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रांची में कुड़मी हुंकार रैलीः मांगे पूरी नहीं हुई तो राज्य की 09 लोकसभा सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचाएगा कुड़मी समाज! - रांची में कुड़मी हुंकार रैली

Kudmi Hunkar rally. रांची में कुड़मी हुंकार रैली का आयोजन किया गया. इसके माध्यम से केंद्र सरकार से कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल और कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग की. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो राज्य की 09 लोकसभा सीटों पर वो भाजपा को नुकसान पहुंचाएंगे.

Kudmi Hunkar rally in Ranchi On demand for giving ST status
एसटी का दर्जा देने की मांग पर रांची में कुड़मी हुंकार रैली
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 25, 2024, 10:01 PM IST

रांची में कुड़मी हुंकार रैली

रांची: झारखंड में टोटेमिक कुड़मी और कुरमी (महतो) को ओबीसी की जगह अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग तेज की. इसके साथ ही कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में विशाल कुड़मी हुंकार रैली का आयोजन किया गया.

टोटेमिक कुड़मी समाज और कुड़मी सेना सहित कई कुड़मी महतो सामाजिक संस्थाओं द्वारा अयोजित इस हुंकार रैली में अलग अलग जिले से बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोग पहुंचे. इस रैली के माध्यम से वक्ताओं ने भाजपा और केंद्र की सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसकी कीमत चुकानी होगी.

साजिश के तहत कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से किया गया था अलगः

ओरमांझी से कुड़मी हुंकार रैली में शामिल होने आईं कुड़मी नेता सुनीता देवी ने कहा कि वर्ष 1931 से पहले वर्तमान झारखंड वाले इलाके में रहने वाले कुड़मी और कुरमी महतो जाति अनुसूचित जनजाति के तहत आते थे. लेकिन 1931 में एक साजिश रचकर इस समाज को अनुसूचित जनजाति से अलग कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उनका रहन-सहन, खान-पान, बोली-भाषा सबकुछ अनुसूचित जनजाति से मेल खाती है फिर हम ओबीसी में क्यों हैं. सुनीता देवी ने कहा कि आज अभाव में जी रहे कुड़मी समाज के लोगों के बच्चों को उनका हक नहीं मिल रहा है, सरकार की कई योजनाओं से ये समाज वंचित हैं. ऐसे में कुड़मी समाज अब अपनी हक की आवाज को बुलंद करने और अपनी ताकत दिखाने के लिये तैयार है.

मांगें नहीं मानी तो भाजपा और केंद्र को देंगे सबक- शीतल ओहदेदारः

टोटेमिक कुड़मी-कुरमी (महतो) समाज के संरक्षक शीतल ओहदेदार ने कहा कि लोकतंत्र में हमारी आबादी ही हमारी ताकत है. अभी तक अपने हक और अधिकार के प्रति यह समाज सोया हुआ था, जो अब जाग चुका है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र की सरकार कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करती और कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देती तो अगले लोकसभा चुनाव में कुड़मी समाज भाजपा के खिलाफ गोलबंद होगा. जिसका नुकसान राज्य के 14 लोकसभा सीट में से कम से कम 09 सीटों पर पड़ना तय है. उन्होंने राज्य की सरकार से भी मांग की कि विधानसभा से कुड़मी को ST में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे.

इसे भी पढे़ं- कुरमी/कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग, मूरी जंक्शन पर जुटे आंदोलनकारी, रेल सेवा प्रभावित, बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात

इसे भी पढे़ं- झारखंड में कुड़मी समाज के लोगों ने सरकार को दी चेतावनी, दोहरे मापदंड का लगाया आरोप

इसे भी पढे़ं- कुड़मी समाज ने रेल चक्का आंदोलन लिया वापस, ट्रेनों का परिचालन हुआ सामान्य

रांची में कुड़मी हुंकार रैली

रांची: झारखंड में टोटेमिक कुड़मी और कुरमी (महतो) को ओबीसी की जगह अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग तेज की. इसके साथ ही कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में विशाल कुड़मी हुंकार रैली का आयोजन किया गया.

टोटेमिक कुड़मी समाज और कुड़मी सेना सहित कई कुड़मी महतो सामाजिक संस्थाओं द्वारा अयोजित इस हुंकार रैली में अलग अलग जिले से बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोग पहुंचे. इस रैली के माध्यम से वक्ताओं ने भाजपा और केंद्र की सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसकी कीमत चुकानी होगी.

साजिश के तहत कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से किया गया था अलगः

ओरमांझी से कुड़मी हुंकार रैली में शामिल होने आईं कुड़मी नेता सुनीता देवी ने कहा कि वर्ष 1931 से पहले वर्तमान झारखंड वाले इलाके में रहने वाले कुड़मी और कुरमी महतो जाति अनुसूचित जनजाति के तहत आते थे. लेकिन 1931 में एक साजिश रचकर इस समाज को अनुसूचित जनजाति से अलग कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उनका रहन-सहन, खान-पान, बोली-भाषा सबकुछ अनुसूचित जनजाति से मेल खाती है फिर हम ओबीसी में क्यों हैं. सुनीता देवी ने कहा कि आज अभाव में जी रहे कुड़मी समाज के लोगों के बच्चों को उनका हक नहीं मिल रहा है, सरकार की कई योजनाओं से ये समाज वंचित हैं. ऐसे में कुड़मी समाज अब अपनी हक की आवाज को बुलंद करने और अपनी ताकत दिखाने के लिये तैयार है.

मांगें नहीं मानी तो भाजपा और केंद्र को देंगे सबक- शीतल ओहदेदारः

टोटेमिक कुड़मी-कुरमी (महतो) समाज के संरक्षक शीतल ओहदेदार ने कहा कि लोकतंत्र में हमारी आबादी ही हमारी ताकत है. अभी तक अपने हक और अधिकार के प्रति यह समाज सोया हुआ था, जो अब जाग चुका है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र की सरकार कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं करती और कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं देती तो अगले लोकसभा चुनाव में कुड़मी समाज भाजपा के खिलाफ गोलबंद होगा. जिसका नुकसान राज्य के 14 लोकसभा सीट में से कम से कम 09 सीटों पर पड़ना तय है. उन्होंने राज्य की सरकार से भी मांग की कि विधानसभा से कुड़मी को ST में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे.

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