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एससी-एसटी कोर्ट का फैसला: हत्या के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास और जुर्माना - life imprisonment to murder convict

चित्तौड़गढ़ में हत्या के एक मामले में अनूसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण न्यायालय ने आरोपी को आजीवन कारवास की सजा सुनाई है. आरोपी पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया गया है.

SC ST court
एससी-एसटी कोर्ट का फैसला
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 20, 2024, 5:38 PM IST

चित्तौड़गढ़. अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में हत्या में लिप्त एक आरोपी को आजीवन कारावास से दंडित किया है. जबकि एक अन्य को दोष मुक्त कर दिया है.

प्रकरण अनुसार जून 2018 में प्रार्थी शांतिलाल पुत्र देवीलाल मेघवाल निम्बाहेड़ा ने एक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें बताया गया था कि 15 जून को उसका पुत्र किशनलाल घर से काम पर जाने की बात कहकर जनता मैदान में गया था. यहां रात को उसके पुत्र की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उस दौरान उसके साथ शंकरलाल व अन्य साथी थे. पुलिस ने कोतवाली निम्बाहेड़ा में आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी.

पढ़ें: नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपी पैरोल से फरार, जेल प्रशासन ने थाने में दर्ज कराया मामला - Convicted Prisoner Absconds

अनुसंधान के दौरान तथ्य सामने आया कि मृतक किशनलाल, शंकरलाल व उसके दोस्तों ने गांजे व शराब का नशा किया और रात को डेढ़ बजे कल्याण चौक गए. यहां आपस में कहासुनी होने पर शंकरलाल ने किशनलाल को गोली मार दी. इस मामले में शंकरलाल ने देशी पिस्तौल से गोली मारी थी और यह पिस्तौल शंकरलाल ने जीवराज से प्राप्त करना बताया था. लेकिन जीवराज के नाबालिग होने से उसे डिटेन कर पूछताछ की गई तो यह पिस्ताैल दारा सिंह से प्राप्त करना बताकर दारा सिंह के कहने पर ही शंकरलाल को देना बताया गया.

पढ़ें: नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की कोशिश, एक को 20 साल तो दूसरे को आजीवन कारावास की सजा - Bharatpur POCSO Court

इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से 27 गवाह पेश और 41 दस्तावेज पेश किए गए. दारा सिंह की ओर से मुबारिक हुसैन व राजेन्द्र सिंह चौहान ने पैरवी की. न्यायालय के पीठासीन अधिकारी उदयसिंह आलोरिया ने अधिवक्ता के तर्काें से संतुष्ट होकर दारा सिंह को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त कर दिया. जबकि अभियुक्त शंकरलाल को इस अपराध का दोषी मानकर आजीवन कारावास व 5000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.

चित्तौड़गढ़. अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में हत्या में लिप्त एक आरोपी को आजीवन कारावास से दंडित किया है. जबकि एक अन्य को दोष मुक्त कर दिया है.

प्रकरण अनुसार जून 2018 में प्रार्थी शांतिलाल पुत्र देवीलाल मेघवाल निम्बाहेड़ा ने एक रिपोर्ट पेश की थी. इसमें बताया गया था कि 15 जून को उसका पुत्र किशनलाल घर से काम पर जाने की बात कहकर जनता मैदान में गया था. यहां रात को उसके पुत्र की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उस दौरान उसके साथ शंकरलाल व अन्य साथी थे. पुलिस ने कोतवाली निम्बाहेड़ा में आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी.

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अनुसंधान के दौरान तथ्य सामने आया कि मृतक किशनलाल, शंकरलाल व उसके दोस्तों ने गांजे व शराब का नशा किया और रात को डेढ़ बजे कल्याण चौक गए. यहां आपस में कहासुनी होने पर शंकरलाल ने किशनलाल को गोली मार दी. इस मामले में शंकरलाल ने देशी पिस्तौल से गोली मारी थी और यह पिस्तौल शंकरलाल ने जीवराज से प्राप्त करना बताया था. लेकिन जीवराज के नाबालिग होने से उसे डिटेन कर पूछताछ की गई तो यह पिस्ताैल दारा सिंह से प्राप्त करना बताकर दारा सिंह के कहने पर ही शंकरलाल को देना बताया गया.

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इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से 27 गवाह पेश और 41 दस्तावेज पेश किए गए. दारा सिंह की ओर से मुबारिक हुसैन व राजेन्द्र सिंह चौहान ने पैरवी की. न्यायालय के पीठासीन अधिकारी उदयसिंह आलोरिया ने अधिवक्ता के तर्काें से संतुष्ट होकर दारा सिंह को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त कर दिया. जबकि अभियुक्त शंकरलाल को इस अपराध का दोषी मानकर आजीवन कारावास व 5000 रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.

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