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बंगाल की तरह झारखंड में भी सीबीआई-ईडी की डायरेक्ट एंट्री बंद, हेमंत सरकार ने नियम में किया बदलाव, सियासी पारा भी चढ़ा - CBI ED entry stopped in Jharkhand - CBI ED ENTRY STOPPED IN JHARKHAND

CBI entry stopped in Jharkhand. पश्चिम बंगाल की तरह झारखंड में सीबीआई, ईडी की डायरेक्ट एंट्री बंद हो गई है. हेमंत सोरेन सरकार ने भी कार्यपालिका नियमावली में बदलाव किया है. केन्द्रीय जांच एजेंसी को रोकने पर सियासत गर्म हो गई है.

CBI ED entry stopped in Jharkhand
झारखंड मंत्रालय (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 8, 2024, 5:43 PM IST

Updated : Aug 8, 2024, 7:16 PM IST

रांची: अब झारखंड में सीबीआई, ईडी जैसी केन्द्रीय जांच एजेंसी राज्य सरकार के अनुमति के बिना सीधे कार्रवाई नहीं कर सकेगी. हेमंत सरकार ने झारखंड कार्यपालिका नियमावली 2000 में बड़ा बदलाव करते हुए यह प्रावधान किया है. बीते बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए मंत्रिमंडल ने झारखंड के कार्यदायित्व के रुप में DSP Act की धारा 5 एवं 6 के मामलों को छोड़कर सभी केन्द्रीय एजेंसी से संबंधित मामले सम्मिलित किए जाने की स्वीकृति दी गई.

बीजेपी और जेएमएम के नेताओं के बयान (ईटीवी भारत)



कार्यपालिका नियमावली 2000 में बदलाव पर सियासत शुरू

झारखंड सरकार के द्वारा किए गए इस बदलाव के बाद सियासी बहस जारी हो गया है. विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार के इस फैसले का आलोचना करते हुए कहीं ना कहीं वैसे अधिकारियों को केंद्रीय जांच एजेंसी से बचाने का आरोप लगाया है जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा ने हेमंत सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह निर्णय बंगाल सरकार की तरह है जिससे केन्द्रीय एजेसी के पांव में बेड़ी लगाने जैसा है.

इधर, बीजेपी के आरोप को खारिज करते हुए जेएमएम ने कहा है कि सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है क्योंकि जिस तरह से पिछले दिनों मनमाने ढंग से केन्द्रीय एजेंसी द्वारा कार्रवाई की जाती रही है उससे साफ लगता है कि केंद्र के इशारे पर यह हो रहा है. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि झारखंड इकलौता राज्य नहीं है बल्कि इस तरह के निर्णय पूर्व में कुछ अन्य राज्यों ने भी लिए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बेवजह जेल में रखना जिसपर न्यायालय ने भी टिप्पणी की है उससे साफ जाहिर होता है कि केन्द्रीय एजेंसी कैसे काम करती है. ऐसे में इन पर अंकुश लगाना अच्छा निर्णय है.

आखिर सरकार ने क्यों लिया कार्यपालिका नियमावली में बदलाव का निर्णय

केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी की विगत वर्षों में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर बढ़ी दबिश ने झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स के अंदर खलबली मचा रखी थी. 11 मई 2022 को आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में लगातार ईडी की कार्रवाई तेज होती चली गई. वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी और उसके बाद कई आईएएस ईडी के रडार पर आते चले गए. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री आलमगीर आलम को ईडी कार्रवाई की वजह से जेल जाना पड़ा.

केन्द्र और राज्य के बीच अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई. हेमंत सरकार ने कार्यपालिका नियमावली में बदलाव को लेकर पहले विभागीय संकल्प के जरिए केन्द्रीय एजेंसी की दबिश को रोकने की कोशिश कुछ महीने पहले की थी अब कैबिनेट से पास कर इस नियमावली में बकायदा संशोधित करने का काम किया है. गौरतलब है कि 2019 में पश्चिम बंगाल में भी इसे लेकर काफी विवाद हुआ था. जिस वजह से केंद्र और राज्य के बीच विवाद पैदा होता रहा है. जाहिर तौर पर झारखंड में इस तरह की व्यवस्था होने से केंद्र और राज्य के बीच टकराव होने की संभावना है.

ये भी पढ़ें-

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कैबिनेट बैठके के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने कहा- बांग्लादेश की घटना पर हमारी नजर, केंद्र से जो भी सुझाव आएंगे उसे देखा जाएगा - Hemant Soren cabinet meeting

रांची: अब झारखंड में सीबीआई, ईडी जैसी केन्द्रीय जांच एजेंसी राज्य सरकार के अनुमति के बिना सीधे कार्रवाई नहीं कर सकेगी. हेमंत सरकार ने झारखंड कार्यपालिका नियमावली 2000 में बड़ा बदलाव करते हुए यह प्रावधान किया है. बीते बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए मंत्रिमंडल ने झारखंड के कार्यदायित्व के रुप में DSP Act की धारा 5 एवं 6 के मामलों को छोड़कर सभी केन्द्रीय एजेंसी से संबंधित मामले सम्मिलित किए जाने की स्वीकृति दी गई.

बीजेपी और जेएमएम के नेताओं के बयान (ईटीवी भारत)



कार्यपालिका नियमावली 2000 में बदलाव पर सियासत शुरू

झारखंड सरकार के द्वारा किए गए इस बदलाव के बाद सियासी बहस जारी हो गया है. विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार के इस फैसले का आलोचना करते हुए कहीं ना कहीं वैसे अधिकारियों को केंद्रीय जांच एजेंसी से बचाने का आरोप लगाया है जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा ने हेमंत सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह निर्णय बंगाल सरकार की तरह है जिससे केन्द्रीय एजेसी के पांव में बेड़ी लगाने जैसा है.

इधर, बीजेपी के आरोप को खारिज करते हुए जेएमएम ने कहा है कि सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है क्योंकि जिस तरह से पिछले दिनों मनमाने ढंग से केन्द्रीय एजेंसी द्वारा कार्रवाई की जाती रही है उससे साफ लगता है कि केंद्र के इशारे पर यह हो रहा है. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि झारखंड इकलौता राज्य नहीं है बल्कि इस तरह के निर्णय पूर्व में कुछ अन्य राज्यों ने भी लिए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बेवजह जेल में रखना जिसपर न्यायालय ने भी टिप्पणी की है उससे साफ जाहिर होता है कि केन्द्रीय एजेंसी कैसे काम करती है. ऐसे में इन पर अंकुश लगाना अच्छा निर्णय है.

आखिर सरकार ने क्यों लिया कार्यपालिका नियमावली में बदलाव का निर्णय

केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी की विगत वर्षों में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर बढ़ी दबिश ने झारखंड के ब्यूरोक्रेट्स के अंदर खलबली मचा रखी थी. 11 मई 2022 को आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में लगातार ईडी की कार्रवाई तेज होती चली गई. वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी और उसके बाद कई आईएएस ईडी के रडार पर आते चले गए. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री आलमगीर आलम को ईडी कार्रवाई की वजह से जेल जाना पड़ा.

केन्द्र और राज्य के बीच अधिकारों को लेकर बहस छिड़ गई. हेमंत सरकार ने कार्यपालिका नियमावली में बदलाव को लेकर पहले विभागीय संकल्प के जरिए केन्द्रीय एजेंसी की दबिश को रोकने की कोशिश कुछ महीने पहले की थी अब कैबिनेट से पास कर इस नियमावली में बकायदा संशोधित करने का काम किया है. गौरतलब है कि 2019 में पश्चिम बंगाल में भी इसे लेकर काफी विवाद हुआ था. जिस वजह से केंद्र और राज्य के बीच विवाद पैदा होता रहा है. जाहिर तौर पर झारखंड में इस तरह की व्यवस्था होने से केंद्र और राज्य के बीच टकराव होने की संभावना है.

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Last Updated : Aug 8, 2024, 7:16 PM IST
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