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तेजस्वी का 'A2Z' और लालू का 'MY'... विधानसभा चुनाव में कौन पड़ेगा भारी? - LALU YADAV MY EQUATION

बिहार विधानसभा का चुनाव अगले साल होना है. मुस्लिम वोट बैंक में डेंट लगा है. A2Z की बात करनेवाले तेजस्वी ने अपनी रणनीति बदली है.

LALU YADAV MY EQUATION
हिना शहाब और ओसामा राजद में शामिल. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 28, 2024, 8:30 PM IST

पटना: बिहार की राजनीति में 1990 से लालू यादव का MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण अहम भूमिका निभाता रहा है. अपने इसी वोट बैंक पर लालू प्रसाद लंबे समय तक सत्ता में रहे. लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने जब पार्टी के कार्यभार का संभाला तो A2Z पार्टी बनाने का दावा किया. जिसका मकसद पार्टी की छवि बदलना था. लेकिन बाहुबली शहाबुद्दीन के परिवार को पार्टी में शामिल करने से एक बार फिर लालू के पुराने समीकरण की वापसी की चर्चा जोर पकड़ने लगी है. तेजस्वी यादव को लगने लगा है कि यदि मुख्यमंत्री बनना है तो, अपने पुराने वोट बैंक पर एक बार फिर से पकड़ बनानी होगी.

तेजस्वी का राजनीतिक सफरः लालू प्रसाद के दोनों बेटे 2015 में राजनीति में सक्रिय हो गये. 2015 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी. लालू प्रसाद ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को महागठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया. उसी समय यह चर्चा शुरू हो गई कि राजद की कमान अब तेजस्वी के हाथों में होगी. धीरे धीरे राजद में सभी फैसला तेजस्वी यादव लेने लगे. 2020 विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने ही राजद में कौन प्रत्याशी होंगे और किसके साथ गठबंधन होगा, सारा फैसला लिया. लालू प्रसाद यादव की तबीयत खराब होने के बाद राजद के निर्णय तेजस्वी यादव लेने लगे, हालांकि अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ही हैं.

राजद की मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति. (ETV Bharat)

तेजस्वी का ए टू जेड समीकरणः तेजस्वी यादव ने सबसे पहले राजद की छवि बदलने की कोशिश की. राजद की परंपरागत माय (MY) समीकरण के बदले उन्होंने ए टू जेड की पार्टी बनाने की बात शुरू की. बाहुबलियों से पार्टी को दूर करने की कवायद शुरू की. लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव, कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ना चाह रहे थे. कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे, इसलिए कांग्रेस का टिकट नहीं मिला. सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और पुत्र ओसामा शहाब आरजेडी में आना चाह रहे थे लेकिन तेजस्वी यादव ऐसा नहीं जा रहे थे. लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी निर्दलीय चुनाव लड़ी थी.

वोट बैंक बचाने की चुनौतीः 1990 में लालू यादव, बीजेपी के सहयोग से बिहार में सरकार चला रहे थे. लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर अभियान को लेकर सोमनाथ से रथ यात्रा निकाले थे. लालू प्रसाद यादव ने बिहार के समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद मुसलमान का एक तरफा समर्थन लालू प्रसाद यादव के साथ चला गया. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में मुसलमान का झुकाव अन्य दलों की तरफ भी होने लगा. सीमांचल में 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की. प्रशांत किशोर, आगामी विधानसभा चुनाव 40 से अधिक अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के खड़ा करने की घोषणा कर चुके हैं.

ETV GFX
ETV GFX (ETV Bharat)

लालू यादव ने संभाला मोर्चाः तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि फिर से राजद की पुरानी छवि बने. लेकिन लालू यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. वह समझ चुके थे कि अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव अन्य राजनीतिक दलों की तरफ हो रहा है. 2024 लोकसभा चुनाव में सीमांचल की चार सीट में दो सीटों पर कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी हासिल की. पूर्णिया सीट पर निर्दलीय पप्पू यादव की जीत हुई. इससे पहले गोपालगंज, कुढ़नी एवं रुपौली विधानसभा उपचुनाव में मुसलमान वोटरों ने राजद के पक्ष में वोट नहीं किया. मुस्लिम वोट को एकजुट रखने के लिए लालू यादव फिर से सक्रिय हुए.

अल्पसंख्यक वोटरों को जोड़ना चुनौतीः वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण का कहना है कि तेजस्वी यादव पार्टी की छवि बदलना चाह रहे थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. वह जान गए थे कि अल्पसंख्यक वोटर धीरे-धीरे आरजेडी से दूर होता जा रहा है. गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में शहाबुद्दीन के परिवार के विरोध के कारण मुस्लिम वोटर आरजेडी से नाराज थे, और वहां पर राजद की हार हुई. लोकसभा चुनाव में सिवान में राजद के कैंडिडेट के रूप में अवध बिहारी चौधरी खड़ा थे, लेकिन फिर भी मुस्लिम वोटरों ने शहाबुद्दीन की पत्नी को वोट दिया. रुपौली उपचुनाव में राजद की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रही.

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"चुनाव में मुस्लिम वोट में विखराव ना हो, इसलिए लालू यादव की पहल पर शहाबुद्दीन परिवार की वापसी हुई. तेजस्वी यादव को लालू यादव ने समझाया. एक महीने पहले आरजेडी एमएलसी विनोद जायसवाल के आवास पर लालू यादव, तेजस्वी यादव को लेकर हिना और ओसामा शहाब से मिले थे."- इंद्रभूषण, वरिष्ठ पत्रकार

सत्ता की भूखः वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव के साये से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने आरजेडी की छवि बदलने की कोशिश की और लोगों से अपील की थी कि जो पहले हुआ वह भूल जाइए. आरजेडी को ए टू जेड की पार्टी बनाने की बात कही. लेकिन विपक्षी पार्टी लगातार कहती रही कि ये लोग बदलने वाले नहीं हैं. जिस समीकरण के सहारे लालू प्रसाद यादव चल रहे थे, उसमें माय के अलावा अतिपिछड़ा भी होता था. बाद में अति पिछड़ा भी नीतीश के साथ चला गया. तेजस्वी यादव जिस जगह से निकलने की कोशिश कर रहे थे, फिर वहीं जाते दिख रहे हैं. कारण कि उन्हें हर हालत में बिहार की सत्ता चाहिए.

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हिना शहाब और ओसामा राजद में शामिल. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"राजनीति में सिद्धांत कोई मायने नहीं रखता है. राजनीति में जीत का एक अलग मजा होता है. तेजस्वी यादव को अब लगने लगा है कि इस जीत (बिहार में सत्ता) के लिए माय समीकरण की जरूरत होगी."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

क्यों पड़ी माय समीकरण की जरूरतः जब तेजस्वी यादव को लगा कि सीमांचल के इलाके के बड़े नेता एवं बिहार की राजनीति के बड़े अल्पसंख्यक नेता कभी लालू यादव के साथ रहते थे, वह धीरे-धीरे उनसे अलग हो गए थे. लेकिन जब उनको लगा कि इन इलाकों में राजद की स्थिति कमजोर हो रही है तो फिर तेजस्वी यादव को मुड़कर उन्हीं नेताओं के पास जाना पड़ा. यही कारण है कि तेजस्वी यादव को हिना शहाब और ओसामा को 10 सर्कुलर रोड पर बुलाकर अपनी पार्टी की सदस्यता दिलवानी पड़ी. कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि तेजस्वी यादव को अब लगने लगा है कि जीत के लिए माय समीकरण की जरूरत होगी.

बिछड़े साथी वापस आ रहेः राजद में शहाबुद्दीन के बेटे और पत्नी के शामिल होने पर आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि कोई भी लालू यादव की विचारधारा से अलग नहीं हैं. राजनीति में कुछ परिस्थितियों होती है और कुछ परिस्थितियों के कारण उन लोगों ने राजद से कुछ दूरी बना ली थी. लेकिन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव जी विचार के साथ चल रहे हैं, यह लोग जानते हैं कि कितनी भी परेशानी हो जाए यह लोग अपने सिद्धांत से समझौता नहीं किया. बीजेपी से कभी समझौता नहीं किया. जो लोग बिछड़े हुए थे सभी लोग फिर से लालू जी और तेजस्वी यादव के विचारों को मानते हुए एक साथ आ रहे हैं.

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हिना शहाब राजद में शामिल. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"पार्टी में किसको शामिल करना है, इसके लिए केंद्रीय स्तर पर बैठकर बातचीत होती है. सिर्फ नेतृत्व बैठकर बातचीत करता है और फैसला लेता है. जो लोग बिछड़े हुए थे सभी लोग फिर से लालू जी और तेजस्वी यादव के विचारों को मानते हुए एक साथ आ रहे हैं."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

बीजेपी का राजद पर निशानाः शहाबुद्दीन की पत्नी और बेटे की राजद में वापसी पर भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि लाल यादव राष्ट्रीय जनता दल एवं उनका परिवार मुसलमान से ऊपर उठ नहीं सकता है. उनकी सबसे बड़ी पूंजी मुसलमान का वोट है, ऐसा इनका मानना है. MY समीकरण की बात कह कर यह लोग बिहार में आग लगाते रहे हैं. तेजस्वी यादव पर वार करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल कभी ए टू जेड की पार्टी नहीं रही. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सही मामले में राष्ट्रीय जनता दल अपराधियों में ए टू जेड भ्रष्टाचारियों में ए टू जेड, माफिया में ए टू जेड है.

"राष्ट्रीय जनता दल की पहली प्राथमिकता मुसलमान का तुष्टिकरण है क्योंकि मुसलमान वोटो का एकीकरण ही राष्ट्रीय जनता दल की पूरी सियासी पायदान में है। उनकी सियासी जड़ मुसलमान वोटरों के तुष्टिकरण और एकीकरण में ही है."- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

पुराने साथियों को वापस लाने की कवायदः लालू यादव बिहार के हर इलाकों में एक बड़े अल्पसंख्यक चेहरा को सियासी तौर पर खड़ा किए थे. सीमांचल में तस्लीमुद्दीन, मिथिलांचल में अब्दुल बारी सिद्दीकी और अली अशरफ फ़ातमी, सिवान और सारण इलाके में मोहम्मद शहाबुद्दीन और सासाराम के इलाके में इलियास हुसैन जैसे बड़े चेहरे लालू यादव के साथ खड़े थे. धीरे-धीरे सभी नेता की दूरी आरजेडी से होने लगी. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद उनके बेटे जो एआईएमआईएम के विधायक थे उनका सबसे पहले आरजेडी में शामिल करवाया गया. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अली अशरफ फातमी कि राजद में वापसी हुई. अब शहाबुद्दीन की पत्नी और पुत्र को आरजेडी में शामिल करवाया.

आगामी विधानसभा चुनाव पर नजरः आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारी में जुट गये हैं. गिरिराज सिंह सीमांचल में हिंदू वोटरों को एकजुट करने के लिए हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाले. उनकी यात्रा से सबसे ज्यादा परेशानी आरजेडी में देखने को मिली. सीमांचल में एआईएमआईएम उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है. दूसरी तरफ बीजेपी हिंदू वोटो के ध्रुवीकरण में लगी हुई है. प्रशांत किशोर ने पूरे बिहार में मुसलमानों को ज्यादा टिकट देने की बात कही है. यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने गिरिराज सिंह की यात्रा पर ईंट से ईंट बजाने की बात कही थी.

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पटना: बिहार की राजनीति में 1990 से लालू यादव का MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण अहम भूमिका निभाता रहा है. अपने इसी वोट बैंक पर लालू प्रसाद लंबे समय तक सत्ता में रहे. लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने जब पार्टी के कार्यभार का संभाला तो A2Z पार्टी बनाने का दावा किया. जिसका मकसद पार्टी की छवि बदलना था. लेकिन बाहुबली शहाबुद्दीन के परिवार को पार्टी में शामिल करने से एक बार फिर लालू के पुराने समीकरण की वापसी की चर्चा जोर पकड़ने लगी है. तेजस्वी यादव को लगने लगा है कि यदि मुख्यमंत्री बनना है तो, अपने पुराने वोट बैंक पर एक बार फिर से पकड़ बनानी होगी.

तेजस्वी का राजनीतिक सफरः लालू प्रसाद के दोनों बेटे 2015 में राजनीति में सक्रिय हो गये. 2015 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी. लालू प्रसाद ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को महागठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया. उसी समय यह चर्चा शुरू हो गई कि राजद की कमान अब तेजस्वी के हाथों में होगी. धीरे धीरे राजद में सभी फैसला तेजस्वी यादव लेने लगे. 2020 विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने ही राजद में कौन प्रत्याशी होंगे और किसके साथ गठबंधन होगा, सारा फैसला लिया. लालू प्रसाद यादव की तबीयत खराब होने के बाद राजद के निर्णय तेजस्वी यादव लेने लगे, हालांकि अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ही हैं.

राजद की मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति. (ETV Bharat)

तेजस्वी का ए टू जेड समीकरणः तेजस्वी यादव ने सबसे पहले राजद की छवि बदलने की कोशिश की. राजद की परंपरागत माय (MY) समीकरण के बदले उन्होंने ए टू जेड की पार्टी बनाने की बात शुरू की. बाहुबलियों से पार्टी को दूर करने की कवायद शुरू की. लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव, कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ना चाह रहे थे. कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे, इसलिए कांग्रेस का टिकट नहीं मिला. सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और पुत्र ओसामा शहाब आरजेडी में आना चाह रहे थे लेकिन तेजस्वी यादव ऐसा नहीं जा रहे थे. लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन की पत्नी निर्दलीय चुनाव लड़ी थी.

वोट बैंक बचाने की चुनौतीः 1990 में लालू यादव, बीजेपी के सहयोग से बिहार में सरकार चला रहे थे. लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर अभियान को लेकर सोमनाथ से रथ यात्रा निकाले थे. लालू प्रसाद यादव ने बिहार के समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद मुसलमान का एक तरफा समर्थन लालू प्रसाद यादव के साथ चला गया. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में मुसलमान का झुकाव अन्य दलों की तरफ भी होने लगा. सीमांचल में 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की. प्रशांत किशोर, आगामी विधानसभा चुनाव 40 से अधिक अल्पसंख्यक उम्मीदवारों के खड़ा करने की घोषणा कर चुके हैं.

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लालू यादव ने संभाला मोर्चाः तेजस्वी यादव नहीं चाहते थे कि फिर से राजद की पुरानी छवि बने. लेकिन लालू यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. वह समझ चुके थे कि अल्पसंख्यक वोटरों का झुकाव अन्य राजनीतिक दलों की तरफ हो रहा है. 2024 लोकसभा चुनाव में सीमांचल की चार सीट में दो सीटों पर कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशी हासिल की. पूर्णिया सीट पर निर्दलीय पप्पू यादव की जीत हुई. इससे पहले गोपालगंज, कुढ़नी एवं रुपौली विधानसभा उपचुनाव में मुसलमान वोटरों ने राजद के पक्ष में वोट नहीं किया. मुस्लिम वोट को एकजुट रखने के लिए लालू यादव फिर से सक्रिय हुए.

अल्पसंख्यक वोटरों को जोड़ना चुनौतीः वरिष्ठ पत्रकार इंद्रभूषण का कहना है कि तेजस्वी यादव पार्टी की छवि बदलना चाह रहे थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. वह जान गए थे कि अल्पसंख्यक वोटर धीरे-धीरे आरजेडी से दूर होता जा रहा है. गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में शहाबुद्दीन के परिवार के विरोध के कारण मुस्लिम वोटर आरजेडी से नाराज थे, और वहां पर राजद की हार हुई. लोकसभा चुनाव में सिवान में राजद के कैंडिडेट के रूप में अवध बिहारी चौधरी खड़ा थे, लेकिन फिर भी मुस्लिम वोटरों ने शहाबुद्दीन की पत्नी को वोट दिया. रुपौली उपचुनाव में राजद की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रही.

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"चुनाव में मुस्लिम वोट में विखराव ना हो, इसलिए लालू यादव की पहल पर शहाबुद्दीन परिवार की वापसी हुई. तेजस्वी यादव को लालू यादव ने समझाया. एक महीने पहले आरजेडी एमएलसी विनोद जायसवाल के आवास पर लालू यादव, तेजस्वी यादव को लेकर हिना और ओसामा शहाब से मिले थे."- इंद्रभूषण, वरिष्ठ पत्रकार

सत्ता की भूखः वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का कहना है कि तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव के साये से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने आरजेडी की छवि बदलने की कोशिश की और लोगों से अपील की थी कि जो पहले हुआ वह भूल जाइए. आरजेडी को ए टू जेड की पार्टी बनाने की बात कही. लेकिन विपक्षी पार्टी लगातार कहती रही कि ये लोग बदलने वाले नहीं हैं. जिस समीकरण के सहारे लालू प्रसाद यादव चल रहे थे, उसमें माय के अलावा अतिपिछड़ा भी होता था. बाद में अति पिछड़ा भी नीतीश के साथ चला गया. तेजस्वी यादव जिस जगह से निकलने की कोशिश कर रहे थे, फिर वहीं जाते दिख रहे हैं. कारण कि उन्हें हर हालत में बिहार की सत्ता चाहिए.

LALU YADAV MY EQUATION
हिना शहाब और ओसामा राजद में शामिल. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"राजनीति में सिद्धांत कोई मायने नहीं रखता है. राजनीति में जीत का एक अलग मजा होता है. तेजस्वी यादव को अब लगने लगा है कि इस जीत (बिहार में सत्ता) के लिए माय समीकरण की जरूरत होगी."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

क्यों पड़ी माय समीकरण की जरूरतः जब तेजस्वी यादव को लगा कि सीमांचल के इलाके के बड़े नेता एवं बिहार की राजनीति के बड़े अल्पसंख्यक नेता कभी लालू यादव के साथ रहते थे, वह धीरे-धीरे उनसे अलग हो गए थे. लेकिन जब उनको लगा कि इन इलाकों में राजद की स्थिति कमजोर हो रही है तो फिर तेजस्वी यादव को मुड़कर उन्हीं नेताओं के पास जाना पड़ा. यही कारण है कि तेजस्वी यादव को हिना शहाब और ओसामा को 10 सर्कुलर रोड पर बुलाकर अपनी पार्टी की सदस्यता दिलवानी पड़ी. कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि तेजस्वी यादव को अब लगने लगा है कि जीत के लिए माय समीकरण की जरूरत होगी.

बिछड़े साथी वापस आ रहेः राजद में शहाबुद्दीन के बेटे और पत्नी के शामिल होने पर आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि कोई भी लालू यादव की विचारधारा से अलग नहीं हैं. राजनीति में कुछ परिस्थितियों होती है और कुछ परिस्थितियों के कारण उन लोगों ने राजद से कुछ दूरी बना ली थी. लेकिन लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव जी विचार के साथ चल रहे हैं, यह लोग जानते हैं कि कितनी भी परेशानी हो जाए यह लोग अपने सिद्धांत से समझौता नहीं किया. बीजेपी से कभी समझौता नहीं किया. जो लोग बिछड़े हुए थे सभी लोग फिर से लालू जी और तेजस्वी यादव के विचारों को मानते हुए एक साथ आ रहे हैं.

LALU YADAV MY EQUATION
हिना शहाब राजद में शामिल. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

"पार्टी में किसको शामिल करना है, इसके लिए केंद्रीय स्तर पर बैठकर बातचीत होती है. सिर्फ नेतृत्व बैठकर बातचीत करता है और फैसला लेता है. जो लोग बिछड़े हुए थे सभी लोग फिर से लालू जी और तेजस्वी यादव के विचारों को मानते हुए एक साथ आ रहे हैं."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

बीजेपी का राजद पर निशानाः शहाबुद्दीन की पत्नी और बेटे की राजद में वापसी पर भाजपा प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि लाल यादव राष्ट्रीय जनता दल एवं उनका परिवार मुसलमान से ऊपर उठ नहीं सकता है. उनकी सबसे बड़ी पूंजी मुसलमान का वोट है, ऐसा इनका मानना है. MY समीकरण की बात कह कर यह लोग बिहार में आग लगाते रहे हैं. तेजस्वी यादव पर वार करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल कभी ए टू जेड की पार्टी नहीं रही. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सही मामले में राष्ट्रीय जनता दल अपराधियों में ए टू जेड भ्रष्टाचारियों में ए टू जेड, माफिया में ए टू जेड है.

"राष्ट्रीय जनता दल की पहली प्राथमिकता मुसलमान का तुष्टिकरण है क्योंकि मुसलमान वोटो का एकीकरण ही राष्ट्रीय जनता दल की पूरी सियासी पायदान में है। उनकी सियासी जड़ मुसलमान वोटरों के तुष्टिकरण और एकीकरण में ही है."- कुंतल कृष्ण, भाजपा प्रवक्ता

पुराने साथियों को वापस लाने की कवायदः लालू यादव बिहार के हर इलाकों में एक बड़े अल्पसंख्यक चेहरा को सियासी तौर पर खड़ा किए थे. सीमांचल में तस्लीमुद्दीन, मिथिलांचल में अब्दुल बारी सिद्दीकी और अली अशरफ फ़ातमी, सिवान और सारण इलाके में मोहम्मद शहाबुद्दीन और सासाराम के इलाके में इलियास हुसैन जैसे बड़े चेहरे लालू यादव के साथ खड़े थे. धीरे-धीरे सभी नेता की दूरी आरजेडी से होने लगी. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद उनके बेटे जो एआईएमआईएम के विधायक थे उनका सबसे पहले आरजेडी में शामिल करवाया गया. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अली अशरफ फातमी कि राजद में वापसी हुई. अब शहाबुद्दीन की पत्नी और पुत्र को आरजेडी में शामिल करवाया.

आगामी विधानसभा चुनाव पर नजरः आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारी में जुट गये हैं. गिरिराज सिंह सीमांचल में हिंदू वोटरों को एकजुट करने के लिए हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकाले. उनकी यात्रा से सबसे ज्यादा परेशानी आरजेडी में देखने को मिली. सीमांचल में एआईएमआईएम उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है. दूसरी तरफ बीजेपी हिंदू वोटो के ध्रुवीकरण में लगी हुई है. प्रशांत किशोर ने पूरे बिहार में मुसलमानों को ज्यादा टिकट देने की बात कही है. यही कारण है कि तेजस्वी यादव ने गिरिराज सिंह की यात्रा पर ईंट से ईंट बजाने की बात कही थी.

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