राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में मानसून की एंट्री हो चुकी है. जिले में बाढ़ सहित अन्य आपदा से निपटने के लिए प्रशासन की एसडीआरएफ टीम के पास ना तो कुशल सैनिक हैं, ना ही जरूरी संसाधन. यही कारण है कि जब भी राजनांदगांव में आपदा आती है, तब दुर्ग और रायपुर से एसडीआरएफ की टीम बुलाई जाती है. लिहाजा जब तक टीम पहुंचती हैं. तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
जिले में महज 199 सैनिक: राजनांदगांव जिला सेनानी कार्यालय जिस पर करीब 300 किलोमीटर की परिधि में रेस्क्यू और आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी है, वहां वर्तमान में महज 239 सैनिक हैं. इनमें से खैरागढ़-गंडई-छुईखदान और मानपुर-मोहला-अंबागढ़ चौकी जिलों के लिए 40 जवानों को भेज दिया गया है. इस कारण राजनांदगांव में महज 199 सैनिक ही बचे हैं. आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित लोगों की बात करें तो यहां कोई भी ट्रेंड सिपाही नहीं है.
बात अगर संसाधनों की करें तो होमगार्ड के पास 4 बोट थी, जिनमें से चालू हालात में सिर्फ 3 ही बोट हैं. बाकी को डिस्मेंटल किया जा रहा है. वहीं, इन बोट्स को घटना स्थल पर ले जाने के लिए वाहन भी नहीं है.अगर कोई घटना घटती है तो गाड़ी की व्यवस्था करने पर ही बोट्स को मौके पर ले जाया जा सकता है. ऐसे में तब तक बड़े हादसे हो जाते हैं. यहां के सैनिकों में एक भी सैनिक ऐसा नहीं है, जिसे कुशल गोताखोर माना जाए. आवश्यकता पड़ने पर वो गहरे पानी में उतर सके. ना ही इन्हें डाइव करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराया गया है.
मानपुर मोहला, खैरागढ़ या राजनांदगांव में कहीं भी कोई आपदा आती है तो हमारे 10-10 जवानों की ट्रेन्ड टीम तत्काल पहुंचती है. लाइफ जैकेट और मोटर बोट को लेकर तुरंत पहुंचते हैं और रेस्क्यू करते हैं. मोटर बोट कैरी करने के लिए एक बड़ी गाड़ी की जरूरत है. -अरुण कुमार सिंह, डिस्ट्रिक्ट कमांडेंट, नगर सेना राजनांदगांव
इस कारण व्यवस्थाओं की है कमी: जिले में बाढ़ और अन्य आपदा से निपटने के लिए प्रशासन की एसडीआरएफ टीम को मशीनों और सभी सुविधाओं की और अधिक आवश्यकता है. ताकि बरसात के दिनों में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके. इसके लिए और आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करना आवश्यक है.राजनांदगांव सहित आसपास के नवीन जिलों में यहीं से संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं. ऐसे में प्रशासन को इस ध्यान देते हुए और आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए. जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ नियंत्रण कक्ष जिला कार्यालय और अन्य जगहों पर स्थापित किया गया है. बावजूद इसके यहां संसाधनों का अभाव बना हुआ है.
हाल ही में राजनांदगांव में एक फैक्ट्री में आग लग गई थी. 12 घंटे के बाद आग पर काबू पाया गया. वहीं, मोहारा नदी में एक युवक के बह जाने पर 24 घण्टे बाद युवक की लाश मिली. इसके साथ ही रहवासी क्षेत्रों में आग लगने पर कई बार लोगों की जान तक चली गई.