सोनभद्र : दुष्कर्म के दोषी पिता को अपर सत्र न्यायाधीश ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने तीन लाख 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. न्यायालय ने आदेश दिया कि अर्थदंड न देने पर तीन माह के अतिरिक्त कैद की सजा भी भुगतनी होगी. साथ ही जेल में बिताई अवधि सजा में ही समाहित होगी. न्यायालय के आदेशानुसार, अर्थदंड की धनराशि में से ढाई लाख रुपये पीड़िता को मिलेंगे.
अभियोजन पक्ष के सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह के मुताबिक, शाहगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता की मां ने तहरीर देकर 27 अप्रैल 2023 को बताया था कि उसकी नाबालिग बेटी (16 वर्षीय) के साथ उसके पति ने करीब 7-8 माह पूर्व बलात्कार किया था. गर्भ ठहरने पर मामले की जानकारी हुई तो पति ने मां-बेटी को जान से मारने की धमकी दी, जिससे डर गई और कहीं सूचना नहीं दी. आरोप था कि इसके बाद पिता ने 18 अप्रैल 2023 को जबरन बेटी को गर्भनिरोधक दवा खिला दी, जिससे उसका गर्भपात हो गया.
अभियोजन पक्ष के वकील के मुताबिक, पत्नी का आरोप था कि उसने पति के डर से और लोकलाज के डर से उसकी करतूत की सूचना नहीं दी. इसके बाद 26 अप्रैल 2023 को दोपहर तीन बजे बेटी को घर में अकेला पाकर पुनः बलात्कार का प्रयास किया. बेटी ने जब शोर मचाया तो इसके नाना मौके पर पहुंच गए और किसी तरह बेटी को बचाया. तहरीर के आधार पर पुलिस ने 27 अप्रैल 2023 को दुष्कर्म और पाॅक्सो एक्ट में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया।
अभियोजन पक्ष के वकील के मुताबिक, विवेचना के दौरान पुलिस के विवेचक ने डीएनए टेस्ट रिपोर्ट और मेडिकल रिपोर्ट के साथ ही गवाहों का बयान लेने के बाद पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट प्रस्तुत की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने और लगभग 10 गवाहों के बयान के आधार पर दोष सिद्ध पाकर दोषी आरोपी को उम्रकैद एवं तीन लाख 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. अर्थदंड न देने पर तीन माह के अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की और पूरे मामले की जानकारी दी.
अभियोजन पक्ष के वकील के मुताबिक, अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दोष सिद्ध पाकर दोषी पिता को आजीवन कारावास एवं तीन लाख 15 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई. अर्थदंड की धनराशि में से दो लाख 50 हजार रुपये पीड़िता को मिलेगी.
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