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वन विभाग की टीम की मुस्तैदी से बच गई तेंदुए की जान, शिकारी को गिरफ्तार कर भेजा जेल - LEOPARD RESCUED SHAHNAGAR FOREST

वन विभाग की टीम को दक्षिण वन मंडल शाहनगर परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम टिकरिया एवं पिपरिया के पास एक तेंदुआ फंदे में फंसा मिला. जिसको रेस्क्यू कर बचा लिया गया.

SHAHNAGAR FOREST TEAM RESCUED LEOPARD
शाहनगर वन टीम ने तेंदुए को बचाया (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 13 hours ago

पन्ना: दक्षिण वन मंडल शाहनगर परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम टिकरिया एवं पिपरिया के पास शिकारी द्वारा वन प्राणी के शिकार के लिए लगाए गए फंदे में तेंदुआ फंस गया. वन कर्मचारियों ने 23 एवं 24 दिसंबर की दरम्यानी रात गस्त के दौरान तेंदुए को फंसा देखा तुरंत ही उच्च अधिकारियों को सूचना दी. वन प्राणी चिकित्सक को बुलाया गया और तेंदुओं को ट्रेंकुलाइज कर छुड़ाया गया.

ठंड के मौसम में बढ़ जाते हैं वन प्राणियों के शिकार

अत्यधिक ठंड के मौसम में वन्य प्राणियों के शिकार बढ़ जाते हैं. इसके लिए वन विभाग द्वारा गठित गश्ती दल ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप के तहत रात्रि गश्त का गठन किया गया है जो शाहनगर क्षेत्र अंतर्गत रात्रि में गश्त करता है. गस्ती के दौरान ग्राम टिकरिया एवं पिपरिया के पास खेत की बाड़ी में शिकारी द्वारा वन प्राणी के शिकार के लिए लगाए गए फंदे में तेंदुआ फंस गया.

शाहनगर वन विभाग की टीम ने तेंदुए को बचाया (Etv Bharat)

गश्ती दल द्वारा उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई एवं मौके पर रात्रि को ही वन प्राणी चिकित्सक को बुलाकर तेंदुए को ट्रेंकुलाइजर से बेहोश किया गया एवं उसको फंदे से छुड़ाया गया, तेंदुए का स्वास्थ परीक्षण करते हुए होश आने पर उसे जंगल में छोड़ दिया गया.

सतना से बुलाया गया डॉग एस्कॉर्ट

तेंदुए के फंसे होने की घटना को गंभीरता से लेते हुए उच्च अधिकारियों ने दूसरे दिन सतना से डॉग स्क्वॉड को बुलाया. डॉग स्क्वॉड द्वारा क्षेत्र में सर्चिंग की गई और सर्चिंग में खेत के पास बने घर से एक संदेही व्यक्ति जियालाल चौधरी को अभिरक्षा में लिया गया. जिसने फंदा लगाने की बात को स्वीकार किया. उसके खिलाफ वन प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज कर अदालत में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पूर्व में शिकारी के फंदे में फंसने से तेंदुए की हो चुकी है मौत

पूर्व में भी पवई वन परिक्षेत्र के पिपरियादोन बीट में पेड़ में लगाए गए शिकारी के फंदे में फंसकर तेंदुए की मौत हो चुकी है. बता दें कि खेतों के बगल से लगे जंगल में शिकारियों द्वारा फंदे लगा दिए जाते हैं जिसमें जंगली जानवर फंस जाते हैं. उसके बाद शिकारियों द्वारा उसका शिकार कर लिया जाता है. अत्यधिक ठंड के मौसम में शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं.

पन्ना: दक्षिण वन मंडल शाहनगर परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम टिकरिया एवं पिपरिया के पास शिकारी द्वारा वन प्राणी के शिकार के लिए लगाए गए फंदे में तेंदुआ फंस गया. वन कर्मचारियों ने 23 एवं 24 दिसंबर की दरम्यानी रात गस्त के दौरान तेंदुए को फंसा देखा तुरंत ही उच्च अधिकारियों को सूचना दी. वन प्राणी चिकित्सक को बुलाया गया और तेंदुओं को ट्रेंकुलाइज कर छुड़ाया गया.

ठंड के मौसम में बढ़ जाते हैं वन प्राणियों के शिकार

अत्यधिक ठंड के मौसम में वन्य प्राणियों के शिकार बढ़ जाते हैं. इसके लिए वन विभाग द्वारा गठित गश्ती दल ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप के तहत रात्रि गश्त का गठन किया गया है जो शाहनगर क्षेत्र अंतर्गत रात्रि में गश्त करता है. गस्ती के दौरान ग्राम टिकरिया एवं पिपरिया के पास खेत की बाड़ी में शिकारी द्वारा वन प्राणी के शिकार के लिए लगाए गए फंदे में तेंदुआ फंस गया.

शाहनगर वन विभाग की टीम ने तेंदुए को बचाया (Etv Bharat)

गश्ती दल द्वारा उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई एवं मौके पर रात्रि को ही वन प्राणी चिकित्सक को बुलाकर तेंदुए को ट्रेंकुलाइजर से बेहोश किया गया एवं उसको फंदे से छुड़ाया गया, तेंदुए का स्वास्थ परीक्षण करते हुए होश आने पर उसे जंगल में छोड़ दिया गया.

सतना से बुलाया गया डॉग एस्कॉर्ट

तेंदुए के फंसे होने की घटना को गंभीरता से लेते हुए उच्च अधिकारियों ने दूसरे दिन सतना से डॉग स्क्वॉड को बुलाया. डॉग स्क्वॉड द्वारा क्षेत्र में सर्चिंग की गई और सर्चिंग में खेत के पास बने घर से एक संदेही व्यक्ति जियालाल चौधरी को अभिरक्षा में लिया गया. जिसने फंदा लगाने की बात को स्वीकार किया. उसके खिलाफ वन प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज कर अदालत में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पूर्व में शिकारी के फंदे में फंसने से तेंदुए की हो चुकी है मौत

पूर्व में भी पवई वन परिक्षेत्र के पिपरियादोन बीट में पेड़ में लगाए गए शिकारी के फंदे में फंसकर तेंदुए की मौत हो चुकी है. बता दें कि खेतों के बगल से लगे जंगल में शिकारियों द्वारा फंदे लगा दिए जाते हैं जिसमें जंगली जानवर फंस जाते हैं. उसके बाद शिकारियों द्वारा उसका शिकार कर लिया जाता है. अत्यधिक ठंड के मौसम में शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं.

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