रांचीः दल बदल मामले में जेपी पटेल और लोबिन हेम्ब्रम की सदस्यता खत्म हो गई है. गुरुवार को स्पीकर कोर्ट ने संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अपना फैसला सुनाते हुए दोनों विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी है. बुधवार को सुनवाई के बाद इस पर फैसला सुरक्षित रखा गया था.
दल बदल मामले में आरोपों के घेरे में आए झारखंड के दो विधायक जेपी पटेल और लोबिन हेंब्रम की सदस्यता झारखंड विधानसभाध्यक्ष न्यायाधिकरण ने समाप्त कर दी है. लंबी सुनवाई के बाद बुधवार यानी 24 जुलाई को न्यायाधिकरण ने दोनों मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. 25 जुलाई को न्यायाधिकरण में अपराह्न 4 बजे फैसला का समय अचानक निर्धारित किया गया और उसके बाद स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने न्यायाधिकरण में फैसला सुनाते हुए 26 जुलाई 2024 से दोनों विधायक जेपी पटेल और लोबिन हेंब्रम की सदस्यता समाप्त करने का फैसला सुनाया.
झारखंड विधानसभा अध्यक्ष न्यायाधिकरण में जिस समय फैसला सुनाया जा रहा था दोनों पक्ष के अधिवक्ता और प्रेस मीडिया से जुड़े बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे. नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी की शिकायत पर बीजेपी की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने फैसला का स्वागत किया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि जिस दिन शिकायत की गई है उसी दिन से सदस्यता समाप्त कर आरोपी विधायक द्वारा लिए गए सुविधा को वापस लेने का प्रावधान है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का भी कई निर्णय आ चुका है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन की शिकायत पर लोबिन हेंब्रम के खिलाफ पक्ष रख रहे अधिवक्ता अंकितेश कुमार झा कहते हैं कि दसवीं अनुसूची के तहत दल बदल के आरोप सही पाए गए हैं. जिसके बाद 26 जुलाई 2024 से लोबिन हेंब्रम की सदस्यता समाप्त कर दी गई है.
ना माया मिली ना राम!
बीजेपी विधायक जेपी पटेल पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी से कांग्रेस में शामिल होकर हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे थे. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम लोकसभा चुनाव के दरमियान पार्टी के बागी उम्मीदवार बन कर राजमहल सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमा रहे थे. दोनों विधायक लोकसभा चुनाव जीतने में सफल नहीं हुए और इधर इनके उपर विधानसभा न्यायाधिकरण में की गई शिकायत के बाद हुई सुनवाई में विधायकी चली गई है. अब दोनों विधायक मानसून सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकेंगे. दोनों विधायक की सदस्यता समाप्त होने का हालांकि कुछ खास असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि अगले दो महीने के अंदर झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं.
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