों के लिए लॉबिंग की कवायद शुरू हो गई है. माना जा रहा है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नेताओं की परफॉर्मेंस के आधार पर राजनीतिक नियुक्तियां होंगी. करीब एक दर्जन नेताओं को बोर्ड एवं निगमों में चेयरमैन नियुक्त कर कैबिनेट और राज्य मंत्री स्तर का दर्जा दिया जाएगा. मुख्यमंत्री बनने के बाद भजनलाल शर्मा ने अभी तक ज्यादा राजनीतिक नियुक्तियां नहीं की हैं. आचार संहिता लगने से ठीक पहले 7 बोर्ड के अध्यक्षों की जरूर आनन-फानन में नियुक्ति के आदेश निकाले गए थे, लेकिन आचार संहिता प्रभावी होने के चलते इनमे से कोई भी पदभार नहीं संभाल सका. इसके अलावा अभी भी करीब एक दर्जन से ज्यादा बोर्ड आयोग सहित अन्य पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं. राजनीतिक पदों की चाह रखने वाले नेताओं ने दिल्ली की दौड़ तेज कर दी है. पार्टी सूत्रों की मानें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव की परफॉर्मेंस ही राजनितिक नियुक्तियों का आधार होगा. यही वजह है कि नेता अपनी-अपनी परफॉर्मेंस रिपोर्ट के साथ लॉबिंग कर रहे हैं.