कोटा. केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है, लेकिन यह गाइडलाइन कोटा के कोचिंग संस्थानों के साथ-साथ यहां की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बनती नजर आ रही है. कोटा कोचिंग से करीब 6000 करोड़ के अर्थव्यवस्था जुड़ी हुई है और अब इस अर्थव्यवस्था को यहां के व्यापारी खतरा बता रहे हैं.
कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन का कहना है कि कोटा में बच्चे यहां का माहौल और पुराने सिलेक्शन को देखते हुए आता है. सरकार ने अचानक से 16 साल की उम्र के बाद ही कोचिंग की बाध्यता को लागू कर दिया है. इसके चलते कोटा कोचिंग करने आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में सीधी कमी हो जाएगी. यहां आने वाले स्टूडेंट्स 16 साल से कम उम्र में पढ़ने के लिए आते हैं, कुछ के मां-बाप भी यहां रहकर उनको कोचिंग करवाते हैं. ऐसे में जब यहां पर बच्चे नहीं आएंगे तो यहां का व्यापार प्रभावित होगा. लोगों ने करोड़ों का इन्वेस्टमेंट इसमें किया हुआ है, जिसके चलते कोटा की इकोनॉमी ध्वस्त हो जाएगी. इस फैसले से सीधा नुकसान दिहाड़ी मजदूर से लेकर एक बड़े शोरूम चलाने वाले शख्स को भी होगा. इसके अलावा कोटा में एक हॉस्टल व मेस इंडस्ट्री भी है, जिसे भी काफी नुकसान हो सकता है. सबसे ज्यादा इनवेस्टमेंट हॉस्टल और मेस व्यसाय में लोगों ने यहां कर रखा है.
पढ़ाई में भी पिछड़ जाएंगे स्टूडेंट्स: क्रांति जैन का यह भी कहना है कि वर्तमान समय में स्टूडेंट पहले ही तय कर लेते हैं कि उन्हें किस स्ट्रीम में जाकर पढ़ाई करनी है. किसी को ध्यान में रखते हुए पहले जहां पर कोटा में 12वीं की पढ़ाई करने के बाद स्टूडेंट आते थे, लेकिन फिर 11वीं 12वीं के दौरान विद्यार्थी आने लगे और अब नवीं-दसवीं से ही विद्यार्थी आने लगे हैं. इसी को लेकर कोटा का हर व्यापार भी जुड़ता रहा है. ऐसे में कंपटीशन की दुनिया में विद्यार्थी अपना बेस मजबूत रखेगा, तो उसे आगे इंजीनियरिंग और मेडिकल के एग्जाम में भी सफलता मिल जाती है. अगर वह 11वीं 12वीं में पढ़ाई करने आएगा तो पिछड़ सकता है.
25 साल में खड़ा किया है इंफ्रास्ट्रक्चर: कोरल पार्क हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल का कहना है कि कोटा की कोचिंग संस्थानों के अलावा हॉस्टल और मेस के साथ-साथ यहां पर देशभर से आने वाले बच्चों की सुविधा के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया गया है, जिसमें बच्चों को सब सुविधा मिल सके यह व्यवस्था की गई है. इसी के बूते पर यहां आने वाले बच्चे पढ़ाई मन लगाकर कर पाते हैं और उनको एक माहौल भी मिलता है, लेकिन जिस तरह का नियम केंद्र सरकार कोचिंग को लेकर आई है, अब 25 साल में खड़ा हुआ, यह इंफ्रास्ट्रक्चर एकदम से ही बेकार हो जाएगा.
अरबों का इन्वेस्टमेंट, बैंक की किस्त चुकाना भी मुश्किल होगा: सुनील अग्रवाल का कहना है कि अभी भी हॉस्टल बड़ी संख्या में बांटे जा रहे हैं, जिनमें बैंकों से अरबों रुपए का लोन लेकर लोगों ने इन्वेस्टमेंट किया है. अब एक नियम के चलते ही इन लोगों के लिए आफत का सबब बनने जा रहा है. बैंकों से उन्होंने लोन आमदनी की उम्मीद में ही लिया था, लेकिन हालात ऐसे हो जाएंगे कि इसकी किस्त चुकाना भी इन लोगों के लिए चुनौती भरा होगा. केंद्र सरकार को इस नियम को लागू करने के पहले कोटा में आकर स्टडी करनी चाहिए, यहां पर किस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर केवल कोचिंग के लिए ही तैयार हुआ है क्योंकि इस गाइडलाइन से सबसे ज्यादा प्रभावित कोटा हो रहा है.
हर स्टूडेंट का होता है औसत 4 लाख का खर्चा: कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष जैन का कहना है कि कोटा में करीब दो से ढाई लाख विद्यार्थी हर साल कोचिंग के लिए आते हैं. इन विद्यार्थियों में ज्यादातर यूपी, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान से भी बड़ा हिस्सा है. विधार्थियों की फीस से लेकर हॉस्टल या पीजी किराया और मेस सहित अन्य सभी खर्च मिला लिए जाए, तो यह 2 लाख से लेकर 4.5 लाख रुपए के बीच होते हैं. यह राशि फुटकर व्यापारियों से लेकर हॉस्टल, कोचिंग, मेस व पीजी मालिक और स्थानीय दुकानदारों तक पहुंचती है. यहां तक की ट्रांसपोर्टेशन और ऑटो से लेकर हर तरह के व्यापार को इन बच्चों से होने वाली आमदनी से ही फायदा है. इन्हीं बच्चों से कोटा शहर को करीब 5 से 6 हजार करोड़ रुपए सालाना मिल रहे हैं.
कोचिंग के बिना खत्म हो जाएगा कोटा: क्रांति जैन का कहना है कि नया नियम लागू होने पर रोजगार की भारी कमी हो जाएगी और इसी के चलते कोटा खत्म हो जाएगा. कोटा में कोचिंग के चलते ही टी स्टॉल, मोची, टेलर, ड्राईक्लीनिंग, फुटकर सब्जी व फ्रूट, डेयरी, खोमचे, फास्टफूड, हेयर सैलून, ऑटो, टैक्सी, रेस्टोरेंट, साइकल, बाइक रेंट, फोटो स्टूडियो, जेरोक्स, रेडीमेड, किराना, जनरल स्टोर, जूस सेंटर, स्टेशनरी, प्रिंटिंग व डेली यूज शॉप का व्यापार बड़े स्तर लर चल रहा है. इनसे जुड़े रोजगार में इलेक्ट्रिशियन, हॉस्टल वार्डन, सिक्योरिटी गार्ड से लेकर कोचिंग में पढ़ा रही फैकल्टी, स्टाफ और इतनी बड़ी बिल्डिंगों के मेंटेनेंस में जुड़ा कार्मिकों को रोजगार मिल रहा है. यह सभी लोग कोटा से ही हैं. इनको मिलने वाली सैलरी भी इन बच्चों की संख्या पर ही तय होती है.
एक बार फिर आंदोलन की राह पर कोटा: कोटा व्यापार संघ ने चुनौती दी है कि अगर केंद्र सरकार ने यह गाइडलाइन कोटा पर लागू की है, तो वह विरोध प्रदर्शन से भी नहीं चूकेंगे. इस संबंध में कोचिंग संस्थानों से बात कर पूरे ट्रेड को एकत्रित किया जाएगा. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से बातचीत की जाएगी और इस गाइडलाइन से कोटा को छुटकारा दिलाने की मांग की जाएगी.अगर इसके बाद भी मामला नहीं सुलझता है, तो कोटा को बचाने के लिए हर तरह के आंदोलन के लिए जुट जाएंगे.