चित्तौड़गढ़. अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में हत्या में लिप्त एक आरोपी को आजीवन कारावास से दंडित किया है. जबकि एक अन्य को दोष मुक्त कर दिया है.
प्रकरण अनुसार जून 2018 में प्रार्थी शांतिलाल पुत्र देवीलाल मेघवाल निम्बाहेड़ा ने एक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें बताया गया था कि 15 जून को उसका पुत्र किशनलाल घर से काम पर जाने की बात कहकर जनता मैदान में गया था. यहां रात को उसके पुत्र की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उस दौरान उसके साथ शंकरलाल व अन्य साथी थे. पुलिस ने कोतवाली निम्बाहेड़ा में आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी.
अनुसंधान के दौरान तथ्य सामने आया कि मृतक किशनलाल, शंकरलाल व उसके दोस्तों ने गांजे व शराब का नशा किया और रात को डेढ़ बजे कल्याण चौक गए. यहां आपस में कहासुनी होने पर शंकरलाल ने किशनलाल को गोली मार दी. इस मामले में शंकरलाल ने देशी पिस्तौल से गोली मारी थी और यह पिस्तौल शंकरलाल ने जीवराज से प्राप्त करना बताया था. लेकिन जीवराज के नाबालिग होने से उसे डिटेन कर पूछताछ की गई तो यह पिस्ताैल दारा सिंह से प्राप्त करना बताकर दारा सिंह के कहने पर ही शंकरलाल को देना बताया गया.
इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से 27 गवाह पेश और 41 दस्तावेज पेश किए गए. दारा सिंह की ओर से मुबारिक हुसैन व राजेन्द्र सिंह चौहान ने पैरवी की. न्यायालय के पीठासीन अधिकारी उदयसिंह आलोरिया ने अधिवक्ता के तर्काें से संतुष्ट होकर दारा सिंह को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त कर दिया. जबकि अभियुक्त शंकरलाल को इस अपराध का दोषी मानकर आजीवन कारावास व 5000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.