जयपुर. आरटीई की ऑनलाइन लॉटरी अब 13 मई को निकाली जाएगी. इसके साथ ही प्री-प्राइमरी (पीपी-3) एवं कक्षा-1 में 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाकर 10 मई निर्धारित कर दी गई है. वहीं, आरटीई में आवेदन से प्रभावित बच्चों को अवसर देने के लिए अब राज्य सरकार ने आयु गणना की आधार तिथि में संशोधन करते हुए 1 अप्रैल 2024 तय की है.
प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2024-25 में प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क सीट पर प्रवेश के लिए वरीयता क्रम निर्धारित करने के लिए बुधवार को लॉटरी निकाली जानी थी, लेकिन अब ये लॉटरी 13 मई को निकाली जाएगी. राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त, अविचल चतुर्वेदी ने बताया कि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत राज्य के प्राइवेट स्कूलों में प्री-प्राइमरी (पीपी-3) और कक्षा-1 में 25 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश के लिए आवेदन की अंतिम तिथि अब 10 मई निर्धारित की गई है.
अविचल चतुर्वेदी ने बताया कि अब आरटीई की ऑनलाइन लॉटरी 13 मई को निकाली जाएगी. पूर्व में आरटीई में आवेदन की आयु गणना की आधार तिथि 31 जुलाई 2024 की गई थी. पिछले सत्र में आयु निर्धारण की तिथि 31 मार्च, 2023 थी, जिसके कारण बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित हो रहे थे, लेकिन अब आरटीई में आवेदन से प्रभावित बच्चों को अवसर देने के लिए राज्य सरकार ने आयु गणना की आधार तिथि में संशोधन कर 1 अप्रैल 2024 तय की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्व निर्धारित 31 जुलाई 2024 को आधार तिथि मानते हुए जो बच्चे आवेदन कर चुके हैं, वे सभी मान्य होंगे.
एडमिशन तो देना पड़ेगा : वहीं, प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के एडमिशन को लेकर मिल रही शिकायतों पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट कर दिया है कि प्राइवेट स्कूलों को एडमिशन तो देना पड़ेगा, जहां तक उनके पेमेंट का सवाल है, तो बीजेपी की सरकार बने अभी कुछ महीने ही हुए हैं. उसमें भी वर्किंग डेज केवल 35-40 दिन थे. इस दौरान बहुत सारा आरटीई का पैसा रिलीज किया गया, लेकिन कोई भी स्कूल सरकार से आरटीई का पैसा नहीं मिला, ये कहकर किसी भी छात्र को रोक नहीं सकता और यदि ऐसा करेंगे तो फिर नियम कानून बने हुए हैं. उन्हें बताएंगे कि वो किन-किन नियमों की अवहेलना कर रहे हैं और दूसरे इलाज भी हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो बस यही चाहते हैं कि आपसी समझ से काम हो, क्योंकि सरकार की निजी विद्यालयों के प्रति सकारात्मक सोच है. प्राइवेट स्कूल 85 लाख बच्चों को पढ़ा रहे हैं और सरकारी स्कूल 82 लाख बच्चों को पढ़ा रहे हैं, वो बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं, लेकिन सरकार के नियमों की पालना तो उन्हें भी करनी होगी.