लखनऊ: लखनऊ में आईटी सिटी के निर्माण के लिए गोमती नगर विस्तार के आधा दर्जन गावों में जमीनों की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है. यहां जमीन का अधिग्रहण शुरू किया गया. इसके बावजूद कुछ प्रॉपर्टी डीलर और बिल्डर यहां जमीन की खरीद-फरोख्त में लगे हुए हैं. आखिरकार सूचना का बोर्ड लगाकर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने जमीन की बिक्री और खरीद पर रोक की जानकारी दी है.
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ने बताया कि सुनियोजित विकास के लिए प्राधिकरण की आईटी सिटी योजना के तहत ग्राम-रकीबाबाद, सोनई कजेहरा, भटवारा, मोहारीखुर्द, सिकन्दरपुर अमोलिया बक्कास, पहाड़नगर टिकरिया, सिद्धपुरा, परेहटा व खुजौली तहसील - मोहनलालगंज की भूमि अर्जन(जमीन की व्यवस्था, अधिग्रहण) की कार्रवाई की जा रही है.
ग्राम- रकीबाबाद के खसरा संख्या-1 से 492 तक, ग्राम-सोनई कंजेहरा के खसरा सख्या-144 से 1085 तक ग्राम-भटवारा के खसरा सख्या-379 से 477 तक, ग्राम-मोहारीखुर्द के खसरा सरुया-1 से 497 तक ग्राम-सिकन्दरपुर अमोलिचा के खसरा संख्या- 11 से 621 तक, ग्राम-बक्कास के खसरा संख्या-2938 से 3094 तक, ग्राम-पहाडनगर टिकरिया के खसरा संख्या-3 से 619 तक ग्राम-परेहटा के खसरा संख्या-165 से 1464 तक, ग्राम-सिद्धपुरा के खसरा संख्या-2 से 775 तक व ग्राम-खुजीली के खसरा संख्या-320 से 324 तक पर कोई ले-आउट/मानचित्र स्वीकृत नहीं होगा. इसलिए उनकी खरीद-फरोख्त अवैध होगी. आईटी सिटी का क्षेत्रफल 1582 एकड़ होगा, जबकि वेलनेस सिटी 1300 एकड़ में फैली होगी.
इसके लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा निर्धारित की गई दर का अनुमोदन प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में किया जा चुका है. योजना में हाईटेक प्रौद्योगिकी पार्क, ग्लोबल बिजनेस पार्क, साइंस एवं इंजीनियरिंग उपकरण क्षेत्र, सुपर स्पेशलिटी मेडिकल जोन आदि के लिए भूखण्ड होंगे. योजना में 72 वर्गमीटर से 1250 वर्गमीटर क्षेत्रफल के कुल 4025 आवासीय भूखण्ड सृजित किये जाएंगे, जिसमें से सर्वाधिक 1848 भूखण्ड 200 वर्गमीटर क्षेत्रफल के होंगे.
360 एकड़ का इंडस्ट्रियल एरिया: आईटी सिटी को इस तरह विकसित किया जाएगा, जिससे अधिकतम निजी निवेश आकर्षित हो. इसके लिए योजना में 360 एकड़ का इन्डस्ट्रियल एरिया व व्यावसायिक गतिविधि के लिए 64 एकड़ क्षेत्रफल आरक्षित किया गया है. साथ ही लगभग 15 एकड़ क्षेत्रफल में फैली वाटर बाॅडी योजना की पहचान बनेगी. यहां कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर से जुड़े संस्थानों के लिए अतिरिक्त प्लाटों की व्यवस्था होगी. HCL जैसी बड़ी कंपनियां इसके आसपास पहले से आ चुकी हैं.
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