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भुंतर-मणिकर्ण रोड में पिछली आपदा के नहीं भरे जख्म, बरसात दोबारा आने को तैयार, अब तक मार्ग नहीं हुआ बहाल - Kullu Disaster

हिमाचल प्रदेश में बरसात एक बार फिर आने को है. जबकि पिछली बरसात में हुए नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है. कुल्लू जिले में भुंतर से मणिकर्ण मार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त है, जो कि अभी तक दुरूस्त नहीं हो पाया है जिससे पर्यटन कारोबारियों को भी खासा नुकसान हुआ है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 19, 2024, 3:08 PM IST

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कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीते साल बरसात में आई आपदा से सबसे अधिक नुकसान जिला कुल्लू में हुआ है. हालांकि व्यवस्था को धीरे-धीरे पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है, मगर अभी तक व्यवस्था पटरी पर लौटी नहीं है, जबकि बरसात एक बार फिर आने को है. कुल्लू जिले में कई लोगों के घर और जमीन बाढ़ और लैंडस्लाइड की चपेट में आए थे. बड़ी संख्या में सड़कें क्षतिग्रस्त हुई और कुछ हिस्सों में तो सड़कें ही गायब हो गई. कुल्लू जिले का भुंतर से मणिकर्ण मार्ग पर्यटन की दृष्टि से सबसे अहम है. यहां पर 35 किलोमीटर सड़क 22 जगहों पर क्षतिग्रस्त हुई है. इसमें कुछ हिस्सा पूरी तरह से पार्वती नदी में बह गया.

टूरिस्ट सीजन में भी पर्यटन कारोबारियों को नुकसान

वहीं, इस साल कुल्लू जिले में कई जगहों की हालत को देख पर्यटकों ने समर सीजन में मुंह मोड़ लिया है. इससे धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण, कसोल, तोष, खीरगंगा सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर पर्यटक तो पहुंचे, लेकिन सड़क मार्ग के खस्ताहाल होने के कारण बहुत कम संख्या में पर्यटक आ पाए हैं. जिसका घाटी वासियों को खासा मलाल है. हालांकि लोक निर्माण विभाग की ओर से भुंतर से मणिकर्ण मार्ग की मरम्मत के लिए 30 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई है. इसके बाद सड़क बहाली के लिए लगातार काम भी किया जा रहा है, लेकिन अभी तक मार्ग दुरूस्त नहीं हो पाया है. जबकि समर पर्यटन सीजन खत्म होने को है. ऐसे में पर्यटन कारोबारियों में सरकार के प्रति खासी नाराजगी है.

ब्यास में बड़े पत्थरों को हटाने का फरमान

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच बड़े पत्थरों को हटाने के आदेश जारी किए हैं. ये काम जब ब्यास नदी में पानी का स्तर कम था, उस समय किया जाना था, लेकिन एनएचआई ने अभी तक ये काम नहीं किया है. अभी तक नदी किनारे को सुरक्षित रखने के संबंध में कोई काम नहीं किया गया है. जबकि ब्यास नदी का जलस्तर अभी वापस बढ़ रहा है. ऐसे में अब ब्यास नदी नदी में काम करना खतरे से खाली नहीं है.

कम हुई नदी के साथ सड़क की ऊंचाई

जिला कुल्लू में कुल्लू से मनाली तक जाने वाले एनएच की ऊंचाई नदी से काफी कम हो गई है. कुल्लू जिले में लगभग 14 जगह ऐसी हैं जहां पर फिर से एनएच पर ब्यास नदी के चलते खतरा बना हुआ है. ऐसे में अगर आने वाले मानसून सीजन में पिछले साल की तरह बारिश होती है तो एनएच को फिर से खासा नुकसान हो सकता है, लेकिन एनएचआई ने अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.

"कुल्लू से मनाली तक जाने वाले एनएच की नदी से कई स्थानों पर ऊंचाई काफी कम हो गई है. इसको लेकर एनएचएआई और लोक निर्माण विभाग को लिखित में भेजा गया है, लेकिन अभी तक यह स्थान दुरूस्त नहीं हुए हैं. लोक निर्माण विभाग को बरसात से पूर्व सड़कों को दुरूस्त करने के आदेश दिए गए हैं." - तोरूल एस रवीश, डीसी कुल्लू

32 स्थान चिन्हित, सिर्फ 10 जगहों पर हुआ काम

कुल्लू जिले में ब्यास, पार्वती, पिन पार्वती नदी में पिछले साल आई बाढ़ के कारण अपना रुख मोड़ लिया है. इसके बाद प्रशासन की ओर से नदी में ड्रेजिंग करने के आदेश जारी किए गए थे. इसके लिए प्रशासन ने 32 जगहों को चिन्हित किया था. जिसमें से 10 संवेदनशील जगहों पर ड्रेजिंग का कार्य किया गया है, लेकिन ड्रेजिंग से निकलने वाला मलबा जिसमें पत्थर, रेत को हटाने के लिए अनुमति नहीं मिली है.

"कुल्लू में जहां पर ब्यास नदी में खतरा था. उस स्थान को सुरक्षित किया जा चुका है. इसके अलावा नदी में पानी के बहाव को देखते हुए अब कार्य करना बेहद कठिन है." - विकास शुक्ला, एसडीएम कुल्लू

ये भी पढ़ें: हिमाचल में थमा नहीं है हीट वेव का प्रकोप, मैदानी इलाकों में पारा निरंतर 40 पार, आज कुछ हिस्सों में बारिश के आसार

ये भी पढ़ें: Alert! पंडोह डैम से कभी भी छोड़ा जा सकता है पानी, ब्यास नदी के किनारे जाने से करें परहेज

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीते साल बरसात में आई आपदा से सबसे अधिक नुकसान जिला कुल्लू में हुआ है. हालांकि व्यवस्था को धीरे-धीरे पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है, मगर अभी तक व्यवस्था पटरी पर लौटी नहीं है, जबकि बरसात एक बार फिर आने को है. कुल्लू जिले में कई लोगों के घर और जमीन बाढ़ और लैंडस्लाइड की चपेट में आए थे. बड़ी संख्या में सड़कें क्षतिग्रस्त हुई और कुछ हिस्सों में तो सड़कें ही गायब हो गई. कुल्लू जिले का भुंतर से मणिकर्ण मार्ग पर्यटन की दृष्टि से सबसे अहम है. यहां पर 35 किलोमीटर सड़क 22 जगहों पर क्षतिग्रस्त हुई है. इसमें कुछ हिस्सा पूरी तरह से पार्वती नदी में बह गया.

टूरिस्ट सीजन में भी पर्यटन कारोबारियों को नुकसान

वहीं, इस साल कुल्लू जिले में कई जगहों की हालत को देख पर्यटकों ने समर सीजन में मुंह मोड़ लिया है. इससे धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण, कसोल, तोष, खीरगंगा सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर पर्यटक तो पहुंचे, लेकिन सड़क मार्ग के खस्ताहाल होने के कारण बहुत कम संख्या में पर्यटक आ पाए हैं. जिसका घाटी वासियों को खासा मलाल है. हालांकि लोक निर्माण विभाग की ओर से भुंतर से मणिकर्ण मार्ग की मरम्मत के लिए 30 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई है. इसके बाद सड़क बहाली के लिए लगातार काम भी किया जा रहा है, लेकिन अभी तक मार्ग दुरूस्त नहीं हो पाया है. जबकि समर पर्यटन सीजन खत्म होने को है. ऐसे में पर्यटन कारोबारियों में सरकार के प्रति खासी नाराजगी है.

ब्यास में बड़े पत्थरों को हटाने का फरमान

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच बड़े पत्थरों को हटाने के आदेश जारी किए हैं. ये काम जब ब्यास नदी में पानी का स्तर कम था, उस समय किया जाना था, लेकिन एनएचआई ने अभी तक ये काम नहीं किया है. अभी तक नदी किनारे को सुरक्षित रखने के संबंध में कोई काम नहीं किया गया है. जबकि ब्यास नदी का जलस्तर अभी वापस बढ़ रहा है. ऐसे में अब ब्यास नदी नदी में काम करना खतरे से खाली नहीं है.

कम हुई नदी के साथ सड़क की ऊंचाई

जिला कुल्लू में कुल्लू से मनाली तक जाने वाले एनएच की ऊंचाई नदी से काफी कम हो गई है. कुल्लू जिले में लगभग 14 जगह ऐसी हैं जहां पर फिर से एनएच पर ब्यास नदी के चलते खतरा बना हुआ है. ऐसे में अगर आने वाले मानसून सीजन में पिछले साल की तरह बारिश होती है तो एनएच को फिर से खासा नुकसान हो सकता है, लेकिन एनएचआई ने अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.

"कुल्लू से मनाली तक जाने वाले एनएच की नदी से कई स्थानों पर ऊंचाई काफी कम हो गई है. इसको लेकर एनएचएआई और लोक निर्माण विभाग को लिखित में भेजा गया है, लेकिन अभी तक यह स्थान दुरूस्त नहीं हुए हैं. लोक निर्माण विभाग को बरसात से पूर्व सड़कों को दुरूस्त करने के आदेश दिए गए हैं." - तोरूल एस रवीश, डीसी कुल्लू

32 स्थान चिन्हित, सिर्फ 10 जगहों पर हुआ काम

कुल्लू जिले में ब्यास, पार्वती, पिन पार्वती नदी में पिछले साल आई बाढ़ के कारण अपना रुख मोड़ लिया है. इसके बाद प्रशासन की ओर से नदी में ड्रेजिंग करने के आदेश जारी किए गए थे. इसके लिए प्रशासन ने 32 जगहों को चिन्हित किया था. जिसमें से 10 संवेदनशील जगहों पर ड्रेजिंग का कार्य किया गया है, लेकिन ड्रेजिंग से निकलने वाला मलबा जिसमें पत्थर, रेत को हटाने के लिए अनुमति नहीं मिली है.

"कुल्लू में जहां पर ब्यास नदी में खतरा था. उस स्थान को सुरक्षित किया जा चुका है. इसके अलावा नदी में पानी के बहाव को देखते हुए अब कार्य करना बेहद कठिन है." - विकास शुक्ला, एसडीएम कुल्लू

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