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गांव के स्कूल से टाटा स्टील में मैनेजर तक का सफर, पढ़ाई के लिए नहीं थे पैसे आज लाखों का पैकेज - Raipur Labour Conference

CM Vishnudeo Sai छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय श्रमिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक ऐसे युवक को सम्मानित किया जो श्रमिक परिवार से था. जिसने गांव के सरकारी स्कूल में अपनी पूरी पढ़ाई की. आगे की पढ़ाई के लिए दिन रात मेहनत की और सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए IIT पहुंचा. आज श्रमिक परिवार का ये बेटा लाखों रुपये की सैलरी उठा रहा है.Raipur Labour Conference

Raipur Labour Conference
धमतरी के श्रमिक परिवार का युवा टाटा स्टील में मैनेजर (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 18, 2024, 9:15 AM IST

रायपुर: एक छोटे से गांव से निकलकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई फिर आईआईटी और फिर टाटा स्टील में मैनेजर का प्रतिष्ठापूर्ण पद प्राप्त करना किसी भी श्रमिक परिवार के बच्चे के लिए एक सपने जैसा है. इस सपने को श्रमिक परिवार के एक बच्चे ने हकीकत में बदला और आज वह टाटा स्टील में मैनेजर के पद पर पदस्थ है. छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर श्रमिक परिवार के होनहार युवा को सम्मानित किया.

Raipur Labour Conference
छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय श्रमिक सम्मेलन में श्रमिक परिवार के पंकज साहू को सम्मान (ETV Bharat Chhattisgarh)

मां श्रमिक, पिता दुकान में करते थे काम: सीएम के हाथों सम्मानित होने वाले युवक का नाम पंकज साहू है. जो धमतरी जिले के दर्री के खरेंगा गांव का रहने वाला हैं. पिता धमतरी के एक निजी दुकान में काम करते थे. मां ज्ञानबती साहू छत्तीसगढ़ श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक के रूप में काम करती है. पंकज की पढ़ाई खरेंगा गांव के सरकारी स्कूल में हुई. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज जगदलपुर (बस्तर) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. पंकज आगे एमटेक की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन पैसों की कमी थी जिसके बाद मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना का लाभ लिया और आईआईटी धनबाद पहुंचे. वहां पंकज को एमटेक में गोल्ड मेडल मिला.

पंकज साहू से जानिए कैसे पहुंचे सफलता के शिखर पर (ETV Bharat Chhattisgarh)

मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना का मिला लाभ: पंकज बताते हैं कि परिवार की मासिक आय 5 से 6000 रुपये थी. ऐसे में सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग के बाद आगे की पढ़ाई के लिए हमारे पास पैसे नहीं थे. लेकिन एमटेक का एक साल का खर्च लगभग 1 लाख रुपये था जो एक श्रमिक परिवार के लिए असंभव था. जिसके बाद मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना का लाभ लिया और आईआईटी धनबाद में 2 साल में एमटेक का कोर्स किया जहां गोल्ड मेडल मिला. इसके बाद वेदांता रिसोर्स से प्लेसमेंट हुआ और इस समय वे ओडिशा टाटा स्टील कंपनी में मैनेजर के पद पर सालाना 18 लाख रुपये के पैकेज पर काम कर रहे हैं.

पंकज साहू ने मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना के लिए राज्य सरकार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हम जैसे गरीब परिवार के बच्चे की उच्च शिक्षा की राह इस योजना ने आसान की है.

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मां श्रमिक, पिता दुकान में करते थे काम: सीएम के हाथों सम्मानित होने वाले युवक का नाम पंकज साहू है. जो धमतरी जिले के दर्री के खरेंगा गांव का रहने वाला हैं. पिता धमतरी के एक निजी दुकान में काम करते थे. मां ज्ञानबती साहू छत्तीसगढ़ श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक के रूप में काम करती है. पंकज की पढ़ाई खरेंगा गांव के सरकारी स्कूल में हुई. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज जगदलपुर (बस्तर) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. पंकज आगे एमटेक की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन पैसों की कमी थी जिसके बाद मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना का लाभ लिया और आईआईटी धनबाद पहुंचे. वहां पंकज को एमटेक में गोल्ड मेडल मिला.

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मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना का मिला लाभ: पंकज बताते हैं कि परिवार की मासिक आय 5 से 6000 रुपये थी. ऐसे में सरकारी कॉलेज से इंजीनियरिंग के बाद आगे की पढ़ाई के लिए हमारे पास पैसे नहीं थे. लेकिन एमटेक का एक साल का खर्च लगभग 1 लाख रुपये था जो एक श्रमिक परिवार के लिए असंभव था. जिसके बाद मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना का लाभ लिया और आईआईटी धनबाद में 2 साल में एमटेक का कोर्स किया जहां गोल्ड मेडल मिला. इसके बाद वेदांता रिसोर्स से प्लेसमेंट हुआ और इस समय वे ओडिशा टाटा स्टील कंपनी में मैनेजर के पद पर सालाना 18 लाख रुपये के पैकेज पर काम कर रहे हैं.

पंकज साहू ने मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना के लिए राज्य सरकार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हम जैसे गरीब परिवार के बच्चे की उच्च शिक्षा की राह इस योजना ने आसान की है.

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