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पेंच टाइगर रिजर्व इलाके में घायल तेंदुए की मौत, तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं बचा पाये डॉक्टर - Leopard death Pench Tiger Reserve - LEOPARD DEATH PENCH TIGER RESERVE

पेंच टाइगर रिजर्व इलाके के नेशनल हाइवे 44 में अज्ञात वाहन की टक्कर से घायल हुए तेंदुए की इलाज के दौरान मौत हो गई है. 19 मार्च को घायल हुए तेंदुए को बचाने के लिए वन्य विभाग के द्वारा भरसक प्रयास किए गए. लेकिन गंभीर रूप से घायल होने के कारण उसकी मौत हो गई.

leopard death in pench tiger reserve
पेंच टाइगर रिजर्व इलाके में घायल हुए तेंदुए की हुई मौत
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 8, 2024, 2:47 PM IST

छिंदवाड़ा। 19 मार्च को पेंच टाइगर रिजर्व इलाके में सड़क हादसे में घायल हुए एक तेंदुए की लंबे इलाज के दौरान मौत हो गई. नेशनल हाइवे 44 में अज्ञात वाहन के द्वारा तेंदुए को टक्कर मार दी गई थी, जिसके बाद से तेंदुए का इलाज वन विभाग के द्वारा कराया जा रहा था.

19 मार्च को NH 44 में हुआ था एक्सीडेंट

पेंच टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर देवप्रदास जे. ने बताया कि 19 मार्च को रात के दौरान पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी से होकर गुजरने वाले एनएच 44 पर एक तेंदुए को ग्राम गंडाटोला के पास अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी. सूचना प्राप्त होने के बाद पेंच टाइगर रिजर्व का वन अमला, रेस्क्यू स्क्वॉड और वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्रा घटना स्थल पर पहुंचे. इस दौरान तेंदुआ गंभीर रूप से घायल था, घटनास्थल पर उसका बहुत खून बह चुका था जिससे उसके बचने की संभावना कम थी.

धीरे-धीरे कमजोर होती गई तेदुएं की स्थिति

वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी के नेतृत्व में रेस्क्यू दल द्वारा घायल तेंदुए को वन्यप्राणी चिकित्सालय खवासा ले जाया गया. जहां संचालक स्कूल फॉर वाईल्ड लाईफ फारेंसिक एंड हेल्थ के मार्गदर्शन में वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा घायल तेंदुए का उपचार किया जा रहा था. उपचार के दौरान तेंदुआ किसी भी प्रकार से भोजन नहीं ले पा रहा था वह पानी पीने में भी असमर्थ था. घायल तेंदुए को भोजन कराने के समस्त प्रयास असफल हो चुके थे. तब उसे दवा एवं सलाईन के माध्यम से न्यूट्रिएन्स दिये गये. लेकिन उसकी स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती गयी. उसके ऊपर व नीचे का जबड़ा, पसलियां, रीढ़ की हड्डी के पूर्ण रूप से टूटे होने के कारण तेंदुआ तकलीफ में भी था.

डॉक्टरों की टीम कर रही थी लगातार इलाज

तेंदुए की गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मध्य प्रदेश द्वारा पांच चिकित्सकों की एक टीम का गठन तेंदुए के इलाज व अन्य निष्कर्ष हेतु किया गया था. गठित दल के द्वारा बताया गया कि तेंदुआ बुरी तरह घायल था. वह भविष्य में भी उपचार से ठीक नहीं हो सकता. एक से अधिक स्थानों की हड्डियां टूटे होने के कारण तेंदुआ अत्यंत तकलीफ में था. वहीं, तेंदुए की तकलीफों को देखकर उसे यूथेनेसिया दिए जाने की तैयारी की जा रही थी. लेकिन उसी रात तेंदुए की मौत हो गई.

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पानी की तलाश में जंगल के बाहर आते हैं तेंदुए

पेंच टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि, "गर्मी के दिनों में अधिकतर पानी की तलाश में जानवर रहवासी इलाकों में पहुंचते हैं और इसी दौरान वह कई बार सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. हालांकि भारत सरकार के द्वारा इसी पेंच टाइगर रिजर्व में देश के पहले साउंड एंड लाइट प्रूफ 29 किलोमीटर का नेशनल हाईवे पर ओवरब्रिज बनाया गया है, जिसमें जानवर आसानी से नीचे से आ जा सकते हैं. लेकिन कई बार तेंदुआ और दूसरे जानवर सड़कों पर आ जाते हैं तब ऐसी दुर्घटना होती है.

छिंदवाड़ा। 19 मार्च को पेंच टाइगर रिजर्व इलाके में सड़क हादसे में घायल हुए एक तेंदुए की लंबे इलाज के दौरान मौत हो गई. नेशनल हाइवे 44 में अज्ञात वाहन के द्वारा तेंदुए को टक्कर मार दी गई थी, जिसके बाद से तेंदुए का इलाज वन विभाग के द्वारा कराया जा रहा था.

19 मार्च को NH 44 में हुआ था एक्सीडेंट

पेंच टाईगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर देवप्रदास जे. ने बताया कि 19 मार्च को रात के दौरान पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी से होकर गुजरने वाले एनएच 44 पर एक तेंदुए को ग्राम गंडाटोला के पास अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी. सूचना प्राप्त होने के बाद पेंच टाइगर रिजर्व का वन अमला, रेस्क्यू स्क्वॉड और वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अखिलेश मिश्रा घटना स्थल पर पहुंचे. इस दौरान तेंदुआ गंभीर रूप से घायल था, घटनास्थल पर उसका बहुत खून बह चुका था जिससे उसके बचने की संभावना कम थी.

धीरे-धीरे कमजोर होती गई तेदुएं की स्थिति

वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी के नेतृत्व में रेस्क्यू दल द्वारा घायल तेंदुए को वन्यप्राणी चिकित्सालय खवासा ले जाया गया. जहां संचालक स्कूल फॉर वाईल्ड लाईफ फारेंसिक एंड हेल्थ के मार्गदर्शन में वरिष्ठ वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा घायल तेंदुए का उपचार किया जा रहा था. उपचार के दौरान तेंदुआ किसी भी प्रकार से भोजन नहीं ले पा रहा था वह पानी पीने में भी असमर्थ था. घायल तेंदुए को भोजन कराने के समस्त प्रयास असफल हो चुके थे. तब उसे दवा एवं सलाईन के माध्यम से न्यूट्रिएन्स दिये गये. लेकिन उसकी स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती गयी. उसके ऊपर व नीचे का जबड़ा, पसलियां, रीढ़ की हड्डी के पूर्ण रूप से टूटे होने के कारण तेंदुआ तकलीफ में भी था.

डॉक्टरों की टीम कर रही थी लगातार इलाज

तेंदुए की गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक, मध्य प्रदेश द्वारा पांच चिकित्सकों की एक टीम का गठन तेंदुए के इलाज व अन्य निष्कर्ष हेतु किया गया था. गठित दल के द्वारा बताया गया कि तेंदुआ बुरी तरह घायल था. वह भविष्य में भी उपचार से ठीक नहीं हो सकता. एक से अधिक स्थानों की हड्डियां टूटे होने के कारण तेंदुआ अत्यंत तकलीफ में था. वहीं, तेंदुए की तकलीफों को देखकर उसे यूथेनेसिया दिए जाने की तैयारी की जा रही थी. लेकिन उसी रात तेंदुए की मौत हो गई.

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पेंच टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ने बताया कि, "गर्मी के दिनों में अधिकतर पानी की तलाश में जानवर रहवासी इलाकों में पहुंचते हैं और इसी दौरान वह कई बार सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. हालांकि भारत सरकार के द्वारा इसी पेंच टाइगर रिजर्व में देश के पहले साउंड एंड लाइट प्रूफ 29 किलोमीटर का नेशनल हाईवे पर ओवरब्रिज बनाया गया है, जिसमें जानवर आसानी से नीचे से आ जा सकते हैं. लेकिन कई बार तेंदुआ और दूसरे जानवर सड़कों पर आ जाते हैं तब ऐसी दुर्घटना होती है.

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