जयपुर: एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से बिरला सभागार में मंगलवार को दीनदयाल स्मृति व्याख्यान का आयोजन हुआ. जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, डॉ. प्रेमचंद बैरवा सहित कई मंत्री, विधायक आदि मौजूद रहे. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार मुख्य वक्ता थे. उन्होंने 'वर्तमान वैचारिक परिदृश्य एवं चुनौतियां' विषय पर चर्चा की.
इस मौके पर एकात्म मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. महेशचंद्र शर्मा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह, सिविल लाइन विधायक गोपाल शर्मा, जयपुर शहर के पूर्व सांसद रामचरण बोहरा और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. अरुण कुमार ने कहा, हमारी आजादी की लड़ाई स्वाधीनता की लड़ाई थी. उस समय विदेश से पढ़कर आए लोगों में स्वदेशी का भाव नहीं था. इसलिए देश के विभाजन की कीमत पर आजादी स्वीकार की. जबकि कुछ ही समय पहले धर्म के आधार पर बंगाल के बंटवारे का हम विरोध कर चुके थे. उन्होंने यह भी कहा कि शक, हूण और कुषाणों को न केवल हमने परास्त किया, बल्कि उन्हें आत्मसात भी किया. अब आने वाले समय में एक बार फिर ऐसा होगा. देश इसके लिए तैयार है.
पहली पीढ़ी के राजनीतिक लोग आज शिखर पर : आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने अपने संबोधन में कहा, हमने पहले एक हजार साल तक संघर्ष किया. आज अपने देश की एक मजबूत अर्थव्यवस्था है. कोविड में भी हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत थी, क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था मैन्युप्लेटेड नहीं है. समाज और तंत्र के स्तर पर हम गुलामी की मानसिक से मुक्त हैं, लेकिन विचार के स्तर पर अभी बहुत काम करने की जरूरत है. भारत की पहचान हिंदुत्व के साथ स्थापित होती जा रही है. गांव से निकले पहली पीढ़ी के राजनीतिक लोग आज शिखर पर हैं. ये सामाजिक क्रांति है.
उन्होंने कहा, हमारा इस्लाम से संघर्ष अलग था. मंदिर ध्वस्त करना, माता-बहनों के साथ अत्याचार, लड़की-लड़कों का व्यापार, यह हमने पहले कभी नहीं देखा था. इस कालखंड में कई लोगों ने समझौते कर लिए. घूंघट-पर्दा, रात में शादी. ये हमारी परंपरा नहीं थी. इस दौर में हमारी संस्कृति नष्ट हो गई. हमारा राज्य और राजा भी हो सकता है. ये विचार ही खत्म हो गया था.
अंग्रेजों ने हमें अपनी जड़ों से काटा : उन्होंने कहा, फिर अंग्रेजी आक्रमण हुआ. पहले वो समझ नहीं पाए कि ये मुगल भारत की संस्कृति कैसे खत्म नहीं कर पाए. फिर अंग्रेजों ने अपनी शिक्षा शुरू की, जिसमें सिखाया गया कि आपके पिता, दादा मूर्ख हैं. सही वो है जो स्कूल में टीचर सीखा रहें हैं. पहले जातियां नहीं थीं, समुदाय थे. उन्होंने कहा कि आर्य बाहर से आए. सिर्फ 150-200 साल में अंग्रेजो ने हमें मूल से काट दिया. इससे पहले शक, हूण, कुषाण से राज्य की लड़ाई थी.
अब भ्रम पैदा कर विचारों पर हो रही चोट : वे बोले- पहले एकलव्य की कहानी गुरु के प्रति शिष्य के समर्पण का उदहारण थी. बाद में इसे जनजाति के साथ अन्याय से जुड़ गई. ब्रह्मण शिक्षक पर संदेह और एक जनजातीय बालक से अन्याय. अब भ्रम पैदा किया जा रहा है. जैसे आरएसएस तिरंगे और संविधान का विरोधी है, राष्ट्रगान का विरोधी है. कोई भी आरोप लगाया जाए और लगातार बोला जाए. भारत के विरोधी देश भी इनके साथ हैं. अब भ्रम पैदा कर हमारे विचारों को प्रभावित किया जा रहा है. ऐसे हालात में हमारे विचारों में स्पष्टता होनी चाहिए.
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आजादी की लड़ाई स्व और स्वदेशी की लड़ाई : उन्होंने कहा कि पहले हमारी आजादी की लड़ाई स्व और स्वदेशी पर आधारित थी. नरम दल और गरम दल जैसा कुछ नहीं था, लेकिन विदेश से पढ़कर आए लोगों में स्वदेशी का विचार नहीं था. पंडित नेहरू ने जब अंग्रेजी में किताब लिखी तो महात्मा गांधी बोले थे, उन्हें खुशी होती अगर ये हिंदी में रामराज्य पर होती. इस पर पंडित नेहरू ने कहा था कि अब दुनिया बदल गई है.
अगले 25 साल में भारत का सूरज चमक बिखेरेगा : अरुण कुमार ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने आजादी का अमृत महोत्सव देखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव का नारा दिया और अगले 25 साल के लिए लक्ष्य तय किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यवाह मोहन भागवत ने कहा कि इन 25 साल में हमें स्वाधीनता से स्वतंत्रता का सफर तय करना है. इन 75 सालों में अंधेरा छंटा है. अब अगले 25 साल में देश का सूरज अपनी चमक बिखेरेगा और संपूर्ण विश्व को रोशन करेगा.
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ही माइग्रेशन की समस्या का निदान : डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि नागरिकता और रष्ट्रीयता एक नहीं होती है. जरूरी नहीं कि जो किसी देश का नागरिक है, वह वहां का राष्ट्रीय भी हो. फ्रांस में सात फीसदी लोग माइग्रेटेड मुसलमान हैं. वहां के लोगों को समस्या खड़ी हो रही है. अमेरिका के चुनाव में भी माइग्रेशन बड़ा मुद्दा रहा. माइग्रेशन के कारण दुनियाभर में समस्या खड़ी हुई है. इस समस्या का निदान पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का सिद्धांत है. भारत जैसे देश में जहां भारत माता की जय और वंदे मातरम का नारा सबके हृदय का स्वर है, लेकिन ऐसे भी लोग होते हैं जौ भारत तेरे टुकड़े होंगे. इंशा अल्लाह, बोल सकते हैं. वे जिस कारण ऐसा बोल सकते हैं, उसे समझने की आवश्यकता है.