बाराबंकी: करीब 12 वर्ष पूर्व बेटे के साथ मिलकर अपनी पत्नी की कुल्हाड़ी से गला काटकर हत्या करने और शव को छिपा देने के आरोपी पिता-पुत्र को बाराबंकी की एक अदालत ने दोषी करार देते हुए दोनों को आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या- अनिल कुमार शुक्ल ने शनिवार को सुनाया. खास बात यह कि वादी ने खुद ही हत्या की और एक विवाद के चलते अपने भाई पर इल्जाम लगाकर उसके नाम मुकदमा भी दर्ज करा दिया था लेकिन पुलिस द्वारा की गई विवेचना में इसका राजफाश हो गया था.
एडीजीसी कोर्ट नम्बर-2 अमित अवस्थी और रमाकांत द्विवेदी ने अभियोजन कथानक का विवरण देते हुए बताया कि लोनी कटरा थाना क्षेत्र के दहिला निवासी वादी कल्लू रावत ने 30 नवम्बर 2011 को थाने में तहरीर देकर बताया कि 29 नवम्बर को करीब सात बजे शाम को वह खेत से घर आया और फिर खाना खाकर आग जलाकर उसके पास बैठ गया. थोड़ी देर आग तापने के बाद वह बच्चों के साथ बिस्तर पर सो गया. सुबह जगने के बाद उसने जानवरो को चारा दिया और फिर खेत को चला गया.थोड़ी देर बाद उसके बेटे यदुराज ने खेत जाकर उसे बताया कि माँ घर पर नही है तथा कुछ पता नही चल पा रहा है. कल्लू घर आया और उसकी खोजबीन करने लगा तो देखा कि उसकी पत्नी कलावती असऊ पान वाले के भीट के पीछे जंगल मे मरी पड़ी है. सिर धड़ से अलग है. वादी कल्लू ने अपने सगे भाई मेवालाल पुत्र नन्हकू पर शक जताते हुए उसके विरुद्ध तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया.लोनी कटरा पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की तो एक नया मामला सामने आया.
विवेचना में हत्याकांड का हुआ राजफाश
तत्कालीन विवेचक अम्बर सिंह ने जब वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य संकलित करने शुरू किए तब इस हत्याकांड में नया मामला सामने आया.मामले में आरोपी मेवालाल की नामजदगी गलत पाई गई और वादी कल्लू व उसके बेटे यदुराज का नाम प्रकाश में आया.लिहाजा विवेचक द्वारा कल्लू रावत व उसके पुत्र यदुराज के विरुद्ध 06 फरवरी 2012 को कोर्ट में धारा 302 व 201 आईपीसी का चार्ज लगाते हुए चार्ज शीट दाखिल कर दी.
क्या था मामला
दरअसल तफ्तीश के दौरान कल्लू द्वारा बताया गया था कि उसकी पत्नी का चाल चलन ठीक नही था,जिससे उसकी बहुत बदनामी हो रही थी. इसी बात को लेकर कल्लू का अपनी पत्नी कलावती से मन मुटाव रहने लगा.घटना वाली शाम यानी 29 नवम्बर 2011 को खाना खाने के बाद जब वह आग जलाकर ताप रहा था उसी वक्त उसकी पत्नी घर से बाहर निकली और काफी देर तक नही लौटी. तब उसने अपने बेटे यदुराज को बुलाकर कहा कि तुम्हारी मां की आदतों में सुधार नही हो रहा है. उसके बाद उसने कुल्हाड़ी ली और बेटे के साथ ढूंढ़ने निकल पड़ा. खोजते-खोजते भट्ठे के पास पहुंच गए. वहां उसने अपनी पत्नी को एक व्यक्ति के साथ देखा. दोनों भागने लगे तो उसके बेटे ने दौड़ाकर कलावती को पकड़ लिया. कल्लू ने उसके साथ रहे व्यक्ति के बारे में पूछा तो उसने कुछ नही बताया लिहाजा गुस्से में आकर उसने अपनी पत्नी को पटक दिया. यदुराज ने कलावती के पैर दबा दिए और कल्लू ने कलावती का कुल्हाड़ी से गला काटकर अलग कर दिया. शव की शिनाख्त न हो लिहाजा उसने सिर को बुरी तरह कुचल दिया. इस हत्याकांड को छुपाने के लिए उसने अपने सगे भाई मेवालाल पर हत्या का इल्जाम लगा दिया क्योंकि उसके भाई से उसका दीवानी में एक मामला चल रहा था.
मामले में कोर्ट ने दोनों आरोपी पिता पुत्र पर 2 अगस्त 2012 को चार्ज फ्रेम कर ट्रायल शुरू किया.अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 10 गवाह पेश किए.अभियोजन और बचाव पक्षो द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा की गई बहस सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-2 अनिल कुमार शुक्ल ने आरोपी पिता कल्लू रावत व उसके बेटे यदुराज रावत को दोषी करार दिया.शनिवार को कोर्ट ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी.
बेटे के साथ पिता ने कुल्हाड़ी से की थी पत्नी की हत्या, दोनों को आजीवन कारावास
बाराबंकी में बेटे के साथ पिता ने कुल्हाड़ी से पत्नी की हत्या की थी. कोर्ट ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Feb 4, 2024, 12:50 PM IST
बाराबंकी: करीब 12 वर्ष पूर्व बेटे के साथ मिलकर अपनी पत्नी की कुल्हाड़ी से गला काटकर हत्या करने और शव को छिपा देने के आरोपी पिता-पुत्र को बाराबंकी की एक अदालत ने दोषी करार देते हुए दोनों को आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या- अनिल कुमार शुक्ल ने शनिवार को सुनाया. खास बात यह कि वादी ने खुद ही हत्या की और एक विवाद के चलते अपने भाई पर इल्जाम लगाकर उसके नाम मुकदमा भी दर्ज करा दिया था लेकिन पुलिस द्वारा की गई विवेचना में इसका राजफाश हो गया था.
एडीजीसी कोर्ट नम्बर-2 अमित अवस्थी और रमाकांत द्विवेदी ने अभियोजन कथानक का विवरण देते हुए बताया कि लोनी कटरा थाना क्षेत्र के दहिला निवासी वादी कल्लू रावत ने 30 नवम्बर 2011 को थाने में तहरीर देकर बताया कि 29 नवम्बर को करीब सात बजे शाम को वह खेत से घर आया और फिर खाना खाकर आग जलाकर उसके पास बैठ गया. थोड़ी देर आग तापने के बाद वह बच्चों के साथ बिस्तर पर सो गया. सुबह जगने के बाद उसने जानवरो को चारा दिया और फिर खेत को चला गया.थोड़ी देर बाद उसके बेटे यदुराज ने खेत जाकर उसे बताया कि माँ घर पर नही है तथा कुछ पता नही चल पा रहा है. कल्लू घर आया और उसकी खोजबीन करने लगा तो देखा कि उसकी पत्नी कलावती असऊ पान वाले के भीट के पीछे जंगल मे मरी पड़ी है. सिर धड़ से अलग है. वादी कल्लू ने अपने सगे भाई मेवालाल पुत्र नन्हकू पर शक जताते हुए उसके विरुद्ध तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया.लोनी कटरा पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की तो एक नया मामला सामने आया.
विवेचना में हत्याकांड का हुआ राजफाश
तत्कालीन विवेचक अम्बर सिंह ने जब वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य संकलित करने शुरू किए तब इस हत्याकांड में नया मामला सामने आया.मामले में आरोपी मेवालाल की नामजदगी गलत पाई गई और वादी कल्लू व उसके बेटे यदुराज का नाम प्रकाश में आया.लिहाजा विवेचक द्वारा कल्लू रावत व उसके पुत्र यदुराज के विरुद्ध 06 फरवरी 2012 को कोर्ट में धारा 302 व 201 आईपीसी का चार्ज लगाते हुए चार्ज शीट दाखिल कर दी.
क्या था मामला
दरअसल तफ्तीश के दौरान कल्लू द्वारा बताया गया था कि उसकी पत्नी का चाल चलन ठीक नही था,जिससे उसकी बहुत बदनामी हो रही थी. इसी बात को लेकर कल्लू का अपनी पत्नी कलावती से मन मुटाव रहने लगा.घटना वाली शाम यानी 29 नवम्बर 2011 को खाना खाने के बाद जब वह आग जलाकर ताप रहा था उसी वक्त उसकी पत्नी घर से बाहर निकली और काफी देर तक नही लौटी. तब उसने अपने बेटे यदुराज को बुलाकर कहा कि तुम्हारी मां की आदतों में सुधार नही हो रहा है. उसके बाद उसने कुल्हाड़ी ली और बेटे के साथ ढूंढ़ने निकल पड़ा. खोजते-खोजते भट्ठे के पास पहुंच गए. वहां उसने अपनी पत्नी को एक व्यक्ति के साथ देखा. दोनों भागने लगे तो उसके बेटे ने दौड़ाकर कलावती को पकड़ लिया. कल्लू ने उसके साथ रहे व्यक्ति के बारे में पूछा तो उसने कुछ नही बताया लिहाजा गुस्से में आकर उसने अपनी पत्नी को पटक दिया. यदुराज ने कलावती के पैर दबा दिए और कल्लू ने कलावती का कुल्हाड़ी से गला काटकर अलग कर दिया. शव की शिनाख्त न हो लिहाजा उसने सिर को बुरी तरह कुचल दिया. इस हत्याकांड को छुपाने के लिए उसने अपने सगे भाई मेवालाल पर हत्या का इल्जाम लगा दिया क्योंकि उसके भाई से उसका दीवानी में एक मामला चल रहा था.
मामले में कोर्ट ने दोनों आरोपी पिता पुत्र पर 2 अगस्त 2012 को चार्ज फ्रेम कर ट्रायल शुरू किया.अभियोजन पक्ष ने इस मामले में 10 गवाह पेश किए.अभियोजन और बचाव पक्षो द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा की गई बहस सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-2 अनिल कुमार शुक्ल ने आरोपी पिता कल्लू रावत व उसके बेटे यदुराज रावत को दोषी करार दिया.शनिवार को कोर्ट ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी.