कांकेर: संबलपुर गांव में सैकड़ों सालों से छोटी सी सूंड वाले भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है. जितनी गजानन महाराज की महिमा अपरंपार है, उतनी ही संबलपुर के भगवान गणेश की कहानी भी दिलचस्प है. पंडित लाल बहादुर मिश्रा कहते हैं यह मूर्ति गढ़बांसला से लाई गई है. भगवान गणेश की मूर्ति को गढ़बांसला से संबलपुर लाने में 12 से 14 बैलगाड़ियों के पहिए टूट गए थे.
तालाब में तैरते मिली थी प्रतिमा: स्थानीय निवासी गौरव चोपड़ा बताते हैं कि हमारे बड़े बुजुर्गों से सुना है कि भगवान गणेश की प्रतिमा सैकड़ों साल पहले देवनगरी गढ़बांसला के तालाब में तैरते हुए मिली थी. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी पंडित बेनी माधव मिश्रा को दी, जो गढ़बांसला पूजा करने जाते थे. पंडित माधव मिश्रा ने मूर्ति की जानकारी मालगुजार परिवार को दी.''
मूर्ति को संबलपुर लाने का लिया गया निर्णय: तत्कालीन गढ़बांसला में ठाकुर राम चांडक संबलपुर निवासी जमींदार हुआ करते थे. उस वक्त कंडरा राजा का राज हुआ करता था. ठाकुर राम चांडक मूर्ति की जानकारी मिलने पर जब अपनी खेती बाड़ी को देखने संबलपुर से गढ़बांसला गए तो वह अद्भुत गणेश जी की मूर्ति को देखकर चकित हो गए. फिर मूर्ति को गढ़बांसला से संबलपुर लाने का निर्णय लिया.
बैलगाड़ियों का टूटा था पहिया: गढ़बांसला से संबलपुर तक सात किलोमीटर के रास्ते में गजानन महाराज ने भक्तों की जमकर परीक्षा ली. एक दो नहीं बल्कि 12 से 14 बैलगाड़ी के पहिए रास्ते में ही टूट गए. जहां आज गणेश जी की मूर्ति स्थापित है, वहां 12वां बैलगाड़ी का पहिया टूटा था. जिसके बाद और कोई भी बैलगाड़ी की पहिए नहीं लगाए जा सके.
ऐसे स्थापित हुई मूर्ति: पंडित लाल बहादुर मिश्रा कहते हैं ''आखिरी बैलगाड़ी टूटने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति को उतारा गया, फिर दूसरी बैलगाड़ी में मूर्ति ले जाने का विचार किया गया लेकिन उस मूर्ति को कोई हिला भी नहीं सका. ऐसे में वहीं मूर्ति की स्थापना कर दी गई.''
शंकराचार्य ने मूर्ति का स्थान बदलने से किया मना: स्थानीय निवासी गौरव चोपड़ा बताते हैं ''इस मंदिर का दो बार जीर्णोद्धार हो चुका है. आखिरी बार 2006-07 में जीर्णोद्धार हुआ था. उस समय ब्रह्लीन शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती पधारे थे. उन्होंने मूर्ति को देखकर इसे जीवंत मूर्ति करार दिया था. उन्होंने मूर्ति का स्थान बदलने से मना कर दिया.''
"नि:संतान दंपति यहां मुरादें लेकर आते हैं. पुत्र कामना को लेकर लोग आते हैं. भगवान गणेश लोगों की मनोकामना पूरी करते हैं. गणेशजी सभी का कल्याण करते हैं. गांव में भी बप्पा की कृपा है." -गौरव चोपड़ा, स्थानीय निवासी
"भगवान गणेश सभी की मन्नत पूरी करते हैं. यहां समय समय पर धार्मिक आयोजन होता है. यह धर्मनगरी संबलपुर के नाम से जानी जाती है." -पंडित लाल बहादुर मिश्रा
साल-दर-साल बढ़ रही मूर्ति: यह गणेश जी की मूर्ति मंदिर के जमीनी तल में स्थापित है. यह मूर्ति हर साल बढ़ती है. यह भारत की 5 जीवित गणेश मूर्तियों में से एक मानी जाती है. दूर दूर से लोग यहां संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने आते हैं. इस क्षेत्र में जब भी कोई कार्य किया जाता है तो सबसे पहले गणेश जी की आराधना की जाती है.