नई दिल्ली :आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017 से 2021 तक लंबित नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा है. वहीं उपराज्यपाल ने सभी रिपोर्टों को पेश करने के लिए अपनी औपचारिक सहमति दे दी है. उन्होंने सीएजी की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने के लिए यह नोट भी लिखा है.
“राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 की धारा 48 के अनुसरण में, मैं, विनय कुमार सक्सेना, उपराज्यपाल दिल्ली, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की समाप्त होने वाले वर्ष के लिए रिपोर्ट की एक प्रति विधानसभा में रखने की दिल्ली सरकार से अनुशंसा करता हूं."
2017- 2021 के लंबित सीएजी रिपोर्ट को लेकर LG ने सीएम को लिखा पत्र : आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2017 से 2021 तक लंबित नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए शनिवार को उपराज्यपाल सचिवालय ने शनिवार को स्पष्ट किया था कि दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट की फटकार के डर से यह रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपीं है. उपराज्यपाल ने लिखा है कि सीएजी रिपोर्ट को समय पर विधानसभा के समक्ष न रखकर सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में विफल रही है. ये सभी रिपोर्ट उस दौर की हैं जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे.
सोमवार को उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिख लंबित 14 सीएजी रिपोर्टों को तुरंत सदन के पटल पर रखने के लिए दिल्ली विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है. उपराज्यपाल के पास जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 48 के अनुसरण में निर्देश जारी करने का अधिकार है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि सीएजी रिपोर्टें शासन में पारदर्शिता की कसौटी है. इन्हें विधानमंडल के समक्ष शीघ्र रखना सरकार-एलजी के लिए संवैधानिक आदेश है.
आबकारी कर, प्रदूषण और वित्त से संबंधित रिपोर्ट LG को भेजा गया : गत कई महीनों से उपराज्यपाल वीके सक्सेना मुख्यमंत्री आतिशी और विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास को सरकार के सीएजी रिपोर्ट विधानसभा पटेल पर रखने के संबंध में पत्र लिख रहे हैं. बावजूद यह रिपोर्ट विधानसभा सत्र में पेश नहीं किया गया. विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता सीएजी की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को लेकर जब हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान लिया, तब दिल्ली सरकार ने आबकारी कर, प्रदूषण और वित्त से संबंधित रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखने के लिए उपराज्यपाल को भेज दिए. यह जानकारी दो दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में दी थी.
शनिवार को उपराज्यपाल सचिवालय की तरफ से जारी नोट में बताया गया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के प्रतिकूल आदेश की डर से आप सरकार को लंबे समय से लंबित सीएजी रिपोर्टों को जल्दबाज़ी में उपराज्यपाल को सौंपकर उनकी अनुमति लेनी पड़ी, ताकि रिपोर्टों को सार्वजनिक करना संभव हो सके. इन 14 लंबित सीएजी रिपोर्टों में से 11 उस समय से संबंधित हैं जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे. रिपोर्ट में डीटीसी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और मोहल्ला क्लीनिक, राज्य सार्वजनिक उपक्रमों पर रिपोर्ट शामिल हैं, जहां आप सरकार की भारी गड़बड़ियों और विफलताओं का विवरण दिया गया है.
सरकार जल्दबाजी में अपना चेहरा बचाने की कर रही कोशिश : बता दें कि पिछले दिनों संपन्न विधानसभा सत्र से पहले दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था. इस याचिका के बाद सरकार को लंबे समय से लंबित 14 सीएजी रिपोर्टों को सदन के पटल पर रखने का निर्देश देने की मांग की गई, विपक्ष ने भी सीएजी रिपोर्ट को प्रस्तुत करने की मांग की है. नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है चुनाव के चलते सरकार जल्दबाजी में अपना चेहरा बचाने की कोशिश कर रही है. आम आदमी पार्टी सरकार में वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री आतिशी द्वारा एलजी सचिवालय को सौंपी गई 497 दिनों से लंबित सीएजी रिपोर्टों की सूची भी उपराज्यपाल सचिवालय ने जारी किया है.
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