श्योपुर : कूनो नेशनल पार्क में जल्द किलकारी गूंज सकती है. दरअसल, इस नेशनल पार्क में एक मादा चीता के प्रेग्नेंट होने की खबर सामने आ रही है. खुद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रेग्नेंट मादा चीता का फोटो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करते हुए ये खुशखबरी दी है. इस खबर से कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधन ने भी राहत की सांस ली है.
सीएम बोले- कूनो में आने वाली हैं खुशियां
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा, '' देश के 'चीता स्टेट' मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जल्द ही मादा चीता नए शावकों को जन्म देने वाली है. यह खबर 'चीता प्रोजेक्ट' की बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है. आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में शुरू किया गया ये प्रोजेक्ट पारिस्थितिक संतुलन को निरन्तर बेहतर बनाने वाला सिद्ध हो रहा है.''
कूनो में आने वाली हैं खुशियां...
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) October 19, 2024
देश के 'चीता स्टेट' मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में जल्द ही मादा चीता नए शावकों को जन्म देने वाली है।
यह खबर 'चीता प्रोजेक्ट' की बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में शुरू किया गया ये प्रोजेक्ट… pic.twitter.com/gLz8kD9HJ3
वन विभाग में खुशी की लहर
कूनो नेशनल पार्क की मादा चीते के प्रेग्नेंट होने की खबर से नेशनल पार्क प्रबंधन में खुशी की लहर दौड़ गई है. पार्क प्रबंधन चीतों के जन्म को लेकर उत्साहित है. दरअसल, इसके पहले कई चीतों की अचानक मौत ने पार्क प्रबंधन को चिंता में डाल दिया गया था. वहीं इसके बाद चीतों के लिए और बेहतर माहौल बनाने के लगातार प्रयास यहां किए जा रहे हैं.
बढ़ गया है कूनो का टोटल एरिया
आपको बता दें कि कूनो नेशनल पार्क का टोटल एरिया बढ़कर 1 लाख 77 हजार हेक्टेयर हो चुका है. यहां श्योपुर और शिवपुरी का 54 हजार 249 हेक्टेयर वन क्षेत्र जुड़ने से इसका कुल क्षेत्रफल बढ़ा है. कूनो नेशनल पार्क का टोटल एरिया बढ़ने से नए चीतों के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों के जानवरों को इसका लाभ मिलेगा. सबसे खास बात ये है कि अब कूनों के चीतों को बार-बार सरहद पार कर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी. गौरतलब है कि कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य है. इसका नाम कूनो नदी से लिया गया है. इसे 1981 में श्योपुर और मुरैना जिलों में के प्रारंभिक क्षेत्र के साथ एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था. वहीं 2018 में इसे नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया.