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जमानत पर रिहा होने के लिए बेल बॉन्ड भरने में असमर्थ विचाराधीन कैदी, HC ने वकील नियुक्त करने के दिए आदेश - Nainital high court

NAINITAL HIGH COURT जमानत पर रिहा होने के लिए बेल बॉन्ड भरने में असमर्थ जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के लिए अब वकील नियुक्त होंगे. इस संबंध में हाईकोर्ट ने राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश जारी किए हैं. पढ़ें पूरी खबर..

NAINITAL HIGH COURT
नैनीताल हाईकोर्ट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 24, 2024, 8:39 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि जमानत पर रिहा होने के लिए व्यक्तिगत बॉन्ड प्रस्तुत करने में असमर्थता के कारण जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के लिए वकील नियुक्त करें. 10 अप्रैल के आदेश के तहत प्राधिकरण को निर्देश दिया गया कि वे उन विचाराधीन कैदियों की हिरासत के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें, जिन्हें जमानत बॉन्ड न भरने के कारण रिहा नहीं किया गया.

जब यह पता चला कि 27 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सका, क्योंकि उन्होंने अपने जमानत बॉन्ड नहीं भरे थे, तो विवरण प्रस्तुत करने पर चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेती जनहित याचिका पर सुनवाई की और राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को आवश्यक निर्देश दिए.

न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (कार्य संचालन एवं अन्य प्रावधान) विनियम, 2006 में 12 जून 2024 के आदेश द्वारा संशोधन करके विधिक सहायता परामर्शदाताओं की फीस में लगभग तीन गुना वृद्धि की है. कोई भी एडवोकेट जो पैनल में शामिल नहीं है, लेकिन बार में 3 वर्ष से अधिक का अनुभव रखता है और विचाराधीन कैदियों को निशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करता है. ऐसे वकील को भी आवेदन करने पर मानदेय भुगतान हेतु अनुमोदित शुल्क अनुसूची का लाभ दिया जा सकता है.

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जब यह पता चला कि 27 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सका, क्योंकि उन्होंने अपने जमानत बॉन्ड नहीं भरे थे, तो विवरण प्रस्तुत करने पर चीफ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेती जनहित याचिका पर सुनवाई की और राज्य के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को आवश्यक निर्देश दिए.

न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (कार्य संचालन एवं अन्य प्रावधान) विनियम, 2006 में 12 जून 2024 के आदेश द्वारा संशोधन करके विधिक सहायता परामर्शदाताओं की फीस में लगभग तीन गुना वृद्धि की है. कोई भी एडवोकेट जो पैनल में शामिल नहीं है, लेकिन बार में 3 वर्ष से अधिक का अनुभव रखता है और विचाराधीन कैदियों को निशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करता है. ऐसे वकील को भी आवेदन करने पर मानदेय भुगतान हेतु अनुमोदित शुल्क अनुसूची का लाभ दिया जा सकता है.

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