कुल्लू: पर्यावरणविद सोनम वांगचुक लेह से दिल्ली तक पदयात्रा के दौरान जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर पहुंचे. यहां सीपीएस सुंदर ठाकुर ने भी सोनम वांगचुक के साथ मुलाकात की और पद यात्रा के बारे में भी जानकारी ली. इस दौरान सोनम वांगचुक ने कहा कि लेह से दिल्ली तक जो पदयात्रा की जा रही है, वो हिमाचल क्षेत्र के पर्यावरण और लोक संस्कृति के संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगी. इस पदयात्रा के जरिए से केंद्र सरकार से भी आग्रह रहेगा कि वो इस मामले को लेकर जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाए.
संविधान में ऐसे क्षेत्रों के संरक्षण के लिए है कई प्रावधान
सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख जो कि हिमालय क्षेत्र का एक प्रमुख क्षेत्र है और यहां पर ग्लेशियर भी काफी संख्या में है. उनके संरक्षण के लिए इस पदयात्रा का करना काफी जरूरी है, क्योंकि संविधान के अनुसार कई तरह के प्रावधान इस तरह के क्षेत्रों को संरक्षित करने के लिए किए जाते हैं. मगर सरकारों द्वारा मात्र इस बारे में कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं. ऐसे में ये पदयात्रा दिल्ली में जाकर खत्म होगी और केंद्र सरकार द्वारा अगर उचित कदम नहीं उठाए गए तो राजघाट में उनके द्वारा अनशन भी शुरू किया जाएगा. वहीं, उन्होंने हिमाचल प्रदेश की जनता का आभार व्यक्त करते हुए भी कहा कि उन्हें इस पदयात्रा में स्थानीय लोगों का भी समर्थन मिल रहा है. इसके अलावा हिमालयन क्षेत्र के पर्यावरण और लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए हिमाचल के लोग भी काफी गंभीर है.
सोनम वांगचुक की लद्दाख को लेकर मांगे
बता दें कि लद्दाख की मांगों और पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने लेह से लेकर दिल्ली तक पदयात्रा शुरू की है. उनकी पदयात्रा की मुख्य मांगे लद्दाख को राज्य बनाना, लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने और लद्दाख में लोकसभा की दो सीटें शामिल हैं. सोनम वांगचुक का कहना है कि स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने का अधिकार मिल सके, इसके लिए वो छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने की मांग इसलिए कर रहे हैं. इससे पहले भी सोनम वांगचुक इन मांगों को लेकर 21 दिनों की भूख हड़ताल कर चुके हैं.
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