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भूमि अधिग्रहण में लापरवाह अधिकारियों पर बिहार में गिरेगी गाज? विभाग ने कमिश्नर को लिखा पत्र - LAND ACQUISITION IN BIHAR

राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में भूमि अधिग्रहण को लेकर सरकार एक्शन मोड में है. विभाग ने कमिश्नर को पत्र लिखा है. आगे पढ़ें पूरी खबर

LAND ACQUISITION IN BIHAR
कॉसेप्ट फोटो (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2025, 3:22 PM IST

पटना : बिहार में ढेरो राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाएं लंबित हैं. इन लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार ने सख्ती दिखाई है. भूमि अधिग्रहण में लापरवाही को लेकर भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने जिलों के अधिकारियों को पत्र लिखा है. पत्र में भूमि अधिग्रहण के कार्य में अनावश्यक देरी पर चिंता व्यक्त की गई है.

भूमि अधिग्रहण में देरी से बढ़ती है मुकदमे बाजी : भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि भू-अर्जन की कार्रवाई के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित परियोजनाओं के निष्पादन के संबंध में अधिकारियों द्वारा निर्णय लेने की जगह टाल-मटोल का रास्ता अपनाया जा रहा है. इससे परियोजनाओं के पूरा होने में अनावश्यक विलंब हो रहा है.

Land Reforms And Revenue Department
बैठक करते विभाग के अधिकारी (Etv Bharat)

''अधिकारियों के इस रवैसे से मुकदमेबाजी की प्रक्रिया को बढ़ावा मिल रहा है. रैयतों एवं राज्य के व्यापक हित में इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की आवश्यकता है.''- दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव, भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग

प्रमंडलीय आयुक्त को लिखा गया पत्र : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी प्रमंडलीय आयुक्त को एक पत्र लिखा है. पत्र में अर्जनाधीन भूमि की प्रकृति एवं दर को लेकर सक्षम प्राधिकार, भू-अर्जन द्वारा निर्णय लेने की जगह कार्रवाई को टालने का जिक्र किया गया है.

Dilip Jaiswal
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल (Etv Bharat)

पत्र में क्या लिखा गया है ? : इसमें सभी प्रमंडलीय आयुक्त से अनुरोध किया गया है कि, विवादित मामलों में जिनमें उनसे मध्यस्थ के रूप में निर्णय लेने की अपेक्षा की जाती है, में एनएच एक्ट, 1956 एवं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निदेशों का पालन हो रहा है या नहीं इसका अवलोकन कर लें.

अर्जनाधीन भूमि की प्रकृति एवं दर को लेकर रैयतों में अक्सर असंतोष रहता है. खासकर भूमि की प्रकृति को लेकर क्योंकि प्रकृति से भूमि की दर का निर्धारण होता है और यह मुआवजा को निर्धारित करता है. इस संबंध में जिला भू अर्जन पदाधिकारियों के द्वारा लिए गए निर्णयों के खिलाफ आयुक्त सह अध्यक्ष याानि आर्बिट्रेटर के समक्ष अपील किए जाने का प्रावधान है.

'प्रावधान के अनुरूप काम किया जाए' : पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित परियोजनाओं का निष्पादन एनएच एक्ट 1956 की धारा 3 (G) के साथ भू अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 26 से 30 तक में वर्णित प्रावधान के अनुरूप काम किया जाए. धारा 26 से 30 के मुताबिक अधिसूचना की तिथि को लागू एमवीआर, जमीन की दर और सांत्वना राशि का निर्धारण किया जाता है.

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पटना : बिहार में ढेरो राष्ट्रीय राजमार्ग की परियोजनाएं लंबित हैं. इन लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार ने सख्ती दिखाई है. भूमि अधिग्रहण में लापरवाही को लेकर भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने जिलों के अधिकारियों को पत्र लिखा है. पत्र में भूमि अधिग्रहण के कार्य में अनावश्यक देरी पर चिंता व्यक्त की गई है.

भूमि अधिग्रहण में देरी से बढ़ती है मुकदमे बाजी : भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि भू-अर्जन की कार्रवाई के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित परियोजनाओं के निष्पादन के संबंध में अधिकारियों द्वारा निर्णय लेने की जगह टाल-मटोल का रास्ता अपनाया जा रहा है. इससे परियोजनाओं के पूरा होने में अनावश्यक विलंब हो रहा है.

Land Reforms And Revenue Department
बैठक करते विभाग के अधिकारी (Etv Bharat)

''अधिकारियों के इस रवैसे से मुकदमेबाजी की प्रक्रिया को बढ़ावा मिल रहा है. रैयतों एवं राज्य के व्यापक हित में इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की आवश्यकता है.''- दीपक कुमार, अपर मुख्य सचिव, भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग

प्रमंडलीय आयुक्त को लिखा गया पत्र : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी प्रमंडलीय आयुक्त को एक पत्र लिखा है. पत्र में अर्जनाधीन भूमि की प्रकृति एवं दर को लेकर सक्षम प्राधिकार, भू-अर्जन द्वारा निर्णय लेने की जगह कार्रवाई को टालने का जिक्र किया गया है.

Dilip Jaiswal
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल (Etv Bharat)

पत्र में क्या लिखा गया है ? : इसमें सभी प्रमंडलीय आयुक्त से अनुरोध किया गया है कि, विवादित मामलों में जिनमें उनसे मध्यस्थ के रूप में निर्णय लेने की अपेक्षा की जाती है, में एनएच एक्ट, 1956 एवं सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निदेशों का पालन हो रहा है या नहीं इसका अवलोकन कर लें.

अर्जनाधीन भूमि की प्रकृति एवं दर को लेकर रैयतों में अक्सर असंतोष रहता है. खासकर भूमि की प्रकृति को लेकर क्योंकि प्रकृति से भूमि की दर का निर्धारण होता है और यह मुआवजा को निर्धारित करता है. इस संबंध में जिला भू अर्जन पदाधिकारियों के द्वारा लिए गए निर्णयों के खिलाफ आयुक्त सह अध्यक्ष याानि आर्बिट्रेटर के समक्ष अपील किए जाने का प्रावधान है.

'प्रावधान के अनुरूप काम किया जाए' : पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित परियोजनाओं का निष्पादन एनएच एक्ट 1956 की धारा 3 (G) के साथ भू अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 26 से 30 तक में वर्णित प्रावधान के अनुरूप काम किया जाए. धारा 26 से 30 के मुताबिक अधिसूचना की तिथि को लागू एमवीआर, जमीन की दर और सांत्वना राशि का निर्धारण किया जाता है.

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