ETV Bharat / state

किसान आंदोलन पर बोले जूली, सरकार अन्नदाताओं की आवाज दबाने के लिए उनके रास्ते में कील बिछा रही

Kisan Andolan, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अलवर में जनसुनवाई की. इसके बाद मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर किसान आंदोलन को लेकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार अन्नदाताओं के साथ आतंकियों जैसा व्यवहार न करे.

Leader of Opposition Tikaram Jully
Leader of Opposition Tikaram Jully
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 13, 2024, 4:48 PM IST

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली

अलवर. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंगलवार को मोती डूंगरी स्थित कार्यालय पर आमजन से मुलाकात की. साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि पर्ची वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के लगभग 60 दिन पूरे होने के बाद भी आमजन के मूलभूत कार्यों के समाधान को लेकर काम नहीं हो रहा है. यह पर्ची वाली सरकार केवल कांग्रेस सरकार की योजनाओं पर रोक लगाने और नाम बदलने के एजेंडे पर काम कर रही है. उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

देश में अराजकता की जननी का पर्याय बीजेपी : उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस राज में जो जनहित में फैसले लिए गए उन सभी कार्यों को भारतीय जनता पार्टी ने दुर्भावनावश रोक दिया है. इससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शांतिपूर्वक अपनी जायज मांग के लिए शहीद स्मारक पर राजीव गांधी युवा मित्रों से मारपीट की गई. मारपीट की बजाय प्रदेश की सरकार को इन युवाओं की बात सुनकर समाधान के लिए रास्ता निकालना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में अराजकता की जननी का पर्याय बन चुकी है भारतीय जनता पार्टी.

पढ़ें. किसान आंदोलन : क्या हैं उनकी मांगें, दिल्ली सीमा पर क्या हो रहा है, जानें हर अपडेट

राजनीतिक रोटियां सेंकने का हथियार किसान : उन्होंने कहा कि एक तरफ तो किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा कर खुद को किसान हितैषी साबित करना चाह रही है. वहीं, दूसरी तरफ देश के अन्नदाता को केवल राजनीतिक रोटियां सेंकने का हथियार बना रखा है. इसके चलते 2 साल बाद फिर किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. 2 साल पहले किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ. तब मोदी सरकार को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े थे. संसद से पारित तीन काले कृषि कानून को रद्द करना पड़ा था.

ब्रिटिश शासन जैसा बर्ताव किया जा रहा: उन्होंने कहा कि खुद को किसान हितैषी बताने वाली केंद्र की मोदी सरकार की हठधर्मिता ने सैकड़ों किसानों की जान ले ली थी. चुनाव में जीत के लिए किसानों को वायदों और जुमलों वाले पानी के ठंडे छीटें दे दिए गए थे. एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार ने किसानों को रोकने के लिए सड़कों पर कीलों का जाल बिछाया है. बड़े-बड़े कंक्रीट के बैरिकेडिंग लगाए गए हैं. ये गुलामी के युग की याद दिला रहा है. उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाता पर ब्रिटिश शासन जैसा बर्ताव किया जा रहा है. किसान से जो वायदे केंद्र सरकार ने किए थे वह पूरे नहीं हुए हैं, इसलिए किसान वापस सड़कों पर अपने हक की लड़ाई के लिए उतरा है. सरकार को किसानों से वार्ता करनी चाहिए न कि बलपूर्वक उनके साथ आतंकियों जैसा व्यवहार करना चाहिए.

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली

अलवर. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मंगलवार को मोती डूंगरी स्थित कार्यालय पर आमजन से मुलाकात की. साथ ही उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि पर्ची वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार के लगभग 60 दिन पूरे होने के बाद भी आमजन के मूलभूत कार्यों के समाधान को लेकर काम नहीं हो रहा है. यह पर्ची वाली सरकार केवल कांग्रेस सरकार की योजनाओं पर रोक लगाने और नाम बदलने के एजेंडे पर काम कर रही है. उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा.

देश में अराजकता की जननी का पर्याय बीजेपी : उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस राज में जो जनहित में फैसले लिए गए उन सभी कार्यों को भारतीय जनता पार्टी ने दुर्भावनावश रोक दिया है. इससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शांतिपूर्वक अपनी जायज मांग के लिए शहीद स्मारक पर राजीव गांधी युवा मित्रों से मारपीट की गई. मारपीट की बजाय प्रदेश की सरकार को इन युवाओं की बात सुनकर समाधान के लिए रास्ता निकालना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में अराजकता की जननी का पर्याय बन चुकी है भारतीय जनता पार्टी.

पढ़ें. किसान आंदोलन : क्या हैं उनकी मांगें, दिल्ली सीमा पर क्या हो रहा है, जानें हर अपडेट

राजनीतिक रोटियां सेंकने का हथियार किसान : उन्होंने कहा कि एक तरफ तो किसानों के मसीहा कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा कर खुद को किसान हितैषी साबित करना चाह रही है. वहीं, दूसरी तरफ देश के अन्नदाता को केवल राजनीतिक रोटियां सेंकने का हथियार बना रखा है. इसके चलते 2 साल बाद फिर किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. 2 साल पहले किसानों का ऐतिहासिक आंदोलन हुआ. तब मोदी सरकार को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े थे. संसद से पारित तीन काले कृषि कानून को रद्द करना पड़ा था.

ब्रिटिश शासन जैसा बर्ताव किया जा रहा: उन्होंने कहा कि खुद को किसान हितैषी बताने वाली केंद्र की मोदी सरकार की हठधर्मिता ने सैकड़ों किसानों की जान ले ली थी. चुनाव में जीत के लिए किसानों को वायदों और जुमलों वाले पानी के ठंडे छीटें दे दिए गए थे. एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार ने किसानों को रोकने के लिए सड़कों पर कीलों का जाल बिछाया है. बड़े-बड़े कंक्रीट के बैरिकेडिंग लगाए गए हैं. ये गुलामी के युग की याद दिला रहा है. उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाता पर ब्रिटिश शासन जैसा बर्ताव किया जा रहा है. किसान से जो वायदे केंद्र सरकार ने किए थे वह पूरे नहीं हुए हैं, इसलिए किसान वापस सड़कों पर अपने हक की लड़ाई के लिए उतरा है. सरकार को किसानों से वार्ता करनी चाहिए न कि बलपूर्वक उनके साथ आतंकियों जैसा व्यवहार करना चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.